2009-03-05 17:14:26

तिब्बती संस्कृति के उत्तराधिकारी

हजार वर्ष पुराने तिब्बती भाषी प्राचीन ग्रंथावली का संग्रहण-संकलन करके प्रकाशित करने में बहुत गहरा ज्ञान होने की ज़रूरत है। तिब्बती भाषी प्राचीन ग्रंथावली प्रकाशन गृह में सभी कर्मचारी तिब्बती भाषा के धुरंधार विद्वान है। और सभी लोग तिब्बत विद के अनुसंधान के क्षेत्र में पारंगत हैं। खुद श्री केल्ज़ांग येशे भी प्राचीन तिब्बती भाषा व संस्कृति विषय के स्नातकोत्तर हैं, तिब्बत के प्रसिद्ध विद्वान व बड़े अनुवादक हैं। प्रकाशनगृह के उपप्रधान श्री पासांग त्सेरिंग भी तिब्बती भाषा के एक उच्च स्तरीय अनुवादक हैं और वर्षों से वे लगातार तिब्बती भाषा के प्रकाशन कार्य में संलग्न रहे हैं।

तिब्बत की तिब्बती भाषी प्राचीन ग्रंथावली के प्रकाशगृह में आठ संपादक साल भर पूरी मेहनत से भी केवल दो या तीन पुस्तकों को प्रकाशित कर सकते हैं। और हर पुस्तक की सर्वाधिक तीन हजार कॉपियां छापी जाती हैं। केल्ज़ांग येशे ने इस का कारण समझाकर कहा कि क्योंकि एक प्राचीन ग्रंथावली के प्रकाशन में बहुत से काम करना पड़ता है, इसलिये उसे पूरा करने में ज्यादा समय लगता है। उन्होंने कहाः

सब से पहले हमें पुस्तक की सुराग प्राप्त करने के लिये जांच-पड़ताल करनी पड़ती है। इस के बाद हम प्राचीन ग्रंथावली ढूंढ़कर इसे फ़ोटो कॉपि करते हैं। क्योंकि मूल रूप की ग्रंथावली को सुरक्षित रखना चाहिए। इस के बाद संपादन कार्य शुरू होता है । प्रकाशन के प्रास्तावना में लेखक की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि लिखने की ज़रूरत है। और पुस्तक के संक्षिप्त विशष को भी प्रास्तावना में शामिल होना चाहिए। साधारण तिब्बती भाषा के प्राचीन ग्रंथों में विषयों की सूची नहीं है। इसलिये संपादन करते समय हम शुरू से ही अंत तक ग्रंथावली को कई बार पढ़कर उस के विषय के आधार पर एक विषयसूची तैयार करते हैं। इस के बाद हम इसे कंप्यूटर में शामिल करके छापाखाने में भेज देते हैं।

श्री केल्ज़ांग येशे, जो पेइचिंग के एक प्रसिद्ध विश्वविद्यालय से स्नातक हुए हैं, ने तिब्बत शास्त्र के अनुसंधान में कई पुस्तकों को प्रकाशित किया। उन में से कुछ पुस्तकों को चीनी राष्ट्रीय पुस्तक पुरस्कार भी मिला है, जो देश विदेश में नामी गिरामी हुई हैं । उन से परिचित लोगों ने हमें बताया कि तिब्बत के विभिन्न बड़े मठों में केल्ज़ांग येशे की बड़ी प्रतिष्ठा है। भिक्षुओं को उन की इतिहास कक्षा सुनने का बड़ा शौक है। कुछ ज्ञानी भिक्षु उन के साथ आदान-प्रदान करने को भी पसंद करते हैं।

श्री केल्ज़ांग येशे के साथी पासांग त्सेरिंग प्रकाशनगृह के उपप्रधान हैं। प्रकाशनगृह द्वारा प्रकाशित की गयी 50 से ज्यादा प्राचीन ग्रंथावली में 40 प्रतिशत पुस्तकों की जांच-पुष्टि पासांग त्सेरिंग द्वारा की गयी। तिब्बत के प्राचीन धर्म बैन धर्म से जुड़ी एक पुस्तक की जांच-पड़ताल करने में पासांग त्सेरिंग दिन-रात मेहनत से काम करते रहे थे। अंत में उन्होंने 12 प्रतियों व 26 लाख से ज्यादा अक्षरों वाली इस पुस्तक की जांच पूरी कर ली। हालांकि वे बहुत थके हुए, फिर भी वे बहुत खुश हैं। उन्होंने कहाः

"हम सीधे से तिब्बतविद के अनुसंधान के लिये कुछ अज्ञात सामग्री प्रदान करते हैं। तिब्बतविद के अनुसंधान के कार्यकर्ता, धार्मिक कार्यकर्ता, बौद्ध धर्म के विद्वान, तिब्बती इतिहास के अनुसंधान कर्ता, और तिब्बती इतिहास के शौकीन पाठक, वे सभी लोग हमारी पुस्तकें पसंद करते हैं।"

केल्ज़ांग येशे व पासांग त्सेरिंग ने हमें बताया कि विदेशी तिब्बत विद्वानों ने भी अक्सर हमारे प्रकाशनगृह के संपादकों द्वारा तिब्बती भाषा की प्राचीन ग्रंथावली खरीदवायी। भविषय में केल्ज़ांग येशे व पासांग त्सेरिंग संपादन की शक्ति को मजबूत करने के लिये कुछ पूंजी-निवेश ढूंढ़ना चाहते हैं, ताकि तिब्बत की ज्यादा से ज्यादा प्राचीन ग्रंथावली जल्दी से जल्दी पाठकों के सामने आ सकें।(चंद्रिमा)

© China Radio International.CRI. All Rights Reserved.
16A Shijingshan Road, Beijing, China. 100040