हमारा गांव 20वीं शताब्दी के 90 के देशक में तो बहुत समृद्ध था। यहां के लोग मेहनत से काम करने के बाद पैसे कमाते थे। कई सालों की कोशिश करने से मेरा यह कारखाना हर वर्ष में लगभग 5 करोड़ य्वान का उत्पादन देता है।
होउ ल गांव में सिर्फ 262 परिवार, 953 व्यक्ति रहते हैं। जिन में 60 प्रतिशत से ज्यादा लोग व्यापार व कारखाना का काम करते हैं। सिर्फ कृषि का काम करने वाले लोग किसी भी नहीं है। होउ ल गांव में प्रवेश करके तो हम स्थिर रास्ता और सुंदर इमारत देश सकते हैं। इस गांव में रहने वाले लोग बहुत समृद्ध हैं। यहां चलने वाले व्यक्ति किसी करोड़ य्वान पूंजी वाले कारोबार के नेता भी हो सकते हैं। यहां बहुत व्यक्तियों के पास अनेक महंगी गाड़ियां भी होती हैं।
इतिहास में होउ ल गांव एक समृद्ध गांव नहीं था। कुछ अकड़ों के अनुसार सन् 1983 के पहले इस गांव में प्रति व्यक्ति की आय 100 य्वान से कम थी। श्री छेन पू छांग ने कहा कि गरीब की स्थिति बदलने के लिए लोगों ने मेहनत से व्यापार करने की कोशिश शुरू की।
होउ ल गांव कैसे समृद्ध बनते हैं। इस के विकास में एक गुड़ से मुर्गों के परों बदलने की कहानी सब से प्रसिद्ध है। यह बात यह है कि पूर्व में होउ ल गांव बहुत गरीब है। यहां के किसानों ने अपने आप गुड़ बनाकर अन्य क्षेत्रों में मुर्गों के परों को बदला और मुर्गों के परों को कृषि के उत्पादन में इस्तेमाल किया। उसी समय यह गांव के सभी लोग गुड़ से मुर्गों के परों बदलने का काम करते थे। 60 वर्षीय बुढ़ा श्री छेन होंग सौ ने उसी समय की स्थिति का परिचय देते हुए कहा
हमारे गांव में कृषि का उत्पादन करने के लिए मुर्गों के परों का इस्तेमाल करने की जरूरत है। जिस से पृथ्वी की स्थिति सुधार किया जा सकती। लेकिन हमारे गांव गरीब थे। हर परिवार में बहुत मुर्गों नहीं है। इसलिए हमें गुड़ का उत्पादन करने से अन्य क्षेत्रों में मुर्गों के परों को बदलना पड़ता था।
गुड़ों से मुर्गों के परों को बदलने का काम होउ ल गांव में बहुत लंबे समय तक जरी रहा था। पिछले शताब्दी के 50 के दशक में इस की स्थिति तो बदलने लगी। जिस से होउ ल गांव के लोग व्यापार का काम शुरू करने लगे। श्री छेन होंग सै ने कहा कि
पहले हम गुड़ों से मुर्गों के परों को बदलने के बाद कृषि के उत्पादन में इस्तेमाल करते थे। सन् 1958 के बाद हम ने मुर्गों के परों से वस्तुओं बनाने का कारखाना खोला है। जिस से हमें लाभ मिल सकता था और पैसे कमाते थे। हम अन्य क्षेत्रों के साथ व्यापार का काम करने लगे और विभिन्न माल बिकने लगे थे। अन्य गांवों के लोग भी हम के साथ व्यापार करने को पसंद करते थे।
पिछले शताब्दी के 80 के दशक में चीन में सुधार व खुलेद्वार की नीति अपनाने लगी थी। सन् 1983 में यी ऊ कस्बे की सरकार ने भी व्यापार करने और बाजार के विकास आगे बढ़ाने के लिए कई नीति बनायी थी। उसी समय सरकार ने यी ऊ कस्बे में पहली सरकारी बाजार भी स्थापित की। जिस से ज्यादा से ज्यादा लोग व्यापार के काम करने लगे। उसी समय की स्थिति का परिचय देते हुए श्री छेन पू छांग ने कहा
पहले हम गुड़ों से मुर्गों के परों बदलते समय परिवार में बहुत गरीब है। पिछले शताब्दी के 80 के देशक में व्यापार का काम करने से हमारी स्थिति सुधार होने लगी। बाजार के विकास होने लगा था और बहुत लोग व्यापार करने लगे थे।
पिछले शताब्दी के 90 के देशक में यी ऊ के बाजार चीन में प्रसिद्ध हो गया है। श्री छेन पू छांग का व्यापार कारोबार भी तेजी से विकास हुआ। उन्होंने अन्य लोगों के साथ अपना कारखाना भी स्थापित किया। सरकार के समर्थन से उन के कारखाना और व्यापार कारोबार अच्छी तरह विकास होने लगे।
पिछले शताब्दी के 90 के देशक में सरकार ने हमें व्यापार करने के साथ साथ कारखाना भी खोलने का आग्रह किया। हम तो सरकार के समर्थन से अपने कारखाना खोलने लगे। जिस से हम अपने व्यापार कारोबार अपने आप कारखाना का उत्पादन बेच कर सकता है।
सरकार और नयी नीति के समर्थन से होउ ल गांव के लोगों के कारोबार तेजी से विकास हुए। होउ ल गांव भी एक प्रसिद्ध समृद्ध गांव बन गया। श्री छेन पू छांग ने गांव के विकास की नेतृत्व लेते हुए नये गांव की निर्माण करने में नयी योजना भी बनायी।
हमारे गांव में गांव की निर्माण करने की एक नयी योजना बनायी गयी। जिस से हम जीवन बिताने और कारखाना खोलने के वातावरण सुधार कर सकेंगे।