2009-02-12 10:19:46

अफगानिस्तान की राजधानीस काबुल में कई आतंकवादी घटनाएं हुईं

अफगानिस्तान के तालिबान सशस्त्र संगठन ने 11 तारीख को काबुल में कई सरकारी इमारों पर हमला बोला ।अफगान स्वास्थ्य मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि हमलों में 26 व्यक्ति मारे गये और 55 घायल हुए ।चालू साल में यह तालिबान का सब से बडा हमला है ।

पहला हमला जल विभाग के द्वार पर हुआ ।एक बंदूकधारी ने द्वार पर तैनात सुरक्षाकर्मियों पर गोलियां चलायीं ,जबकि दूसरे आत्मघाती हमलावर ने द्वार के अंदर घुसकर अपनी शरीर पर लदे बम का विस्फोट किया ,जिस से व्यक्तियों की हताहती हुई ।दूसरा हमला अफगान न्याय मंत्रालय में हुआ ।कम से कम पांच सशस्त्र व्यक्तिय न्याय मंत्रालय की इमारत में घुस गये और कुछ समय तक इस इमारत पर नियंत्रण किया। तीसरा विस्फोट अफगान शिक्षा मंत्रालय के द्वार के पास हुआ ।एक आत्मघाती हमलावर ने विस्फोट किया । अफगान रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद आजमी ने बताया कि लडाई में कुल 8 सशस्त्र व्यक्तियों को मार डाला ।इन आतंकवादी घटनाएं पैदा होने के बाद तालिबान के प्रवक्ता जाबिउल्लाह मुजहीद ने ब्यान जारी कर कहा कि तालिबान इन हमलों पर जिम्मेदार है ।उन का कहना है कि कुल 16 आत्मघाती हमलावरों व बंदूकधारियों ने न्याय मंत्रालय व जल विभाग जैसे सरकारी संस्थाओं पर हमला किया ,जिस का उद्देश्य अफ़ग़ानिस्तान की जेलों में तालिबान कैदियों के साथ दुर्व्यवहार का बदला करना है ।

दो साल से पहले तालिबान मुख्य तौर पर दक्षिण व पूर्वी अफगानिस्तान में सक्रिय रहा ।अफगान सरकारी सेना व वहां तैनात विदेशी सेना अकसर तालिबान के आत्मघाती हमले का निशाना बना ।लेकिन वर्ष 2008 के शुरू से तालिबान राजधानी काबुल के आसपास के क्षेत्र में घुसने लगा और निरंतर विस्फोट किये ।इस जनवरी में तालिबान ने अफगानिस्तान स्थित जर्मनी दूतावास पर आत्मघाती हमला किया ,जिस से कम से कम बीस व्यक्तियों की हताहती हुई ।इस बार तालिबान ने एक ही दिन में कई आत्मघाती हमले किये ,जो अभूतपूर्व है ।

स्थानीय विश्लेषकों के विचार में जलों में तालिबान कैंदियों के साथ दुर्व्यवहार का बदला लेने के अलावा तालिबान अपनी शक्ति दिखाना खासकर अमरीका को चेतावनी देना चाहता है ।अमरीकी ओबामा सरकार सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान पर रणनीतिक प्राथमिकता दे रही है ।अमरीका अफगानिस्तान में अतिरिक्त साठ हजार सैनिक भेजेगा ,जिन में तीन हजार सैनिक अफगानिस्तान में पहुंचे हैं ।अमरीकी वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार अफगानिस्तान के प्रति अमरीका की नयी रणनीति अधिक व्यावहारिक होगी । इस का मुख्य विषय है कि तालिबान पर प्रहार को मजबूत किया जाए और अफगानिस्तान की सुरक्षा की बहाली की जाए ।राष्ट्रपति ओबामा के अफगानिस्तान व पाकिस्तान सवाल पर विशेष दूत रिचार्ड होल्ब्रुक अब पाकिस्तान व अफगानिस्तान की यात्रा कर रहे हैं ।स्वदेश लौटने के बाद वे ओबामा को अफगानिस्तान की ताजा स्थिति के बारे में रिपोर्ट करेंगे ।इस संदर्भ में तालिबान ने काबुल में बडे पैमाने वाला हमला किया ।यह स्पष्ट है कि तालिबान अमरीका को बताना चाहता है कि अमरीका के अतिरिक्त सैना भेजने के बावजूद तालिबान के विकास से नहीं रोका जा सकेगा ।

दिसंबर 2001 में अमरीका ने आतंकवाद विरोधी युद्ध आरंभ किया ।पर साढे सात साल के बाद तालिबान और अल्कायदा का अंत नहीं किया गया ।इस के विपरीत वे अफगानिस्तान के पास के देशों में फैल गये ।राष्ट्रपति कर्जाई के नेतृत्व वाली अफगान सरकार अधिकाधिक बडे देशी विदेशी दबाव का सामना कर रही है ।अफगानिस्तान की अनेक राजनीतिक शक्तियां कर्जाई सरकार पर कमजोर होने का आरोप लगा रही हैं ।उधर पश्चिमी देशों का कर्जाई सरकार पर विश्वास भी कम हो रहा है ।कहा जा सकता है कि अफगानिस्तान की वर्तमान स्थिति गडबड और जटिल है ।

सूत्रों के अनुसार अमरीकी राष्ट्रपति ओबामा ने पूर्व केंद्रीय सूचना ब्योरो के अधिकारी रिदल को अमरीका की अफगानिस्तान व पाकिस्तान नीति की समीक्षा ग्रुप के अध्यक्ष नियुक्त किये हैं ।इस अप्रैल में होने वाले नाटो के शिखर सम्मेलन से पहले वे संबंधित रिपोर्ट पेश करेंगे ताकि ओबामा इस सम्मेलन पर संबंधित सवालों के प्रति अपना रूख पेश करें ।तालिबान के हमलों के बीच अफगानिस्तान सवाल पर अमरीकी की नयी रणनीति का क्या ठोस विषय होगा ,इस का क्या प्रभाव होगा ।इन सवालों का जवाब देने के लिए समय की जरूरत है ।