1 अक्तुबर वर्ष 1949, चीन लोगगणराज्य की स्थापना हुई
16 अक्तुबर वर्ष 1949, चीनी जन मुक्ति सेना तिब्बत में प्रवेश
17 नवम्बर वर्ष 1950, 15 वर्षीय चौदहवीं दलाई लामा
23 मई वर्ष1951, चीन की केंद्र सरकार और तिब्बत की स्थानीय सरकार के बीच सत्रह समझौते की हस्ताक्षरित रस्म पेइचिंग में
24 अक्तुबर वर्ष 1951, दलाई लामा माओ त्सेतुंग के नाम तार भेजकर सत्रह समझौते के समर्थन को कहा
वर्ष 1954 के शरत ऋतु में, दलाई लामा और पंचन लामा ने तिब्बती जनता के प्रतिनिधियों के रूप में पेइचिंग में आयोजित प्रथम राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा में भाग लिया, उन्हें राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि की स्थाई कमेटी के अपाध्यक्ष चुने गए
22 अप्रेल वर्ष 1956, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना की तैयारी समिति स्थापित हुई, दलाई लामा समिति के निदेशक बने
10 मार्च वर्ष 1959, तिब्बत के अच्च स्तरीय शासन गुट ने सशस्त्र विद्रोह किया, जिस का षड़यंत्रण तिब्बत को मातृभूमि से अलग करना है
17 मार्च वर्ष 1959, दलाई लामा भारत में भागा और बाद में धर्मशाला में पहुंचा
28 मार्च वर्ष 1959, चीनी राज्य परिषद ने तिब्बत की पूरानी सरकार को भंग करने का एलान किया, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना वाली तैयारी समिति तिब्बत के स्थानीय प्रशासन करने लगी । केंद्र सरकार और समिति ने तिब्बती जनता का नेतृत्व कर सशस्त्र विद्रोह को समाप्त किया और लोकतांत्रिक सुधार लागू किया, जिस से तिब्बत में राजनीतिक व धार्मिक मिश्रित वाली सामंती भूदास व्यवस्था को खत्मा किया दस लाख भूदासों की मुक्ति हुई ।
वर्ष 1961 में तिब्बत के विभिन्न स्थलों में आम चुनाव आयोजित हुआ, मुक्ति पाने वाले भूदासों ने प्रथम बार अपना लोकतांत्रिक अधिकार का उपभोग किया ।
सितम्बर वर्ष 1965, तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना औपचारिक तौर पर हुई ।
चीन की केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों ने तिब्बत की शांतिपूर्ण मुक्ति वाली संधि पर हस्ताक्षर किए । पूर्व दायं ओर:ली वेईहान, चांग चिंगवू, चांग क्वोह्वा, सुन जीय्वान
चौदहवें दलाई लामा द्वारा सत्रह समझौते का समर्थन करने वाला तार
वर्ष 1951 के अक्तुबर माह में दलाई लामा द्वारा माओ त्सेतुंग के नाम भेजे गए तार
वर्ष 1954 के सितम्बर माह में राष्ट्राध्यक्ष माओ त्सेतुंग ने पेइचिंग में चौदहवें दलाई लामा(दायं) और दसवें पंचन लामा(पूर्व बायंओर दूसरा वाला) से भेंट करते हुए
प्रथम राष्ट्रीय जन प्रतिनिध सभा में चौदहवें दलाई लामा(दायं) और दसवें पंचन लामा(दायं ओर दूसरा वाला) मतदान करते हुए
छङ यी के नेतृत्व वाला केंद्रीय सरकारी प्रतिनिधि मंडल तिब्बत की स्थापना के लिए तैयारी समिति की स्थाना वाला सम्मेलन में भाग लेते हुए
वर्ष 1959, लोकतांत्रिक सुधार शुरू होने के बाद ताज़ी कांउटी में मुक्ति पाने वाले भूदास अपने शारीरिक स्वतंत्रता खो पाने वाले दस्तावेज़ों को ज्वलित करते हुए, उन्होंने एक पुराने काल और पुरानी व्यवस्था को आग लगाया ।