रूंग चुंग अर्च्या चीन के तिब्बत स्वायत प्रदेश का गायक है। रूंग चुंग अर्च्या का जन्म दक्षिण-पश्चिम ची के स्छवान प्रांत के एक तिब्बती चरवाहा परिवार में हुआ। बचपन से उसे संगीत में रुचि रही है। 16 साल की उम्र में उन्होंने पहली बार मंच पर गीत पेश किया। इस के बाद उन के मन में एक संगीतकार बनने की इच्छा पैदा हुई। विश्वविद्यालय के चीनी भाषा विभाग से स्नातक की उपाधि प्राप्त करने के बाद उन्होंने अपने आप संगीत का आधारभूत ज्ञान हासिल किया और संगीत बनाने का अभ्यास किया। वर्ष 1994 में रूंग चुंग अर्च्या च्यो चाए क्यो अल्पसंख्यक जातीय कला मंडल में मुख्य गायक बन गए। इस के बाद उन्होंने स्छवान संगीत विद्यालय जैसे प्रसिद्ध संगीत विद्यालयों में संगीत की शिक्षा हासिल की। प्रसिद्ध संगीतज्ञ वांग फू लिंग उनके अध्यापक रहे हैं। रूंग चुंग अर्च्या ने 1991 से ले कर अब तक कुल 100 से अधिक गीतों की रचना की है। तिब्बती जातीय संगीत और आधुनिक संगीत के मेल से उन्होंने अपनी निजी शैली विकसित की है।
दोस्तो, अब सुनिए रूंग चुंग अर्च्या द्वारा गाया गया एक गीत, जिसका शीर्षक है—लाल पठार। यह 2000 में रूंग चुंग अर्च्या की जारी एल्बम का मुख्य गीत है। गीत में लाल पठार का आशय सुंदर लड़की के चेहरे से है। छिंगहाई तिब्बत पठार में रहने वाली तिब्बती लड़की के दोनों गाल सूर्य की रोशनी में दो लाल फूलों की तरह चमक रहे हैं। इस गीत का विषय है च्यो चाए क्यो में एक तिब्बती लड़के और लड़की के पहले प्यार की कहानी।
गीत के बोल हैं—तुम्हारा तंबू खुशियों से भरा हुआ है। पहले प्यार की याद मेरे मन में ताजा है। उस समय मुझे प्यार का अर्थ मालूम नहीं था। अब एक बार फिर मैंने देखा कि बीते समय की खुशियां हवा के साथ उड़ जाती हैं। मैं तुम्हें कहां ढूंढू?सुंदर लाल पठार और घी वाली चाय की खुशबु वैसी ही है। तुम्हारी बनाई जौ की शराब से पहले जैसा नशा आ रहा है। लाल पठार का रंग बहुत सुंदर है।
तिब्बती लोकगीत विश्व में प्रसिद्ध हों, रूंग चुंग अर्च्या की यह इच्छा है। सन 1994 से रूंग चुंग अर्च्या मे तिब्बत के चरवाहों के साथ रह कर उन का लोकसंगीत सीखा है। उन्होंने कहा कि मैं अपनी जातीय भाषा के लोकगीत गाता हूं और आधुनिक संगीत के साथ इसे मिलाकर सारी दुनिया में इसे फैलाना चाहता हूं।
2003 रूंग चुंग अर्च्या ने अपनी छठी एल्बम जारी की। चीन के प्रसिद्ध संगीतगार छन श्याओ छी ने इस एल्बम की प्रस्तुति और निर्माण में सहयोग दिया है। इस एल्बम के गीतों में अधिकाधिक फैशनेबल संगीत शैली देखी जा सकती है। रूंग चुंग अर्च्या द्वारा लिखा गया"आमी लोलो"गीत इस एल्बम का मुख्य गीत है। आमी लोलो तिब्बती शब्द है जिसका अर्थ है—मां की प्यारी बेटी। यह गीत रूंग चुंग अर्च्या ने विशेष तौर पर अपनी पत्नी और बेटी के लिए लिखा है।
गीत के बोल हैं—यह तुम्हारी पुकार है या मेरा इंतजार, मेरी प्यारी बेटी, तुम आ रही हो। हवा, बारिश में तुम धीरे-धीरे बड़ी हुई हो। आमी लोलो पहाड़ पर एक सुंदर फूल है और घाटी में घास है।
दोस्तो, इस कार्यक्रम के अंत में सुनिए यह गीत जिसका शीर्षक है—खिलता है गसांग। यह तिब्बती लोकगीत है। गसांग फूल पहाड़ पर खिलने वाला एक विशेष फूल है, जिसका अर्थ है—सुंदर प्यार।
गीत के बोल हैं—आसमान में सफेद बादल तैर रहे हैं और पठार पर भेड़ें ही भेड़ें दौड़ रही हैं। दूर से मधुर गीत की आवाज़ आ रही है, यह गीत एक सुंदर लड़की गा रही है। गसांग फूल खिला है। कौन इस फूल को तोड़ेगा?सुंदर लड़की क्या तुम्हें मालूम है कि मेरा दिल तुम्हारे लिए धड़क रहा