पुराने तिब्बत में तिब्बी लोग भूखमरी व बेघरबारी से पीड़ित रहते थे। नए तिब्बत में लोग सुख-चैन से रहते हैं।
लोकतांत्रिक सुधार से पहले 10 लाख तिब्बती लोगों में से 9 लाख लोगों का अपना आवास नहीं था। पुराने तिब्बत में 5 प्रतिशत जन संख्या वाले सरकारी अधिकारियों, कुलीन वर्ग और मठों के उच्च स्तरीय भिक्षु तिब्बत की करीब सारी खेतीयोग्य भूमि, घासमैदान और अधिकांश पशु व आवास पर कब्जा करते थे । बहु संख्यक भूदासों ने एक जूता खरीदने का सपना देखने का साहस भी नहीं था। आवास के लिए वे कभी भी नहीं सोच सकते।
लोकतांत्रिक सुधार के बाद पिछले 50 सालों के विकास के बाद अब तिब्बत स्वायत्त प्रदेश में 98.7 प्रतिशत से अधिक कृषकों व चरवाहों का अपना अपना आवास उपलब्ध है। (ललिता)