2009-03-05 15:24:55

सूडानी राष्ट्रपति के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत के गिरफ्तारी वारंट पर चिंता

हॉलैंड के हेग में स्थित अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत ने 4 तारीख को सूडानी राष्ट्रपति ओमर अल बशीर के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी किया । अदालत ने बशीर पर युद्ध अपराध और मानवता के खिलाप अपराध का आरोप लगाया है ।वर्ष 2002 में स्थापित होने के बाद अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत ने पहली बार किसी देश के राज्याध्यक्ष के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।इस पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने कडी नजर रखी हुई है और चिंता भी व्यक्त की है।

अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत ने 4 तारीख को घोषणा की कि बशीर ने सूडान के दारफूर क्षेत्र में मानवता के खिलाफ पांच अपराध और दो युद्ध अपराध किये ,पर उन पर जातीय नरसंहार का आरोप नहीं लगाया जाएगा ।अदालत ने सूडानी सरकार से बशीर को गिरफ्तार करने के लिए सहयोग करने का अनुरोध भी किया ।सूडानी राष्ट्रपति के सलाहकार ने उसी दिन इस गिरफ्तार वारंट को ठुकरा दिया ।सूडानी राष्ट्रपति बशीर ने 3 तारीख को कहा था की सूडान अपनी शांति व विकास में संलग्न रहेगा और सूडान के बारे में अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत के फैसले की परवाह नहीं करेगा ।सूडानी उप विदेश मंत्री सादिक ने पहले कहा था कि सूडान अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत का सदस्य नहीं है ,इसलिए सूडान में इस अदालत का कानूनी प्रशासनिक अधिकार नहीं है ।

बशीर के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी होने के बाद कई हजार लोगों ने सूडान की राजधानी खारतूम की सडकों पर उतरकर अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत के वारंट के खिलाफ प्रदर्शन किया ।उन्होंने बशीर के समर्थन में नारा लगाया और अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत पर सूडान के आंतरिक मामलों में हस्तक्षप करने का आरोप लगाया ।सूडानी राष्ट्रीय एकता सरकार में शामिल विभिन्न पार्टियों ने 4 तारीख को संयुक्त ब्यान जारी कर अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत के साथ अंत तक संघर्ष करने की बात कही ।

अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत वर्ष 2002 में स्थापित हुई ,जो विश्व में किसी व्यक्ति पर युद्ध अपराध ,मानवता के खिलाफ अपराध व नरसंहार अपराध का मुकदमा चलाने वाली स्थाई संस्था है ।जुलाई 2008 में अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत के प्रोक्योरेटर लुइस ओकामपो ने बशीर पर दाफूर क्षेत्र में जातीय नरसंहार समेत दस अपराध करने का आरोप लगाकर अदालत से बशीर को गिरफ्तार करने का वारंट जारी करवाया ।ओकामपो का आरोप सार्वजनिक होने के बाद अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने इस पर बडा ध्यान दिया है।अनेक देशों ने आशा प्रकट की कि अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत का फैसला सूडान की शांति व स्थिरता में मददगार होगा ।संयुक्त राष्ट्र ,अरब लीग और सूडान के आसपास के देशों की सक्रिय मध्यस्थता से सूडान सरकार सहमत हुई कि वह दारफूर शांति समझौते के आधार पर सरकार विरोधी संगठनों के साथ वार्ता के जरिये दारफूर में स्थाई शांति कायम करने के लिए समझौता संपन्न करेगी ।लेकिन कुछ सरकार विरोधी सशस्त्र संगठनों ने इस समझौते पर हस्ताक्षर करने से इंकार किया ।उन्होंने इस समझौते में बडा बदलाव लाने की मांग की ताकि दारफूर क्षेत्र के अधिकार व संसाधनों का साझा किया जाए ।सूडानी उपराष्ट्रपति अली मोहमद ने 4 तारीख को बताया कि राष्ट्रपति बशीर ,प्रथम उपराष्ट्रपति सालवा किर मायार्डिट और उन का समान विचार है कि सूडानी जनता में कठिनाई दूर करने की क्षमता है ।राष्ट्रपति बशीर के नेतृत्व वाली सूडान सरकार संविधान में निर्धारित कर्तव्य निभाती रहेगी और देश की सुरक्षा व स्थिरता को सुनिश्चित करेगी। अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत के वारंट से सूडान सरकार को बरखास्त करने की हर कुचेष्टा नाकाम होगी ।

अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत के गिरफ्तारी वारंट पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने चिंता व्यक्त की। संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने हाल ही में कहा था कि सूडानी राष्ट्रपति बशीर के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत का संबंधित आरोप सूडान में सर्वांगीण शांति समझौते के कार्यांवयन के लिए लाभदायक नहीं होगा ।अफ्रीकी लीग ने 4 तारीख की रात को आपात विदेश मंत्री बैठक बुलायी ।अफ्रीकी लीग के अध्यक्ष जीन पिंग ने बताया कि जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा सूडान की शांति ,जातीय सुलह व लोकतांत्रिक प्रक्रिया को आगे बढाने की प्रकिया चल रही है, तब ऐसे नाजुक वक्त पर गिरफ्तारी का वारंट जारी किया गया है ।उन्होंने बल देकर कहा कि वैधानिक सुनवाई को सूडान की शांति प्रक्रिया को बाधित नहीं करना चाहिए ।कुछ अफ्रीकी देशों ने गिरफ्तारी वारंट पर असंतोष व्यक्त करने के लिए अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत की सदस्यता त्यागने की चेतावनी दी । मिश्र के विदेश मंत्री अहमद अबुल घेत ने अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत के इस फैसले पर बडी चिंता व्यक्त की । उन्होंने कहा कि इस कार्रवाई से सूडान की सुरक्षा व स्थिरता को हानि पहुंचेगी ।उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से आपात बैठक बुलाकर अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत के फैसले को टालने की अपील की ।सूडान स्थित रूसी राष्ट्रपति के विशेष दूत ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय फौजदारी अदालत की इस कार्रवाई से एक खतरनाक मिसाल स्थापित हुई है ,जो सूडान यहां तक कि पूरे क्षेत्र की स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव डालेगी ।