2009-02-20 10:48:51

सुरक्षा परिषद के सुधार का काम भारी

संयुक्त राष्ट्र महा सभा के 63 वें अधिवेशन ने 19 फरवरी को अपना अनौपचारिक पूर्णाधिवेशन बुलाया, जिस में सुरक्षा परिषद के सुधार के सवाल पर अन्तर्सरकारी वार्ता शुरू हुई । सुरक्षा परिषद के सुधार के बारे में मौजूदा दौर की वार्ता शुरू हुए 15 साल हो गए हैं। हालांकि वर्तमान में सुरक्षा परिषद के विस्तार की आवश्यकता पर करीब सभी देशों की एक्येमत है और सुधार तरीके के बारे में दस से ज्यादा प्रारूप निकले हैं, फिर भी किसी भी प्रारूप को सदस्य देशों का पर्याप्त समर्थन नहीं मिला है और विभिन्न पक्षों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार के तरीके और समय पर काफी मतभेद बनी रही ।

संयुक्त राष्ट्र संघ के 192 सदस्य देशों के प्रतिनिधियों ने मौजूदा अधिवेशन में भाग लिया और 50 देशों के प्रतिनिधियों ने भाषण दिया। संयुक्त राष्ट्र के संबंधित प्रस्ताव के मुताबिक अन्तर्सरकारी वार्ता पांच सवालों पर विचारार्थ चलेगी। यानी सदस्यता के वर्गीकरण, वीटो मसले, क्षेत्रों के लिए सीटों के बंटवारे, विस्तार के बाद सुरक्षा परिषद के पैमाने, कार्यशैली तथा सुरक्षा परिषद व महा सभा के संबंध पर वार्ता होगी। संयुक्त राष्ट्र महा सभा के वर्तमान अध्यक्ष ब्रोकमान ने सम्मेलन से पूर्व दिन विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के नाम लिखे एक पत्र में कहा कि प्रथम अन्तर्सरकारी वार्ता मार्च अप्रैल में होगी और मौके पर संयुक्त राष्ट्र महा सभा संबंधित मीटिंग बुलाएगी और उक्त पांच सवालों पर विचार विमर्श करेगी । दूसरे दौर की वार्ता मई में होगी।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सुधार का संयुक्त राष्ट्र के अस्तित्व व विकास, संगठन के विस्तार, वीटो अधिकार तथा लोकतांत्रिकीकरण तीन सवालों से संबंध रहा है। वर्तमान में सुरक्षा परिषद के 15 सदस्य हैं जिस में पांच स्थाई सदस्य और 10 अस्थाई सदस्य हैं। 1945 में संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के बाद सुरक्षा परिषद में सन् 1963 में एक बार सुधार किया गया , जिस के अनुसार परिषद में चार अस्थाई सदस्य बढ़ाये गए। मौजूदा दौर के सुधार के लिए 15 सालों तक विचार विमर्श किया गया है, जिस के दौरान जापान, जर्मनी, ब्राजील और भारत ने सुरक्षा परिषद की स्थाई सदस्यता पाने के लिए बार बार कोशिश की, किन्तु अब तक इस क्षेत्र में कोई सारतत्वीय प्रगति प्राप्त नहीं हुई।

संयुक्त राष्ट्र महा सभा के 62वें अधिवेशन में पिछले साल एक प्रस्ताव पारित कर यह निर्णय लिया गया कि कम से कम 2009 की 28 फरवरी तक 63वें अधिवेशन के दौरान अनौपचारिक सम्मेलन के रूप में सुरक्षा परिषद के न्यायोचित प्रतिनिधित्व और सदस्यों की संख्या में वृद्धि के सवाल पर वार्ता शुरू की जाएगी। प्रस्ताव ने विभिन्न सदस्य देशों से मांग की कि वे ईमानदारी, आपसी सम्मान, खुलेपन, सहिष्णुता तथा पारदर्शिता के साथ सब से व्यापक समर्थन पाने वाले समाधान का तरीका ढूंढने की कोशिश करें। बीते कुछ महीनों में संयुक्त राष्ट्र महा सभा ने दो मीटिंग बुलाई थी, जिन में वार्ता के उसूल, लक्ष्य व कार्यविधि पर सलाह मशविरा किया गया । सुरक्षा परिषद के विस्तार सवाल पर वार्ता के समन्वक, संयुक्त राष्ट्र स्थित अफगान प्रतिनिधि जाहिर तानिन ने हाल ही में कहा कि वर्तमान में सुरक्षा परिषद का सुधार सवाल पहले के सलाह दौर से वार्ता के दौर में दाखिल हो गया है।

स्थाई चीनी प्रतिनिधि चांग येश्वी ने 19 तारीख को अनौपचारिक पूर्णाधिवेशन में भाषण देते हुए कहा कि चीन सुरक्षा परिषद के उचित व अवश्य सुधार का समर्थन करता है और इस पर बल देता है कि सुधार में विकासशीलस, खास कर अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधित्व पर प्राथमिकता दी जानी चाहिए, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना के बाद अब तक सदस्य देशों की संख्या पहले के 51 से बढ़ कर 192 हो गयी है, जिन में अधिकांश सदस्य विकासशील देशों के हैं। वर्तमान सुरक्षा परिषद का ढांचा संयुक्त राष्ट्र संघ में विकासशील देशों की बहुमतता की राजनीतिक वास्तविकता प्रतिबिंबित नहीं कर सकता और सुरक्षा परिषद में विकासशील देशों के प्रतिनिधित्व की समस्य को हल करना निहायत जरूरी है।

चीनी प्रतिनिधि चांग येश्वी ने कहा कि वर्तमान परिवर्तन मुख्यतः कार्य मंच का परिवर्तन है यानी पहले के सुरक्षा परिषद सुधार के जिम्मेदार समन्वय दल से अन्तर्सरकारी वार्ता में आया। उन्हों ने कहा कि सुरक्षा परिषद का सुधार 192 सदस्य देशों के हितों से जुड़ा है जो एक जटिल व संवेदनशील मामला है। सुधार का दौर लम्बा है । चीन आशा करता है कि विभिन्न पक्ष संजिदगी व धैर्य से वार्ता करेंगे और अंत में सभी के लिए स्वीकार्य मसौदा प्राप्त होगा।

19 तारीख के विचार विमर्श और भाषणों से देखा जाए, तो विभिन्न पक्षों ने अपना अपना पुराना रूख दोहराया और उन के रूखों में मूल बदलाव नहीं आया। सुधार सवाल की जटिलता व संवेदनशीलता की दृष्टि से सुरक्षा परिषद के सुधार का रास्ता लम्बा और भारी होगा।