2009-02-27 14:00:21

आधुनिक समाज के तेज विकास की प्रक्रिया के दौरान परंपरागत ग्रामीण सांस्कृतिक अवशेष का कैसे संरक्षण करने पर चीनी समाज के विभिन्न जगतों का ध्यान केंद्रित है

कुछ दिन पहले आयोजित चीनी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक कस्बे व गांव की नाम वितरण रस्म में चीनी राष्ट्रीय अवशेष ब्यूरो के उपप्रभारी थोंग मिंग खांग ने परिचय देते हुए कहाः

2003 से अब तक क्रमशः 251 कस्बों व गांवों को सुप्रसिद्ध चीनी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक कस्बों व गांवों की सूची मे शामिल किया गया है और इन की संरक्षण व्यवस्था आम तौर पर स्थापित हो गयी है। उन के संरक्षण की स्थिति व वातावरण में स्पष्ट सुधार आया है।

दक्षिण-पूर्वी चीन के चे च्यांग प्रांत के थोंग श्यांग शहर की वू जेन कस्बा 2003 में पहले खेप वाले सुप्रसिद्ध ऐतिहासिक व सांस्कृतिक कस्बों व गांवों के लिए चुना गया है। नदी और जल राशि से घिरे वू जेन कस्बे में नदी के किनारे पर कतारों में प्राचीन मकान खड़े हुए नजर आते हैं, सभी द्वार नदी की तरफ मुख करते हैं और पानी से घिरी छोटी बस्ती का समां बन जाता है । कस्बे में हजार सालों की ऐतिहासिक संस्कृति, रंगबिरंगे रीति रिवाज, गाढ़ी मानवी सभ्यता और परंपरागत जीवन शैली सुरक्षित है, जिस से वू जेन कस्बा पूर्व की प्राचीन सभ्यता का जीता जागता प्रतिनिधित्व करता है। चीनी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक कस्बे व गांव की सूची में शामिल किये जाने के बाद वू जेन के संरक्षण में बड़ी पूंजी लगायी गयी है और पर्यटन उद्योग का सफल विकास किया गया । अब हर साल वू जेन 30 लाख चीनी व विदेशी पर्यटकों का स्वागत सत्कार करता है। वू जेन भी चीन के दस सर्वश्रेष्ठ मोहक प्राचीन कस्बों में से एक बन गया।

चीनी आवास, शहरी व ग्रामीण निर्माण मंत्रालय के उपमंत्री श्री छुन बाओ शिंग ने कहा कि ऐतिहासिक व सांस्कृतिक कस्बे व गांव चीन के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक अवशेषों का अहम भाग है। इन की ठोस रूप से संरक्षण करना राष्ट्रीय संस्कृति की विरासत को सुरक्षित व विकसित करने का महत्वपूर्ण आधार है और स्थानीय आर्थिक व सामाजिक विकास बढ़ाने के लिये अत्यन्त अहम है। उन्होंने कहाः

मशहूर ऐतिहासिक कस्बों व गांवों का संरक्षण करना और उन का विकास करना हमारे देश की श्रेष्ठ संस्कृति व स्थानीय आर्थिक व सामाजिक विकास केलिये अहम भूमिका निभाएगा।

सूत्रों के अनुसार वर्तमान में चीन की विभिन्न स्तरीय सरकारें भी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक कस्बा व गांव चुन रही हैं और संबंधित संरक्षण कदम उठा भी रही हैं। लेकिन विभिन्न जगहों में तेज आर्थिक निर्माण के दौरान ऐतिहासिक कस्बों व गांवों के संरक्षण में अनेक कठिनाइयां व समस्याएं भी मौजूद हैं। उदाहरण के लिये कुछ स्थान विकास को महत्व देते हैं और ऐतिहासिक अवशेषों के संरक्षण की उपेक्षा करते हैं, जिस से प्राचीन वास्तु निर्माणों को कुछ न कुछ नुक्सान पहुंचा है। इस के अलाला बहुत से प्राचीन वास्तु निर्माण जीर्ण पुराने हो गए और उन में सुरक्षा की बड़ी आशंका निहित हुई है।

आर्थिक विकास व सांस्कृतिक संरक्षण के बीच अन्तरविरोध को अच्छी तरह हल करने के लिये चीन ने 2008 की जुलाई से ऐतिहासिक व सांस्कृतिक कस्बों व गांवों की संरक्षण नियमावली लागू करना शुरू किया, जिस के तहत मशहूर शहरों, कस्बों व गांवों के संरक्षण में स्थानीय सरकारों की जिम्मेदारी बढ़ायी गयी है। चीनी आवास, शहरी व ग्रामीण निर्माण मंत्रालय व राष्ट्रीय अवशेष ब्यूरो दोनों ने कहा कि ऐतिहासिक व सांस्कृतिक कस्बों व गांवों के संरक्षण की कानून व्यवस्था को और संपूर्ण की जाएगी और प्रसिद्ध कस्बों व गांवों के बारे में सूचना प्रबंध और निगरानी व्यवस्था कायम की जाएगी और संरक्षण को तकनीकी सेवा देने की पद्धति स्थापित की जाएगी ताकि आधुनिक समाज में चीन के मशहूर प्राचीम कस्बों व गांवों का स्वस्थ संरक्षण व विकास हो सके। (रूपा)