2009-02-10 10:56:47

अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने मानवाधिकार क्षेत्र में चीन की उपलब्धियों का उच्च मूल्यांकन किया

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने 9 तारीख को स्वेजरलैंड के जेनेवा में युनिवर्सल पेरिओडिक रेव्यू की बैठक की और चीन की मानवाधिकार स्थिति की समीक्षा की ।चीनी प्रतिनिधि मंडल के नेता ली पाओ तुंग ने बैठक पर सुधार व खुलेपन के 30 सालों में मानवाधिकार क्षेत्र में चीन के प्रयासों व उपलब्धियों पर प्रकाश डाला ।इस बैठक में उपस्थित विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने चीन की मानवाधिकार स्थिति का उच्च मूल्यांकन किया ।

युनिवर्सल पेरिओडिक रेव्यू वर्ष 2006 में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद द्वारा स्थापित एक महत्वपूर्ण तंत्र है ।इस के अनुसार हर चार साल में संयुक्त राष्ट्र के 192 सदस्य देशों की मानवाधिकार स्थिति की समीक्षा की जाती है ।वर्ष 2008 में इस तंत्र को लागू करने से अब तक संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने पचास से अधिक देशों की मानवाधिकार रिपोर्टों की समीक्षा की है ।मौजूदा बैठक में चीन ,कनाडा ,रूस व क्यूबा समेत 16 देशों की मानवाधिकार रिपोर्टों की जांच की जाएगी ।चीनी प्रतिनिधि मंडल के नेता लू पाओ तुंग ने बैठक पर भाषण देते हुए कहा कि मानवाधिकार की सुरक्षा करना और इसे बढावा देना चीन के आर्थिक व सामाजिक विकास और राजनीतिक सुधार का महत्वपूर्ण विषय है ।उन के भाषण से बैठक में उत्साहपूर्ण प्रतिक्रिया पैदा हुई ।

फिलिपीन्स के प्रतिनिधि मंडल की नेता एरलिंडा बासिलिओ ने चीन सरकार द्वारा जनजीवन सुधारकर नागरिकों की प्रतिष्ठा को सुनिश्चित करने की प्रशंसा की ।उन्होंने कहा ,चीन सरकार ने शिक्षा को लोकप्रिय बनाने और रोजगार दर उन्नत करने से करोडों लोगों को गरीबी से छुटकारा दे दिया ,जिस से उन लोग प्रतिष्ठा व मानवाधिकार का उपभोग कर सके ।इस के अलावा चीन सरकार सामाजिक कार्य और ग्रामीण क्षेत्र में पूंजी निवेश का विस्तार करती रही ।पिछले साल सी छ्वांग भूंकप होने के बाद चीन सकार ने भारी जिम्मेदारी उठाकर 90 लाख पीडित लोगों को समय पर राहत प्रदान की ।

ध्यान रहे पिछले कई दशकों में चीन ने मानवाधिकार से जुडे 250 कानून बनाये ।इस के प्रति श्रीलंकाई प्रतिनिधि मंडल के नेता दायान जायाटिल्लेका ने हमारे संवाददाता को बताया ,ये कानून नागरिकों के रोजगार व विकास जैसे अधिकारों से घनिष्ठ रूप से जुडे हैं ,जो चीन की मानवाधिकार स्थिति पर गहरा प्रभाव पडा ।पिछले तीस सालों में चीन की उपलब्धियां एक अजूबा है ।चीन सचमुच विश्व मंच पर खडा उठा है ।

चीन के विकास व मानवाधिकार स्थिति में आये सुधार पर बहुत विकासशील देशों के प्रतिनिधियों ने कहा कि वे चीन की उपलब्धियों पर गर्व करते हैं और चीन के साथ सहयोग बढाना चाहते हैं ।अल्जिलियाई प्रतिनिधि मंडल के नेता इदरिस जाजारी ने बताया,हमें आशा है कि चीन अन्य विकासशील देशों के साथ विकास के बारे में अपना विचार साझा करेगा और अन्य देशों के साथ मानवाधिकार क्षेत्र में आवाजाही व सहयोग करेगा ।हमें आशा है कि चीन अपनी वस्तुगत स्थिति व सामाजिक जरूरत के मुताबिक मानवाधिकार कार्य और आगे बढाएगा ।

बैठक पर चीनी प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों के साथ वार्लाप किया ।कुछ पश्चिमी देशों ने इस मौके पर चीन से कुछ राजनीतिक मांग की ।इस की चर्चा करते हुए पाकिस्तानी प्रतिनिधि मंडल के नेता आमिर अकवाम ने कहा कि मानवाधिकार मुद्दे के राजनीतिकरण को स्वागत नहीं मिलेगा ।उन्होंने कहा ,कभी कभी बैठक पर कुछ लोग मानाधिकार को एक राजनीतिक मुद्दा बनाना चाहते हैं ।यह एक दुर्भाग्य बात है ।लेकिन ऐसी बात कम है ।अधिकतर लोग ऐसी कार्रवाई का स्वागत नहीं करते ।

बैठक पर उपस्थित अधिकांश प्रतिनिधियों के विचार में युनिवर्सल पेरिओडिक रिव्यू विभिन्न देशों के आपस में मानवाधिकार पर अनुभवों के आदान प्रदान और मिलजुलकर चुनौतियों का सामना करने का अच्छा मंच है ।रूसी प्रतिनिधि मंडल के नेता वालरी लोशचिनिन ने बताया कि हर देश को मानवाधिकार क्षेत्र में अपनी कठिन समस्या है ।वार्तालाप समस्या से निबटने का सब से अच्छा उपाय है ।उन्होंने कहा ,पश्चिमी देशों को ऐसे मत सोचना चाहिए कि उन के पास कोई समस्या नहीं है ।वास्तव में उन की बहुत समस्याएं है और कुछ अधिक से गंभीर हैं ।उदाहरण के लिए चीन और रूस ने अपनी कोशिशों से आम तौर पर पुरुष स्त्री समानता की समस्या दूर की है ,पर कनाडा ,अमरीका ,फ्रांस व ब्रिटेन जैसे देशो में यह समस्या मौजूद है ।इस से जाहिर है कि हमें विश्व की समस्या से निबटाने के लिए समान कोशिश करनी है ।