2009-02-16 10:29:47

अमरीकी लोकमत में चीन सुश्री हिलेरी की एशिया यात्रा का मुख्य स्थल

अमरीकी विदेश मंत्री सुश्री हिलेरी ने अमरीकी समय के अनुसार 15 तारीख को अपनी चार एशियाई देशों की यात्रा शुरू की । यह यात्रा हिलेरी के अमरीका की ओबामा सरकार के विदेश मंत्री बनने के बाद उन की प्रथम विदेश यात्रा है। अमरीकी लोकमत के मुताबिक हिलेरी की यात्रा में चीन अंतिम पड़ाव है, लेकिन वह उन की मौजूदा यात्रा का मुख्य स्थल है।

अपनी यात्रा में सुश्री हिलेरी क्रमशः जापान, इंडोनिशिया, दक्षिण कोरिया और चीन की यात्रा करेंगी। अमरीकी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि हिलेरी ऐसा प्रथम अमरीकी विदेश मंत्री है, जिस ने अपनी प्रथम विदेश यात्रा में एशिया चुना है। वे एशियाई देशों के सरकारी अधिकारियों के साथ वित्तीय संकट के समान मुकाबले, मानवाधिकार, सुरक्षा व मौसम परिवर्तन आदि चुनौति वाले सवालों पर रायों का आदान प्रदान करेंगी । इस से पहले हिलेरी ने न्यूयार्क में अमरीकी एशिया संघ के मुख्यालय में भाषण दिया, लोकमत के अनुसार उन्हों ने अपने इस भाषण में अपनी एशिया यात्रा के लिए बुनियादी धारणा तय कर दी है।

वे अपनी एशिया यात्रा से विश्व को यह संकेत देना चाहती हैं कि अमरीका एशिया मामले में अपना प्रयास करता रहेगा और संपर्क बढ़ाता रहेगा, परंपरागत मित्रों के साथ सहयोग मजबूत करने के साथ साथ तमाम देशों के साथ गहन रूप से संबंधों का विकास करेगा और एशियाई नेताओं के साथ एशिया प्रशांत क्षेत्र व अन्य क्षेत्रों के प्रति आर्थिक संकट का समान रूप से सामना करने पर विचार विमर्श करेगा।

अमरीका के विभिन्न तबकों का मत है कि पहले पड़ाव के रूप में हिलेरी की जापान यात्रा अमरीका के एशियाई मित्रों के लिए प्रतीकात्मक महत्व रखती है, कोरिया गणराज्य की उन की यात्रा एक मुख्य लक्ष्य है और इंडोनिशिया की यात्रा दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ संबंधों को गहरा बनाने का इरादा जताती है। जबकि उन का अंतिम पड़ाव चीन का भारी महत्व है। वाशिंगटन पोस्ट ने 15 तारीख को अपने एक लेख में कहा कि हिलेरी ने चुनाव प्रचार अभियान में कहा था कि अमरीका और चीन का संबंध विश्व भर के सब से अहम द्विपक्षीय संबंध है । इस बयान से जापान को चिंता हुई। अब हिलेरी ने अमरीकी एशिया संघ के मुख्यालय में भाषण देते हुए कहा कि किसी का विचार है कि चीन के उत्थान से वह एक प्रतिद्वंद्वी बनेगा, लेकिन तथ्य इस के बिलकुल विपरीत है, हमें विश्वास है कि अमरीका और चीन साझा विजय पाएंगे, अमरीका द्वारा चीन के साथ समान दिलचस्पी वाले क्षेत्रों में सहयोग का विस्तार करने तथा मौकों की समान रूप से खोज करने पर जोर देना अमरीका के हित में है।

विश्लेषकों का कहना है कि चीन के साथ अच्छा संबंध बुश सरकार की चंद कुछ सफल विदेश नीतियों से एक है। जोर्ज वाशिंगटन युनिवर्सिटी के चीन नीति मुद्दे के प्रभारी शाम्बर्ग ने कहा कि ओबामा सरकार ने 20 सालों से चीन के साथ मेलमिलाप रखने का संबंध ग्रहण किया है । दोनों देशों में उच्च समझेदारी और परस्पर विश्वास तथा व्यवहारिक काम का रूख उपलब्ध है। दोनों बेहद एक दूसरे पर आश्रित रहते हैं। अमरीकी विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि हिलेरी अपनी यात्रा में चीनी नेताओं को नियमित उच्च स्तरीय वार्तालाप चलाने की सलाह देंगी । विदेश नीति विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान में दोनों देशों के बीच इस प्रकार की वार्ता के लिए समय परिपक्व है और अत्याधिक जरूरी है।

लोकमतों का कहना है कि वर्तमान विश्व वित्तीय संकट के मुकाबले के लिए अमरीका और चीन के बीच सहयोग की जरूरत है । अन्तरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के इस माह के आकलन के अनुसार जीडीपी के अनुपात पर सऊदी अरब की अर्थ प्रेरणा योजना प्रथम स्थान पर, चीन की योजना दूसरे स्थान पर और इस के बाद ओबामा की योजना रही। आर्थिक संकट के मुकाबले में चीन का प्रभाव जी 20 में दूसरे नम्बर पर है। पेटरसोन इंटरनेशनल आर्थिक प्रतिष्ठान के वरिष्ठ शोधकर्ता लार्डी ने कहा कि चीन सरकार बहुत आश्वस्त है और मानती है कि उस की अच्छी योजना से आर्थिक वृद्धि को प्रेरणा मिलेगी।

विश्लेषकों ने यह भी बताया है कि मानवाधिकार व तिब्बत के बारे में हिलेरी का रूख संभवतः अमरीका चीन संबंध के विकास के लिए बाधा बनेगा । अमरीका विदेश मंत्रालय के उप मंत्री स्टेइंबर्ग ने कहा कि हिलेरी की एशिया यात्रा राय सुनने की यात्रा होगी, हम हमारे सहयोग साथियों की राय व चिंता जानने की कोशिश करेंगे और एक समान विकास का रास्ता ढूंढ लेंगे। लोकमत का कहना है कि ओबामा सरकार की विदेश नीति का परिवर्तन अब हिलेरी की यात्रा के नदीजे पर निर्भर करेगा,यह एकतरफा तौर पर अमरीका पर निर्भर नहीं कर सकता, इसलिए हिलेरी दूसरों की राय सुनना चाहती है और चीन व एशिया के प्रति अपनी नीति की प्रासंगता पर विचार करेंगी ।

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