2009-02-17 10:19:37

तिब्बत स्वायत्त प्रदेश औपचारिक तौर पर स्थापना हुई

बाईस अप्रैल वर्ष उन्नीस सौ छप्पन को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना तैयारी कमेटी की स्थापना का समारोह ल्हासा के बृहद भवन में उद्घाटित हुआ, 14वें दलाई लामा ने उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता की और भाषण दिया। उन्हों ने अपने भाषण में कहा कि तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना तैयारी कमेटी की स्थापना इस का प्रतीक है कि तिब्बत क्षेत्र के कार्य एक नए दौर में दाखिल हो गये हैं। हमारा कार्य है कि तिब्बत के तमाम भिक्षुओं और जनता को एकजुट कर चीनी कम्युनिस्ट पार्टी व केन्द्रीय जन सरकार के नेतृत्व में तिब्ब के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कार्यों को कदम ब कदम विकसित करने, मातृभूमि की रक्षा को मजबूत करने तथा राजनीति में प्रगतिशील और समृद्ध व सुखमय नए तिब्बत का निर्माण करने के लिए प्रयास करें। हम तहेदिल से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और केन्द्रीय जन सरकार द्वारा जातीय क्षेत्रीय स्वशासन, जातीय समानता ,एकता व धार्मिक विश्वास की स्वतंत्रता की रक्षा की नीति का समर्थन करते हैं।

केन्द्रीय प्रतिनिधि मंडल के नेता, राज्य परिषद के उप प्रधान मंत्री छन ई ने समारोह में राज्य परिषद का आदेश पढ़ कर सुनाया और राज्य परिषद की ओर से दलाई लामा को अधिकार मुहर मुहैया किया। समारोह दस दिल चलने के बाद संपन्न हुआ और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना तैयारी कमेटी के प्रथम उपाध्यक्ष पंचन लामा ने समापन सम्मेलन की अध्यक्षता की और भाषण दिया।

स्वायत्त प्रदेश की स्थापना तैयारी कमेटी की स्थापना से तिब्बत में जातीय क्षेत्रीय स्वशासन लागू होने की दिशा में एक अहम कदम बढ़ाया गया, वह तिब्बत के प्रगति के रास्ते में मील का एक पत्थर है।

वर्ष 1959 में तिब्बत में प्रतिक्रियावादी शक्तियों के सशस्त्र विप्लव को शांत किये जाने के बाद पंचन लामा के नेतृत्व वाली तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना तैयारी कमेटी ने व्यापक भूदासों और ऊपरी तबके के देशभक्त व्यक्तियों की मांग पर जनवादी सुधार चलाने का फैसला लिया । उस समय तैयारी कमेटी ने पूर्ण रूप से जन समुदाय को गोलबंद कर दिया और तिब्बत के कृषि क्षेत्रों में बेगार रद्द किया गया और व्यक्तिगत गुलामी और सामंती विशेषाधिकार को खत्म कर दिया गया तथा लगान व कर वसूली में कटौती की गयी । चरगाह क्षेत्रों में संपत्तियों का बंटवारा नहीं किया गया और वर्गों का विभाजन नहीं किया गया, बल्कि चरगाह मालिकों के शोषण को कम कर दिया गया और चरवाहों और चरगाह मालिकों दोनों को लाभ मिलने की व्यवस्था की गयी । ये कदम सही होने और व्यापक जनसमुदाय का समर्थन मिलने के कारण उस साल के भीतर ही जनवादी सुधार का काम पूरा किया जा चुका था और विभिन्न स्तरों की जनवादी सरकारें भी कायम हुईं , भूदास व्यवस्था खत्म कर दी गयी और व्यापक भूदास अपने भाग्य का स्वयं स्वामी बन गए ।

जातीय क्षेत्रीय स्वशासन के कार्यान्वयन को बेहतर करने तथा मुक्त हुए व्यापक भूदासों को सच्चे मायने का जनवादी अधिकार दिलाने के लिए केन्द्रीय सरकार तथा तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना तैयारी कमेटी ने बुनियादी स्तर पर आम चुनाव कराने का फैसला लिया । सन् 1961 की तीसरी तिमाही से चीन के चुनान कानून और केन्द्र के बुनियादी स्तर के चुनाव कार्य के बारे में निर्देशन के मुताबिक पूरे तिब्बत में जनवादी चुनाव का प्रायोगात्मक काम किया गया ,जो बहुत सुभीता के साथ हुआ। 1965 तक पूरे प्रदेश में डिस्ट्रिक्ट और टाउनशिप व काऊंटी स्तरीय चुनाव सफल रहा और पूर्व गरीब भूदासों और गुलामों की प्रधानता वाली बुनियादी स्तरीय जन सत्ता स्थापित हुई ।

जनवादी सुधार से पहले तिब्बत में राजनीतिक अधिकारों और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से पूर्ण वंचित तथा भूदास मालिकों की नजर में बोल सकने वाले पशु समझने वाले गरीब किसानों और चरवाहों ने अपना स्वामित्व वाले राजनीतिक अधिकार को बेहद मूल्यवान समझा । उन्हों ने तिब्बत के इतिहास में हुए प्रथम चुनाव को एक असीम खुशगवार काम माना और बड़े उत्साह व संजीदा से जन प्रतिनिधियों के चुनाव में भाग लिया। मतदान के दिन सभी किसानों और चरवाहों ने अच्छा पोशाक पहन कर नाचना गाना करके त्यौहार सरीखी खुशी मनायी ।

लम्बे अरसे की तैयारी के बाद औपचारिक रूप से तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की स्थापना के लिए स्थिति परिपक्व हो गयी। केन्द्र की अनुमति पर 1 से 9 सितम्बर 1965 तक तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की प्रथम जन प्रतिनिधि सभा का प्रथम अधिवेश ल्हासा में आयोजित हुआ । उसे बधाई देने के लिए केन्द्रीय सरकार ने उप प्रधान मंत्री के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल भेजा। जन प्रतिनिधि सभा में 302 प्रतिनिधि उपस्थित हुए, जिनमें तिब्बती जातीय प्रतिनिधि 226 थे। मनपा, लोपा, ह्वी, नासि और नू आदि अल्पसंख्यक जातियों के 16 प्रतिनिधि थे, तिब्बती जाति और तिब्बत के अन्य अल्पसंख्यक जातियों के प्रतिनिधियों का अनुपात 80 प्रतिशत से अधिक था । इन प्रतिनिधियों में अधिकांश लोग भूदास व्यवस्था से मुक्ति मिले भूदास और गुलाम थे। प्रतिनिधियों में तिब्बत के ऊपरी तबकों के देशभक्त व प्रगतिशील व्यक्ति और धार्मिक व्यक्ति भी शामिल थे। नौ सितम्बर को तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की औपचारिक स्थापना हुई ,न्गापोइ न्गावांग जिग्मे तिब्बत स्वायत्त प्रदेश के प्रथम अध्यक्ष चुने गए।