दोस्तो, इन दिनों फिलिस्तीनी राष्ट्रीय सत्ताधारी संस्था के अध्यक्ष अब्बास ने अनेक रूपों में यह आशा प्रकट की कि उन के नेतृत्व वाले फिलिस्तीनी राष्ट्रीय मुक्ति आंदोव यानी फतह और फिलिस्तीनी इस्लामी प्रतिरोध आंदोलन हमास के बीच सुलह प्राप्त होगा। लेकिन यह जग जाहिर है कि उन का यह लक्ष्य प्राप्त होना बहुत मुश्किल है।
श्री अब्बास ने 8 तारीख को जोर्डन नदी के पश्चिमी तट पर आबाद रमल्लह शहर में मीडिया से कहा कि हालांकि फतह और हमास के बीय बहुत बड़े मतभेद मौजूद है, फिर भी उन्हों ने हमास समेत राष्ट्रीय मिली जुली सरकार का गठन करने का फैसला किया । यह इधर के दो दिनों में फिलिस्तीन के दो प्रमुख गुटों के बीच सुलह पाने के बारे में अब्बास के नरम दल द्वारा दिखाया गया एक अहम रूख है। इस से एक दिन पहले, फिलिस्तीनी प्रधान मंत्री सलाम फय्याद ने भी पद से इस्तीफा दे दी । इसे लेकर लोकमतों ने कहा कि इस तरह नयी कामचलाऊ सरकार की स्थापना और आम चुनाव के प्रबंध के लिए फिलिस्तीनी प्रशासन ने रास्ता देने की कोशिश की है।
मिस्र की मध्यस्थता क चलते फतह और हमास के बीच 10 तारीख को काहिरा में नए दौर की वार्ता होगी। श्री अब्बास ने कहा था कि वे दोनों प्रमुख दलों के बीच सुलह प्राप्त करने के लिए हरसंभव कोशिश करेंगे । जून 2007 में हमास ने बल प्रयोग से गाजा पर नियंत्रण कायम किया, जिस से गाजा पर हमास और जोर्डन नदी के पश्चिमी तट पर फतह का प्रशासन होने की हालत उत्पन्न हुई और दोनों पक्षों के बीच तनाव भी बढ़ गया।
2007 के उत्तरार्द्ध में अब्बास के नरम दल ने अमरीकी बुश सरकार के सुझाव पर इजरायली प्रधान मंत्री ओलर्मेट के साथ एंनापोलिस में मध्य पूर्व शांति के बारे में अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलन पर वार्ता पुनः शुरू की और इसबीच इजरायल ने हमास नियंत्रित गाजा पर नाकेबंदी कस कर दी । उधर हमास ने इजरायल के खिलाफ दुश्मनी बनाए रखते हुए मध्य पूर्व सवाल के बारे में चार पक्षों द्वारा प्रस्तुत तीन सिद्धांतों को स्वीकार करने से इनकार किया।
2008 के अंत में एंनापोलिस में प्राप्त लक्ष्य नाकाम हो गया और इजराइल ने गाजा पर 22 दिन की सैन्य कार्यवाही चलायी, जिस से फिलिस्तीन की भीतरी स्थिति और जटिल हो गयी, दोनों पक्षों में राजनीतिक रूखों में और बड़ी खाई पड़ी । हमास गाजा पर अपना नियंत्रण छोड़ने को तैयार नहीं है, इसलिए गाजा की सुरक्षा के बंदोबस्त के बारे में चली वार्ता में वह फतह के अधीनस्थ फिलिस्तीनी सुरक्षा बल द्वारा पुनः गाजा के सीमांत पोर्टों पर नियंत्रण किये जाने पर एतराज हुआ है। फतह यदि 2007 में गाजा में हुए आपसी गिरफ्तारी घटना के पश्चिमी तट पर दोहराने से बचना चाहता हो, तो उसे राजनीतिक सुरक्षा पर सोच विचार करना होगा।
एक दूसरे से सतर्क होने की स्थिति में एक साल से ज्यादा समय तक अलग हुए फिलिस्तीन के दो पक्षों में किस रूप में एकजुट हो, दोनों पक्ष जोर्डन नदी के पश्चिम तट और गाजा पट्टी में किस तरह सहअस्तित्व कायम करें, सरकार के गठन के तौर तरीके, फिलिस्तीली मुक्ति आंदोलन के सुधार, सुरक्षा बल के पुनर्गठन जैसे सत्ता व सशस्त्र शक्तियों के बंटवारे से जुड़े सवाल उन की भावी वार्ता के लिए बड़ी कठिनाइयां हैं । इन सवालों को पिछली सरकार ने हल नहीं कर पाया और मिली जुली सरकार भी अंत में भंग हो गयी । वर्तमान स्थिति में ये समस्याएं और कांटे की हो गयी हैं।
श्री अब्बास ने 8 तारीख को कहा कि वे हमास के साथ सुलह पाने की पूरी कोशिश करेंगे, लेकिन साथ ही उन्हों ने यह भी कहा कि फिलिस्तीन की भावी सरकार को इजरायल की अस्तित्व को मान्यता देने का कर्तव्य होगा । मार्च 2007 में इजरायल ने फिलिस्तीन की नयी सरकार के राजनीतिक कार्यक्रम में मध्य पूर्व के बारे में चार पक्षों के तीन सिद्धांतों को पूरा नहीं किये जाने के बहाने उस के साथ संपर्क करने से इनकार कर दिया । अब्बास ने इस बार उसी प्रकार के नदीजे से बचने के लिए उक्त बात कही है। किन्तु हमास जिसे फिलिस्तीनी लोगों में बड़ा समर्थन मिला है, अब्बास की इस मांग को स्वीकार नहीं कर सकता।
विश्लेषकों का कहना है कि अब्बास की दृष्टि में फिलिस्तीन के भीतर सुलह और एकजुटता प्राप्त होना अमरीकी नयी सरकार के समर्थन में फिलिस्तीन इजरायल वार्ता तथा गाजा समस्या के यथाशीघ्र समाधान दोनों के लिए आदर्श विकल्प है। परन्तु यह भी स्पष्ट है कि सुलह का रास्ता कांटेदार और जटिल होगा।
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