77 वर्षीय वांग छए यो चीनी जन मुक्ति सेना के दूसरे फिल्ड कोर की 18वीं आर्मी के तत्कालीन जवान थे। 1950 के अक्तूबर में 18 वर्षीय वांग छएयो 18वीं आर्मी के अग्रिम दस्ते के एक सदस्य के रूप में तिब्बत आए। इस के बाद वे तिब्बत में 59 सालों तक बीते। श्री वांग छएयो ने अंधेरे व पिछड़े हुए तिब्बत को भी देखा और बड़े परिवर्तित हुए नए तिब्बत को भी देखा। वे तिब्बत में जमीन आसमान के परिवर्तन का साक्षी हैं।
तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की निंग छी काउंटी के पा-यी कस्बे में स्थित एक छोटे आंगन में हमने श्री वांग छएयो और उन की पत्ती से बातचीत की। अब वे वृद्धावस्था में सुखचैन का जीवन बिता रहे हैं।
पुराने तिब्बत की चर्चा करते हुए श्री वांग छेयो ने कहा कि पुराने समय में तिब्बती लोगों का जीवन बहुत दुभर था, पर्याप्त खाना और कपड़ा उपलब्ध नहीं था। इस के अलावा वे तीन प्रमुख जागीरदारों के लिए अनगिनत बेगार और लगान देते थे। हमारी याद में पुराना तिब्बत अत्यन्त बेहाल और पिछड़ा था। पुराने तिब्बत में सदियों से प्रचलित राजनीतिक व धार्मिक मिश्रित शासन व्यवस्था से समाज का अर्थतंत्र व संस्कृति बहुत पिछड़ा था। उत्पादन तरीके की खराब स्थिति के कारण एक बीघा जमीन में 45 किलो बीज बोया जाने के बाद मात्र 220 किलो अनाज की पैदावार हो सकती थी।
लेकिन लोकतांत्रिक सुधार, विशेषकर सुधार व खुलेपन की नीति लागू होने के बाद पिछले 30 सालों में तिब्बत में बड़ा परिवर्तन हुआ। लोगों के उत्पादन व जीवन की स्थिति में बड़ा सुधार आया। श्री वांग छएयो ने कहा कि अब तिब्बत देखो, यहां बेशुमार किसान व चरवाहे अपनी अपनी कार चला रहे हैं, उन के बड़े व हवादार मकान बंगले की तरह सुन्दर और भव्य हैं, उन के जेब भी भरे हुए हैं। हमारे परिवार की तीन पीढ़ियां तिब्बत में ही रहती हैं। ऑक्सीजन की कमी छोड़ कर यहां सब कुछ पर्याप्त मिलता है। (ललिता)
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