उत्तर चीन के थ्यान जिन शहर के तहत यांग ल्यू छिंग कस्बे का इतिहास बहुत पूराना है, यहां नव वर्ष के लिए काष्ठ छापे से बनाये जाने वाले यांग ल्यू छिंग शैली के चित्र चीन व विदेश में बहुत प्रसिद्ध है। यांग ल्यू छिंग के चित्र चीनी राष्ट्र के परंपरागत वसंत त्योहार मनाने के लिये आवश्यक सजावट की कलाकृति है, जिस में चीनी परंपरागत संस्कृति की अभिव्यक्ति हुई है। यांग ल्यू छिंग चित्र का इतिहास 400 साल हो गया है और वह उत्तर चीन में त्योहार के लिए चित्र कला का प्रतिनिधित्व करता है, जिस ने विभिन्न स्थानों के समान किस्म के चित्र कला पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला है। इस के अलावा यांग ल्यू छिंग कस्बे में पतंग व प्रस्तर तराशी आदि ग्रामीण कलाएं भी विविधतापूर्ण और लोकप्रिय हैं। कस्बे में बहुत से प्राचीन वास्तु शैली के प्राचीन मकान और आंगन प्रांगन देखने को उपलब्ध होते हैं । कुछ दिन पहले यांग ल्यू छिंग को चौथे खेप वाले चीनी ऐतिहासिक सांस्कृतिक कस्बा व गांव चुना गया है और राष्ट्रीय सांस्कृतिक अवशेष की संरक्षण व्यवस्था में शामिल किया गया है।
चीनी सांस्कृतिक अवशेष अनुसंधान अकादमी के जनरल इंजीनियर श्री हो वी तोंग ने चीनी ऐतिहासिक सांस्कृतिक कस्बे व गांव चुनने के काम में भाग लिया । उन्होंने परिचय देते हुए कहा कि केवल ऐसे कस्बा या गांव , जिस में सांस्कृतिक अवशेष समृद्ध है और ऐतिहासिक मकान बेशुमार एकत्र है तथा पारंपरिक शैली व ऐतिहासिक दृश्य सुरक्षित है या क्षेत्रीय सांस्कृतिक विशेषता व जातीय विशेषता प्रतिबिंबित होती है, विख्यात ऐतिहासिक सांस्कृतिक कस्बे और गांव के लिए आवेदन दे सकता है। उन्होंने कहाः
चीन के प्रसिद्ध ऐतिहासिक सांस्कृतिक कस्बे व गांव की नामसूची में शामिल होने के लिए कस्बे या गांव में प्राचीन या पुरातन मकानों की संख्या निश्चित मात्रा पर पहुंचना जरूरी है, इस के अतिरिक्त कस्बे या गांव की अपनी विशेषता भी होनी चाहिये जिसे दूसरे स्थानों से स्पष्टतः भिन्न होना चाहिए।
सौ या हजार सालों तक मौजूद कस्बों व गांवों से चीन के विभिन्न क्षेत्रों, विभिन्न जातियों और विभिन्न आर्थिक व सामाजिक विकास और परिवर्तन की प्रक्रिया प्रतिबिंबित होती है और परंपरागत रीति रिवाज व श्रेष्ठ वास्तु कला जाहिर होती है, वे संरक्षण व अध्ययन करने के योग्य हैं । चीनी राष्ट्रीय अवशेष ब्यूरो और आवास व शहरी ग्रामीण निर्माण मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित चीनी ऐतिहासिक सांस्कृतिक कस्बा व गांव चुनने की गतिविधि का उद्देश्य ऐतिहासिक सांस्कृतिक कस्बों व गांवों की संरक्षण व्यवस्था की स्थापना करना है।(रूपा)