2009-02-16 11:06:08

11वें पंचनलामा का चयन

बिलासपुर छत्तीसगढ़ के चुन्नीलाल कैवर्त ने चीन के 11वें पंचनलामा की उपाधि की 10वीं वर्षगांठ के बारे में जानना चाहते हैं औऱ पूछते हैं कि तिबब्त में पंचनलामा की खोज या चयन कैसे किया जाता है ? कृप्या विस्तार से बताइये।

दोस्तो,8 दिसम्बर 2005 को तिब्बत के जाशीलुम्बू मठ में 11वें पंचनलामा के अपने पद संभालने की 10वीं सालगिरह पर एक समारोह आयोजित हुआ। इस अवसर पर सलंग, कानतान,जेपांग,जुखला ख़ा और छुबू आदि तिब्बत के अन्य 21 प्रमुख मठों के प्रतिनिधि जाशीलुंबू मठ में 11वें पंचनलामा को बधाई देने एकत्र हो गए।11वें पंचनलामा ने सब से पहले इस प्रतिनिधियों और अपने जाशीलुंबू मठ में रहने वाले सभी लामाओ के साथ बौद्धसूत्रों का पाठ किया,फिर अपने भाषण में कहा कि 10 साल पहले मैं धार्मिक परंपरा और ऐतिहासिक नियम के अनुसार 10वें पंचनलामा का अवतार चुन लिया गया और केंद्र सरकार ने मुझे सोने के ग्रंथ और मुहर सौंप दिए।पिछले 10 सालों में केंद्र सरकार के स्नेहपूर्ण प्रबंध में मुझे जीवन और पढाई की उम्दा स्थितियां मिली हैं।खुद मैं ने भी बौद्धधर्म और सांस्कृतिक ज्ञान सीखने में अच्छे अंक प्राप्त किए हैं।मुझे जो प्रगति हुई है,उस का पूरा श्रय मेरे गुरू जी की क्षिशा,व्यापक श्रोद्धालुओ और देश भर की आम लोगों के सकारात्मत समर्थन को जाता है।बीते 10 वर्षों में मैं ने श्रोद्धालुओं की अभिलाषा पूरी करने के लिए क्रमशः पूरे तिब्बत,छिंगहाई,कानसू और स्छ्वान के तिब्बती बहुलक्षेत्र जाकर करीब 3 लाख तिब्बती बौद्धधर्म अनुयाइयों के सिरों पर हाथ फेरकर आशीर्वाद दिए।

समारोह में 11वें पंचनलामा ने यह भी कहाः मैं 10वें पंचनलामा की तरह निष्ठावान देशभक्त और धर्मभक्त के रूप में राष्ट्रीय हितों के लिए काम करता रहेगा और शुभकामना करता हूं कि विश्व चिरस्थाई शांत रहे और मातृभूमि समृद्धिशाली हो जाए।

चीनी जन राजनीतक सलाहकार सम्मेलन की राष्ट्रीय समिति के उपाध्यक्ष पापाला.क्लेलांगचे,

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी के एकीकरण मौर्चा के उपप्रधान चू वे-छुन और तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन प्रतिनिधि सभा की स्थाई कमेटी के अध्यक्ष ल्ये-छ्वे ने समारोह में क्रमशः उत्साहपूर्ण भाषण देकर 11वें पंचनलामा को बधाई दी।

बड़ी संख्या में लामाओं के एक स्वर में बौद्धसूत्रों का पाठ करना समारोह का एक अनिवार्य़ कार्यक्रम था।इस कार्यक्रम में 11वें पंचनलामा के नेतृत्व में सभी उपस्तिथ लामाओं ने अपने दोनों हाथ सीने पर जोडते हुए निष्ठावान मुद्रा में तिब्बती बौद्धधर्म के गुरू समुदाय के संस्थापक ज़ुंगकाबा का गुणगान किया और उन की मुख्य विचारधाराएं कंठस्थ कीं।3 घंटों तक चले इस समारोह ने आम लोगों को 11वें पंचनलामा की स्थिति जानने का मौका दिया है।लोज़्वेसांबू नामक एक आम बुजुर्ग लामा ने कहा कि 11वें पंचनलामा की उपाधि की 10वीं वर्षगांठ पर आयोजित यह समारोह धार्मिक जगत का एक महत्वपूर्ण मामला है।11वें पंचनलामा अपनी असाधारण उपलब्धियों से व्यापक श्रोद्धालुओं और आम जनता की उम्मीदों पर खरे उतरे साबित हुए हैं।बुद्धिमत्ता से परिपूर्ण उन की बोलचाल ने महान तिब्बती जीविक बौद्ध का जलवा बिखेरा है।

ध्यान रहे 11वं पंचनलामा 17 वर्ष की आयु में दाखिल होने वाले हैं।28 जनवरी 1989 को 10वें पंचनलामा का तिब्बत में निर्वांण हुआ।इस दुनिया से चल बसने से 4 दिन पहले उन्हों ने विशेष तौर पर जीवित बौद्ध के अवतारण पर अपना विचार व्यक्त किया।उन का कहना था कि अवतार के 3 उम्मीदवार ढूढ लिया जाए,फिर स्वर्ण बाँटल से ट्रो निकालने के परंपरागत तरीके से उन में से एक को अवतार निश्चित किया जाए।10वें पंचनलामा के निर्वाँण के बाद तिब्बती जनता के प्रतिनिधियों और तिब्बती बौद्ध जगत के गण्य-माण्य व्यक्तियों ने सर्वसम्मति से उन के अवतार चुनने में स्वर्ण बाँटल से ट्रो निकालने के तरीके के प्रयोग का समर्थम किया।

13वीं शताब्दी के य्वान राजवंशकाल में महा तिब्बती जीवित बौद्धों की नियुक्ति की व्यवस्था शुरू हुई।इस के बाद मिंग औऱ छिंग राजवंश काल में महा तिब्बती जीवित बौद्धों के अवतारण के मामले को केंद्र सरकार की देखरेख और राजकीय कानून-कायदे के दायरे में लाया गया।छिंग राजवंश की सरकार ने अपनी प्रतिष्ठा व राष्ट्रीय एकीकरण दिखाने और अवतारण के मामले में घोटाले को होने से रोकने के लिए स्वर्ण बाँटल से ट्रो निकालने का तरीका बनाया था।सन् 1793 में छिंग राजवंश की सरकार ने ल्हासा के जुगला ख़ा मठ को एक स्वर्ण बाँटल उपहार के रूप में दिया,जिस का विशेष तौर पर पंचनलामा और दलाईलामा के अवतार चुनने में प्रयोग किया जाता है।पिछले 200 साल से अधिक समय में स्वर्ण बाँटल से ट्रो निकालने की व्यवस्था को तिब्बती बौद्ध जगत का व्यापक समर्थन प्राप्त रहा है।मात्र छिंग राजवंश के 1793 से 1904 तक के दौरान तिब्बत में ही 39 जीवित बौद्धों के अवतार इसी व्यवस्था से तय किए गए।ऐतिहासिक प्रथा और धार्मिक संस्कार के अनुसार

स्वर्ण बाँटल से ट्रो निकालने की व्यवस्था पंचमलामा के अवतार तय करने के लिए आवश्यक औपचारिकता है।विशेष स्थिति में अगर इस व्यवस्था का प्रयोग नहीं किया जाता है,तो सब से पहले केंद्र सरकार से विशेष पुष्टि पाने की जरूरत है।

10वें पंचनलामा के निर्वांण के बाद चीन सरकार के पूरे समर्थन में तिब्बती बौद्ध जगत उन के अवतार ढूंढने के कार्य में लग गया।6 सालों के कठोर प्रयासों के बाद जन्म-स्थान,

जन्म-तिथि और जन्म-राशि जैसे धार्मिक नियमों के अनुसार उन के अवतार के 3 उम्मीदवार बच्चे ढूंढ निकाले गए।

29 नवम्बर 1995 को तिब्बत की राजधानी ल्हासा स्थित जुगला ख़ा मठ में 10वें पंचमलामा के अवतार निश्चित करने की रस्म आयोजित हुई।इस में तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जनसरकार के अध्यक्ष च्यांगत्सुंरोबू,चीनी राज्य परिषद के सदस्य लो-कान,राष्ट्रीय धार्मिक मामला विभाग के प्रधान ये श्याओ-वन और तिब्बती बौद्ध जगत के 44 हस्तियां उपस्थित थे।

सब से पहले श्री च्यांगत्सुंरोबू ने क्रमशः तिब्बती और हान भाषाओं में गंभीरतापूर्वक स्वर्ण बोटल से ड्रो निकालने की रस्म की शुरूआत का औपचारिक ऐलान किया।फिर दो लामाओं ने महाबुद्ध शाक्यामुनि के चित्र के सामने सुशोभित स्वर्ण बोटल को भवन के केंद्र में रखे गए एक मेज पर स्थानांतरित किया।संबंधित दो कर्मचारियों ने बोटल का मुंह खोलकर उस में से हाथी के दांत से बनी ड्रोस्वरूपी 3 पट्टियां निकालीं,फिर तिब्बती और हान भाषाओं में 3 उम्मीदवार बच्चों के नाम अंकित एक एक काग़जी टुकड़ी को अलग-अलग तौर पर इन 3 पट्टियों पर चिपकाकर उन्हें एक प्लेट में रखा।मौके पर उपस्तिथ सभी प्रतिनिधियों और इन 3 बच्चों के पिता जी ने बारी-बारी से गंभीरतापूर्वक इन पट्टियों और उन पर चिपके नामों को परखा।कोई भी गलती न मिलने के बाद जाशीलुंबू की लोकतांत्रिक प्रबंध कमेटी के अध्यक्ष त्जेरिन लामा ने महाबुद्ध शाक्यामुनि के चित्र और स्वर्ण बोटल के सामने घुटने टेककर प्रणाम दिया और 3 पट्टियों को फिर से स्वर्ण बोटल में डाल लिया तथा बोटल को कई बार हिलाकर उस के मुंह को बन्द कर लिया।इस के बाद दो रक्षक लामाओं ने बड़ी श्रद्धा से स्वर्ण बोटल को पुरानी जगह पर ले कर रखा,तभी रस्म में शरीक सभी लामाओं ने एक सुर में बौद्धसूत्र जपना शुरू किया।जपनी 5 मिनटों तक चली।इस के बाद तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की जन सरकार के अध्यक्ष च्यांगत्सुनरोबू ने घोषणा की कि चीनी बौद्धधर्म संघ की तिब्बती शाखा के अध्यक्ष पोमी.छ्यांगबालोचू स्वर्ण बोटल से ड्रो निकालें।

पोमी.छ्यांगबालोचू 70 साल के हैं,जो तिब्बती बौद्ध जगत के एक प्रतिष्ठित बौद्धशास्त्री हैं।उन्हों ने बोटल के पास जाकर शाक्यामुनि के चित्र की ओर दोनों हाथ सीने पर जोड़कर प्रणाम दिया और आंखें मूंदकर मौन से पूज़ा किया।अंत में उन्हों ने बोटल के मुंह खोलकर उस में से एक ड्रो या एक पट्टी निकाली,फिर उसे अध्यक्ष च्यांगत्सुनरोबू के हवाले कर दिया।च्यांगत्सुनरोबू ने उस से चिपाका नाम देखकर ऊंची आवाज में ऐलान किया कि चा-ली काऊंटी के चैनज़ाननोबू ने ड्रो जीत ली है।

अच्छा,चैनज़ाननोबू ही 11वें पंचनलामा है।पंचनलामा की उपाधि हासिल करने के समय वह मात्र 5 साल का था।उन का जन्म तिब्बत स्वायत्त प्रदेश की चा-ली काऊंटी के एक साधारण परिवार में हुआ था।उन के मां-बाप को सिर्फ प्राइमरी स्कूल में पढने का मौका मिला।