2009-02-25 16:32:56

तिब्बत के ऐतिहासिक व्यक्ति---तिब्बती भाषा के अक्षर संस्थापक टोमे साम्बोज़ा

ईस्वी सात शताब्दी में सोंगजान कानबू ने वर्तमान तिब्बत क्षेत्र में एकीकृत थूपो राजवंश की स्थापना की । विभिन्न जातियों के बीच आवाजाही, सामाजिक विकास तथा शासन के लिए राजा सोंगजान कानबू ने अक्षर के महत्व को महसूस किया । उन्होंने अक्षरों की रचना के लिए कई बार दूसरी जगहों से मदद ली लेकिन किसी न किसी कारण से विफल हुए । बाद में राजा सोगजान कानबू ने टोमे साम्बोज़ा समेत 16 बुद्धिमान युवाओं को अक्षर सीखने के लिए थ्येनचू यानी आज के भारत में भेजा। टोमे साम्बोज़ा का जन्म तिब्बत के लोका क्षेत्र में हुआ और उन के पिता जी राजा सोगजान कानबू के मंत्री थे ।

 भारत की जलवायु बहुत गर्म है इस तरह ठंडे पठार से आने वाले 16 युवाओं में 15 की मृत्यु क्रमशः हो गई । अंत में सिर्फ़ टोमे साम्बोज़ा वहां पढ़ाई करते डटे रहे । वे बहुत मेहनत से पढ़ते थे और श्रेष्ठ अंक प्राप्त किए । इस तरह भारतीय लोगों ने उन के सम्मान में उन्हें साम्बोज़ा कहा, मतलब बुद्धिमान तिब्बती । तीन वर्ष के बाद टोमे साम्बोज़ा स्वदेश लौटे । उन्होंने भारत में सीखी भाषा को तिब्बती भाषा के साथ मिलाकर तिब्बती अक्षर रचे, जिस का प्रयोग कर तिब्बति भाषा का उच्चारण कर सकते हैं । ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार टोमे साम्बोज़ा द्वारा तिब्बती अक्षर रचने के बाद राजा सोंगजान कानबू बहुत खुश हुए । उन्होंने तिब्बतियों को तिब्बती भाषा सीखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए खुद टोमे साम्बोज़ा को अध्यापक मानकर उन से सीखा था । राजा सोगजान कानबू ने अपने राजनीतिक मामलों के निपटारे के लिए कई मंत्री रखे और विशेष तौर पर चार साल टोमे सामेबोज़ा से तिब्बती भाषा सीखी । इस के बाद तिब्बती भाषा का प्रसार किया गया। टोमे साम्बोज़ा ने कई तिब्बती व्याकरण लेख लिखे और 20 से ज्यादा बौद्ध सूत्रों का अनुवाद किया । उन्होंने तिब्बत के आसपास के क्षेत्रों के बौद्ध धर्म के क्लासिकल सूत्रों और विभिन्न सांस्कृतिक पुस्तकों को तिब्बती बहुल क्षेत्रों तक पहुंचाया । इस तरह तिब्बत जाति का इतिहास एक सभ्यता वाली नई मंजिल पर पहुंचा । आज तिब्बती भाषा का प्रयोग तिब्बती बहुल क्षेत्रों में व्यापक तौर पर किया जा रहा है और तिब्बती भाषा सिखाने वाले स्कूल सारे तिब्बती बहुल क्षेत्र में फैले हुए हैं ।