2009-03-05 17:05:02

चीन व अफ्रीका के बीच सांस्कृतिक आवाजाही में संलग्न अफ्रीकी कलाकृति के संग्राहक क्वा तोंग की कहानी

वर्तमान में पेइचिंग में सैतु नामक कला केंद्र में अफ्रीकी संस्कृति की जानकारी देने के लिये अफ्रीकी कला प्रदर्शनी आयोजित हो रही है। प्रदर्शनी में बहुत सी कला वस्तुएं श्री क्वो तोंग द्वारा प्रदान की गयी हैं। क्वो तोंग युगांडा में 18 सालों तक रह चुके हैं और बड़ी तादाता में अफ्रीकी कला वस्तुओं का संग्रह किए हैं तथा चीन व अफ्रीका के बीच सांस्कृतिक आवाजाही के काम में संलग्न भी रहते हैं।

सैतु नामक अफ्रीकी कला केंद्र में आयोजित आदिम कला व आधुनिक जीवन नामक अफ्रीकी कलाकृति प्रदर्शनी में 500 अफ्रीकी कला वस्तुएं प्रदर्शित की गयी हैं, जिन में पुराने जमाने से अब तक अफ्रीकी राजघरानों व आम लोगों द्वारा प्रयोग किए जा चुकी दैनिक जीवन वस्तुएं, धार्मिक कला वस्तुएं और वाद्य यंत्र शामिल हैं। श्री क्वो तोंग इस प्रदर्शनी का संगठन करने वाला व्यक्ति है। उन्होंने कहाः

अगर आप अफ्रीका के बारे में जानकारी लेना चाहते हैं, तो यह एक अच्छा मौका है। क्योंकि इन कला वस्तुओं को नजदीक से देख समझ सकते हैं और उन के जरिए आप अफ्रीकी जनता के जीवन के बारे में ठोस अनुभव प्राप्त कर सकते हैं ।

इस साल 45 वर्षीय क्वो तोंग का जन्म पेइचिंग में हुआ। बचपन से वे कला से प्यार करते आए हैं। उन्होंने चीनी प्रसिद्ध परंपारिक चित्रकारों से चित्रकला सीखी और उन की अनेक रचनाएं विदेशी कला संस्थाओं द्वारा भी संग्रहित की गयी हैं।

गत शताब्दी के 80 वाले दशक में क्वो तोंग ने अफ्रीका के बारे में जानकारी लेना शुरू किया। उस समय चीन में खुलेपन व सुधार की नीति लागू करने के चलते बहुत विदेशी लोग पढ़ने, काम करने और जीवन बिताने पेइचिंग आये। इस लिये क्वो तोंग कुछ विदेशी छात्रों से परिचित हुए है, जिन में कुछ लोग युगांडा से आये हुए हैं। श्री क्वो तोंग ने इन अफ्रीकी दोस्तों के साथ अच्छा संबंध जोड़ा है। उन्होंने याद करते हुए कहा

अफ्रीकी दोस्तों के लोकाचार ने मुझ पर बड़ी गहरी छाप छोड़ी। उन्होंने हमें बताया कि उन का देश बहुत सुन्दर है। क्योंकि उस समय हमारे विचार में अफ्रीका एक बहुत पिछाड़ा और गरीब क्षेत्र है। किन्तु बाद में अफ्रीकी दोस्तों के घर में चित्र व फोटो देखने से मुझे मालूम हुआ है कि अफ्रीका बिलकुल हमारी कल्पना से अलग है, इसलिए मुझ में अफ्रीका देखने जाने की चाह उत्पन्न हुई ।

गत शताब्दी के 90 वाले दशक में क्वो तोंग अपनी संपादक की नौकरी छोड़ कर विदेश गये। उन्हों ने कहा कि पहले वे यूरोप गए थे, पर अंत में उन्हों ने अफ्रीका में रहने का फैसला लिया, क्योंकि अफ्रीका ने उन पर अलग एहसास दिलाया है। उन्होंने कहा

अफ्रीकी लोग चीनियों का बहुत सम्मान करते हैं, जो हमें बहुत अच्छी अनुभूति उपलब्ध कराता है। यहां रहने की औपचारिकता भी बहुत सरल है। अफ्रीकियों के साथ संपर्क में कोई भी कठिनाई नहीं है, वे हमें मदद देने को हर समय तैयार रहते हैं । इसलिये मैं ने वहां रहने का फैसला किया। (रूपा)