अफ्रीकी जनता के साथ हम हमेशा अच्छे भाई, अच्छे साथी रहेगें, यह चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने 16 तारीख को तान्जानीया की राजधानी दारेस्सालामू में चीन और अफ्रीका संबंध को लेकर दिए अपने व्याख्यान में चीन और अफ्रीका संबंध पर की गयी टिप्पणी है। 2009 के चीनी वसंत त्योहार के मौके पर श्री हू चिन थाओ ने अपनी पहली यात्रा माली, सेनेगल , तान्जानीया और मोरोशिस चार अफ्रीकी देशों से शुरू की। लोगों द्वारा कहलाई जाने वाली यह मैत्रीपूर्ण व सहयोग यात्रा ने लोगों को एक सच्ची महसूसता दिलाई है कि चीन और अफ्रीका सहयोग सर्वोतोमुखी व बहुस्तरीय ही नहीं बल्कि उसका क्षेत्र बेहद विशाल भी है, चीनी जनता और अफ्रीकी जनता आपसी विश्वासनीय व एक दूसरे पर निर्भर रहने वाले हर मौसम में खरे उतरने वाले दोस्त हैं।
अच्छे भाई, अच्छे साथी चीन और अफ्रीका की मैत्रीपूर्ण का एक एतिहासिक मधुर सारांश हैं। चीन और अफ्रीका की मित्रता बहुत पुरानी है। तीस साल पहले 50 हजार चीनी निर्माणकर्ताओं ने विशाल अफ्रीकी महाद्वीप में तान्जानीयाई और जाम्बीयाई जनता के साथ मिलकर हजारों कठिनाईयों को पार कर पूर्वी अफ्रीका व दक्षिण मध्य अफ्रीका को जोड़ने वाली रेलवे लाइन का निर्माण किया था। उनमें कुछ लोगों ने अपने प्राण इस अफीकी भूमि में न्यौछावर कर दिये हैं । राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने विशेष तौर से दारेस्सालामू स्थित चीनी विशेषज्ञ समाधि में जाकर चीनी शहीदों को श्रंद्धाजलि अर्पित की। तान्जानीया और जाम्बीया रेलवे लाइन चीनी जनता के अफ्रीकी जनता के प्रति खून पानी से ज्यादा गाढ़ा होने वाली भाईजन मैत्री का सबसे अच्छा मिसाल है।
पिछले कई सालों में चीन की केन्द्रीय व महत्वपूर्ण हितों के सवाल पर अफ्रीकी देश हमेशा से चीन को मूल्यावान समर्थन देते आए हैं, इस ने अफ्रीकी जनता के चीनी जनता के प्रति गहरी मैत्री भावना को दर्शाया है। 25 अक्टूबर 1971 में 26वीं संयुक्त राष्ट्र सभा ने चीन लोक गणराज्य के संयुक्त राष्ट्र की कानूनी स्थान की बहाली के प्रस्ताव को पारित किया, इस मौके पर बहुत से अफ्रीकी देशों के प्रतिनिधियों ने नाच गान से खुशियां मनायी । व्यापक एशियाई अफ्रीकी देशों के समान समर्थन से ही , नया चीन संयुक्त राष्ट्र में फिर से वापस लौट सका है।
2006 में चीन-अफ्रीका सहयोग मंच की पेइचिंग शिखर सम्मेलन में चीन और अफ्रीका ने राजनीतिक में समानता व आपसी विश्वास , अर्थतंत्र में सहयोग व समान लाभ हासिल करने तथा एक दूसरे की संस्कृति का आदान प्रदान करने की नवीन रणनीतिक साझेदार संबंध स्थापित की थीं। श्री हू चिन थाओ ने चीन सरकार की तरफ से अफ्रीका विकास को समर्थन देने से संबंधित 8 नीतिगत कार्यवाहियां की घोषणा भी की। इन में अफ्रीका के सबसे अविकसित देशों के उत्पादों की कर को माफ करने समेत चीन के साथ राजनयिक संबंध वाले देशों के कर्जों को माफ कर देना आदि मुददे शामिल हैं । इधर के दो सालों में इन 8 कार्यवाहियों को सतत रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है और सकारत्मक सफलताएं भी हासिल हुई हैं।
वर्तमान वित्तीय संकट पूरी दुनिया में फैल रहा है, वित्तीय संकट के सामने कुछ देशों ने अफ्रीकी सहायता में कटौती कर दी है, कुछ सहायता मुददों को भी टाल दिया है। वित्तीय संकट के विस्तृत होने की स्थिति के आगे चीन क्या कदम उठाएगा. इस का उत्तर देते हुए श्री हू चिन थाओ ने बलपूर्वक कहा कि कठिनाईयां जितनी जटिल होगी, चीन और अफ्रीका का आपसी समर्थन सहयोग उतना ही अधिक प्रबल होगा, हम एक साथ मिलकर कठिनाईयों का सामना करेगें।अफ्रीकी देशों का इमानदार मित्र होने के नाते, चीन संजीदगी से चीन और अफ्रीका मंच के पेइचिंग शिखर सम्मेलन में निर्धारित अनेक सहायता मुददों को मूर्त रूप देगा और हरसंभव कोशिशों से अफ्रीका को सहायता देने के साथ उनके कर्जों को कम या माफ करेगा तथा अफ्रीकी व्यापार व पूंजी निवेश को अधिक विस्तृत करेगा।
चीन ने अपनी वास्तविक व्यवहार से अपने वचनों का पालन किया है। इस महीने की 13 तारीख को माली की राजधानी पमाख का तीसरा बृहद पुल का निर्माण औपचारिक रूप से शुरू हो गया है। श्री हू चिन थाओ और माली के राष्ट्रपति तूअर ने मिलकर निर्माण की शुरूआत की रस्म में भाग लिया। लोगों ने ध्यान दिया होगा कि श्री हू चिन थाओ ने इस बार जिन चार अफ्रीकी देशों की यात्रा की है वे उर्जा, संसाधन प्रचुर देश नहीं हैं। जर्मनी के सुदेच्छे जएतुंग समाचार पत्र ने श्री हू चिन थाओ की इस बार की अफ्रीकी देशों की यात्रा पर टिप्पणी करते हुए कहा कि सबसे ध्यानाकर्षक बात यह है कि चीन ने अफ्रीका के अनेक देशों के साथ सर्वोतोमुखी साझेदार संबंध का विकास करने पर बल दिया है, इन में केवल उर्जा प्रचुर देशों की गिनती ही नहीं है, चीन ने अफ्रीकी देशों को सहायता व पूंजी निवेश को सुनिश्चत किया है, इस ने चीन के एक जिम्मेदाराना बड़े देश की मधुर छवि को निखारा है।
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