तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के अध्यक्ष श्री ग्यांगबा पुन्सोक ने छह तारीख को देशी विदेशी मीडिया संस्थाओं के साथ एक सामूहित इन्टरव्यू लेते समय कहा कि विदेशों में दलाई के कथन सुनने के साथ-साथ उन के कर्मों को भी देखना चाहिए, ताकि उन के कथनों का धोखा न खाया जा सके । तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की सरकार ने दलाई के सा था अनेक बार संपर्क किया था, और उन्होंने खुद दलाई व दलाई ग्रुप के कथनों के पीछे छिपी असलीयत का अनुभव किया ।
उन्होंने कहा कि दलाई लामा ने बड़े तिब्बती क्षेत्र और उच्च स्तरीय स्वशासन पेश किए, इस का मूल स्वाधीनता और अप्रत्यक्ष स्वाधीनता है, जिस का ऐतिहासक आधार नहीं है और मूर्त रूप देने की अभिलाषा भी नहीं है । इसी क्षेत्र में तिब्बती जनता का तकाजा भी नहीं है ।
दलाई लामा द्वारा प्रस्तुत तथाकथित उच्च स्तरीय स्वशासन की चर्चा करते हुए श्री ग्यांगबा पुन्सोक ने कहा कि चीन लोक गणराज्य के संविधान में स्पष्टतः निर्धारित किया गया कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश चीन का अभिन्न अंग है, तिब्बती जनता उच्च स्तरीय स्वशासन अधिकार का उपभोग करती है । क्या पता है कि दलाई लामा और दलाई ग्रुप किस तरह के उच्च स्तरीय स्वशासन की मांग करना चाहते हैं?
श्री ग्यांगबा पुन्सोक ने कहा कि इतिहास से देखा जाए, तो सारी दुनिया में किसी भी देश ने तिब्बत को एक स्वाधीन देश के रूप में मान्यता दी । प्राचीन काल से ही तिब्बत चीन का एक अभिन्न अंग रहा है, सेकिन दलाई और दलाई ग्रुप ने इस ऐतिहासिक तथ्य को अस्वीकार किया । (श्याओ थांग)