तिब्बत के लोकतांत्रिक सुधार के 50 सालों के बारे में प्रदर्शनी 24 तारीख को पेइचिंग में उद्घाटित हुई, यह तिब्बत के लोकतांत्रिक सुधार के बारे में देश की प्रथम विशाल प्रदर्शनी है। प्रदर्शनी में फोटो, चित्रों, वस्तुओं और ऐतिहासिक दस्तावेजों के माध्यम से तिब्बत के लोकतांत्रिक सुधार के बाद पिछले 50 सालों में प्राप्त भारी उपलब्धियां दर्शायी गयी जिस से दर्शकों को तिब्बत के विकास के बारे में विस्तृत जानकारी मिल सकेगी।
वर्ष 1951 में चीन की केन्द्रीय सरकार और तिब्बती स्थानीय सरकार के बीच तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति के बारे में समझौता संपन्न हुआ । इसके बाद तिब्बत की तत्कालीन वास्तविक स्थिति के मुताबिक तिब्बत में तुरंत सामाजिक व राजनीतिक सुधार नहीं किया गया। लेकिन 1959 के मार्च में दलाई नित तिब्बती प्रतिक्रियावादी उच्च वर्गीय गुट ने तिब्बत में राजनीतिक व धार्मिक मिश्रित भूदास व्यवस्था को सदा के लिए बनाए रखने की कुचेष्टा में धृष्ठतापूर्वक सशस्त्र विद्रोह छेड़ दिया । केन्द्रीय सरकार ने दलाई गुट के सशस्त्र उपद्रव को शांत करने के बाद तिब्बत में लोकतांत्रिक सुधार शुरू किया और पूरी तरह तिब्बत की राजनीतिक व धार्मिक मिश्रित भूदास व्यवस्था का खात्मा कर दिया, इस तरह तिब्बत के दस लाख भूदासों को पुरानी अंधेरामय सत्ता से मुक्ति प्राप्त हुई ।
इस साल तिब्बत के लोकतांत्रिक सुधार की 50वीं वर्षगांठ है। इस मौके पर तिब्बती लोकतांत्रिक सुधार के बारे में प्रदर्शनी लगाने का भारी महत्व है। प्रदर्शनी की उद्घाटन रस्म में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केन्द्रीय कमेटी के प्रचार विभाग के मंत्री ल्यू युन शान ने कहा कि तिब्बत का ख्याल करने वाले सभी लोग यह मानते हैं कि लोकतांत्रिक सुधार के बाद पिछले 50 सालों में तिब्बती जनता में मालिक की हैसियत से नया समाज व नया जीवन विकसित करने का भारी उत्साह उभरा और केन्द्र व समूची जनता के समर्थन में आधुनिक निर्माण में एक के बाद एक करिश्मा तैयार कर दिखाया गया। उन्हों ने कहाः
इतिहास से साबित हुआ है कि यदि लोकतांत्रिक सुधार नहीं होता, तो व्यापक तिब्बती श्रमिकों की मुक्ति नहीं हो सकती, तिब्बत में सामाजिक विकास का छलांग नहीं हो सकता और आज का सुन्दर जीवन नहीं होता। केवल चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व, चीनी विशेषता वाले समाजवादी रास्ते और जातीय क्षेत्रीय स्वायत्त नीति पर कायम रहने से ही एकताबद्ध, खुशहाल और लोकतांत्रिक नए तिब्बत का विकास हो सकता है।
मौजूदा प्रदर्शनी में बेशुमार सामग्रियों से साबित किया गया है कि तिब्बत प्राचीन काल से चीन का एक अभिन्न भाग रहा है । प्रदर्शनी में पुराने तिब्बत की राजनीतिक व धार्मिक मिश्रित सामंती भूदास सत्ता के अंधेरे और निष्ठुरता और तिब्बती प्रतिक्रियावादी उच्च वर्गीय गुट द्वारा वर्ष 1959 में सशस्त्र विद्रोह छेड़े जाने का ऐतिहासिक तथ्य प्रदर्शित हुए और लोकतांत्रिक सुधार के बाद पिछले 50 सालों में तिब्बत में हुए भारी परिवर्तन जाहिर हो गया। प्रदर्शनी से दर्शकों को सच्चे और विकासशील नए तिब्बत की असलियत प्राप्त होगी। इस के बारे में चीनी तिब्बतविद अनुसंधान केन्द्र के चु श्याओ ह्वी ने कहाः
इस प्रदर्शनी से विदेशों को यह साफ साफ बताया जाएगा कि असली तिब्बती इतिहास क्या है और दलाई लामा का असली चेहरा कैसा है। बहुत से पश्चीमी लोग नहीं जानते हैं कि दलाई अखिरकार किस प्रकार के लोगों के हितों का प्रतिनिधित्म करते हैं और दलाई के शासन काल में पुराने तिब्बत की असली स्थिति कैसी है। इस प्रदर्शनी से विश्व को तिब्बत की असलियत बतायी जा सकती है।
सुश्री फुपुच्वोमा तिब्बती है, उन्हों ने प्रदर्शनी में बेशुमार सामग्रियां देख कर कहाः
इस प्रदर्शनी से मुझे खासा झटका पहुंचा, हमें असली तिब्बत जानने और समझने का मौका मिला है। मेरे पितामह सभी तिब्बत में रहते थे, हमें पता है कि तिब्बत में नए और पुराने जीवन में जमीन आसमान का फर्क है। पुराने तिब्बत में तिब्बतियों को पर्याप्त खाना पहनना नसीब नहीं था और जीवन अत्यन्त दुभर था। नए तिब्बत में कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में तिब्बती लोग पुराने जमाने के कुलीन लोगों से भी अच्छा जीवन बिताते हैं। इस प्रदर्शनी से यह सब बदलाव जाहिर हुआ है, बहुत अच्छा है ।
सूत्रों के अनुसार यह प्रदर्शनी डेढ महीने तक चलेगी, प्रदर्शनी तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति, सशस्त्र विद्रोह का दमन, तिब्बत का लोकतांत्रिक सुधार, 50 सालों में एकीकरण व विभाजन तथा प्रगति व प्रतिक्रियावाद के बीच संघर्ष और आर्थिक सामाजिक विकास व मानवाधिकार की प्रगति पांच मुख्य विषयों पर है, जिस में 500 फोटो चित्र और 180 से ज्यादा वस्तुएं और ऐतिहासिक दस्तावेज तथा ओडियो विडियो प्रसारण हैं ।
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