सन् 699, लोन गोंगरन हजारों लोगों को लेकर थांग राजवंश में जा मिले। थांग दरबार उन्हें आदरनीय मेहमान समझता था, और उस ने गोंगरन को आनक्वो राजकुमार की उपाधि प्रदान की और उसे अहम पद पर नियुक्त किया । गोंगरन भी लम्बे समय तक वफादारी के साथ थांग राजवंश की सेवा करता रहा । थांग राजवंश और थुबो के बीच हुए युद्ध के दौरान उस ने थुबो सेना के हजारों सिपाहियों को समझा कर हथियार डलवाने का काम किया, जिस से थांग और थुबो के बीच खूनी युद्ध टल गया ।
उपरांत, चीन के उत्तरी भाग में तुर्क कबीला की सेना ने थांग राजवंश के खिलाफ विद्रोह किया, थांग दरबार ने लोन गोंगरन को सेना लेकर विद्रोह को शांत करने भेजा। गोंगरन ने इस मुहिम में शानदारि विजय पायी, जिस के कारण कुछ ही वर्षों में उस की अनेक पदोन्नति हुई । ऐतिहासिक उल्लेख के अनुसार गोंगरन सेना संचालन में निपुण था और उस की सेना अनुशासित और एकताबद्ध थी । लोन गोंगरन ने थांग राजवंश के कुल चार सम्राटों को सेवा दी थी, अनेक बार सेना का नेतृत्व कर तुर्क कबीलों पर फतह पायी , उस के कारनामे उल्लेखनीय थे और थांग राजवंश में बेहद नामी था । उस ने मध्य चीन की शांति के लिए असाधारण योगदान दिया था और थांग राजवंश की शोभा बढ़ायी थी।
सन् 723 में 60 वर्षीय लोन गोंगरन का बीमारी के कारण देहांत हो गया । उस के निधन के बाद थांग राजवंश ने उसे पाछ्वान उपाधि प्रदान कर भव्य शोक सभा बुलायी , उस की समाधि राजधानी सीआन के दक्षिण उपनगर में बनायी गयी और थांग राजवंश का इतिहास नामक पुस्तक में उस की जीवनी कलमबद्ध की गयी । उस की संतानों को भी सरकारी पदों पर नियुक्त किया गया और उन के साथ उदार व्यवहार किया गया। लोन गोंगरन ने मध्य चीन में 24 सालों तक जीवन बिताया ,वह चीन के भीतरी इलाके में सर्वप्रथम उच्च सेनानायक बनने वाला तिब्बती लोग था।
युन राजवंश का राजनीतिज्ञ सांगगे
चीन के इतिहास में केन्द्रीय राजवंश में प्रधान मंत्री का पद संभाले वाला तिब्बती अधिकारी सांगगे था। सांगगे का जन्म वर्तमान तिब्बत के छांगतु इलाके में हुआ था। बालास्था में वह होशियार और अध्ययनशील था, उस ने तिब्बती, मंगोलियाई और हान भाषा सीखी । सन् 1265, सांगगे वीचांग ( वर्तमान तिब्बत स्वायत्त प्रदेश) का अनुवादक अफसर बना।
सांगगे अनेक बार चीन के युन राजवंश के सम्राट के पास काम करने भेजा गया था। वह युन राजवंश के प्रथम सम्राट खुबेले खान को बहुत पसंद आया। उसे केन्द्रीय दरबार में पद संभालने के लिए बुलाया गया। सांगगे युन दरबार में श्रेष्ठ सेवा करता था और अनेक पदों पर नियुक्त किया गया था । अंत में वह पदोन्नति कर थुबो मामला देखने वाला वरिष्ठ अधिकारी नियुक्त किया गया। 1277 में सांगगे ने सेना लेकर वीचांग इलाके के भीतरी उपद्रव को शांत कर दिया और वहां के रक्षा कार्य को मजबूत किया और सरकारी यात्री सरायों का नया इंतजाम किया ,जिससे तिब्बत में युन राजवंश का शासन सुदृढ़ कर दिया गया।
युन राजवंश की राजधानी लौटने के बाद सांगगे ने देश की खराब वित्तीय स्थिति सुधारने के लिए अनेक अच्छे सुझाव पेश किये और बड़ी मात्रा में सरकारी संस्थाओं के वित्तीय घाटे का पता लगाया । परिणामस्वरूप वह खुबेले खान का विश्वसनीय पात्र बन गया। सन् 1287, सांगगे राजवंश के प्रधान मंत्री के पद पर नियुक्त हुआ। चीन के इतिहास में केन्द्रीय सरकार में प्रधान मंत्री बनने का प्रथम तिब्बती शख्स हो गया ।
प्रधान मंत्री का पद संभालने के बाद सांगगे ने लगन से काम किया और बड़े पैमाने पर दुष्ट अधिकारियों का छांटवारा किया, श्रेष्ठ अधिकारियों को नियुक्त किया , वित्तीय मामले का ठीकठाक किया और आर्थिक पुनरूत्थान किया । लेकिन सांगगे के सिलसिलेवार प्रयासों से तत्काल के ऊपरी तबके के मंगोल कुलीन अधिकारियों के हितों को क्षति पहुंची, उन्हें सांगगे से बड़ी नफरत हुई और उस पर अभियोग लगाया गया और प्रधान मंत्री का पद संभालने के चार साल बाद उसे पद से हटा कर जेल में डाला गया और वहीं जेल में उस की मौत हुई।
सांगगे तिब्बती जाति के बुद्धिमान और कार्यकुशल अधिकारी था, वह साधारण अनुवादक से उन्नति कर प्रधान मंत्री की कुर्सी पर बैठ गया और तत्कालीन केन्द्रीय राजवंश के दरबार में शक्तिशाली हस्ती बन गया, जिस ने तिब्बत पर केन्द्रीय सरकार के शासन को मजबूत करने में असाधारण योगदान किया।