चरवाहा बाच्वो ने कहा कि पहले वे लोग पहाड़ों पर रहते थे, अब कर्मू शहर में रहते हैं और जीवन स्थिति में बड़ा परिवर्तन आया है। उन के बच्चे भी घर के पास की जातीय प्राइमरी स्कूल में पढ़ पाता है। इतना ही नहीं, उन्हें ग्रामीण सहयोगी चिकित्सा की गारंटी भी मिली है।