2009-02-04 16:01:34

वन चापाओ की यूरोप यात्रा से चीन का महत्व प्रकट हुआ

चीनी प्रधान मंत्री वन चापाओ तीन तारीख को यूरोप की यात्रा समाप्त कर पेइचिंग लौटे। अपनी सात दिन की यूरोप यात्रा के दौरान उन्हों ने क्रमशः स्वीट्जर्लैंड, जर्मनी, यूरोपीय संघ के मुख्यालय ,स्पेन और ब्रिटेन का दौरा किया और कुल 60 से ज्यादा गतिविधियों में भाग लिया। विश्वास की सफर कहने वाली चीनी प्रधान मंत्री की इस यात्रा से विश्व के सामने चीन का महत्व जाहिर हुआ है और चीन ने अपने व्यवहार से चुनौतियों से मौका ढूंढते हुए समान रूप से विश्व वित्तीय संकट का मुकाबला करने का संकल्प प्रकट क श्री वन चापाओ की यूरोप यात्रा का एक मकसद अन्तरराष्ट्रीय समुदा का विश्वास बढ़ाना है, ताकि सहयोग मजबूत कर समान रूप से वर्तमान कठिनाइयों को दूर किया जाए। यात्रा समाप्त कर स्वदेश लौटने से पहले श्री वन चापाओ ने संवाददाताओं के प्रश्नोत्तर में कहा कि उन की यात्रा का मकसद प्राप्त हुआ है। चीन के वसंत त्यौहार के अवसर पर मैं ने मैत्री, विश्वास और सहयोग का ध्येय ले कर यूरोप की यात्रा की । यह यात्रा सफल हुई है। मुझे लगा कि यूरोप और चीन के आर्थिक विकास में भारी निहित शक्ति मौजूद है और संकट का निपटारा करने की बड़ी क्षमता भी है। वित्तीय संकट जैसी विश्वव्यापी चुनौतियों के सामने चीन और विश्व अभूतपूर्व रूप से एकजुट हो गए हैं। यात्रा के दौरान श्री वन चापाओ ने राजनीतिक भेंट वार्ता और बयान देने के जरिए चीन में उठाए गए सिलसिलेवार नीतिगत कदमों और वित्तीय संकट को दूर करने में अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के लिए नीतिगत सुझावों का परिचय किया । इस पर उन्हों ने कहाः पूरा विश्व चीन द्वारा वर्तमान संकट का मुकाबला करने के तरीके पर ध्यान देता है और आशा करता है कि चीन विश्व आर्थिक वृद्धि के लिए और बड़ा योगदान देगा । मेरे विचार में यह एक प्रेरणा और बढ़ावा है। मैं यह कहना चाहता हूं कि पहले, चीन अवश्य अपने देश का काम बेहतर करेगा और विश्व को परेशानी नहीं देगा, यह विश्व के लिए सब से बड़ा योगदान होगा। दूसरे, चीन अन्तरराष्ट्रीय समुदाय के साथ मिल कर समन्वय व सहयोग बढ़ाएगा और विश्व अर्थव्यवस्था को जल्दी से जल्दी पुनर्जीवित करेगा और अन्तरराष्ट्रीय बैंकिंग व्यवस्था को न्यायोचित, युक्तिसंगत, उदार और सुव्यवस्थित बनाने की कोशिश करेगा। तीसरे, विकासशील देशों के हितों को तरजीह देगा ,खासकर सब से गरीब देशों को कम नुकसान पहुंचने देने का प्रयास करेगा और ठोस रूप से अपने वायदों को पूरा करेगा ,ताकि पूरा विश्व संकट की सर्दियों में भी सुर्ज की गर्मी महसूस कराया जाए । यात्रा के दौरान चीन ने यूरोप के साथ कुल 38 मुद्दों पर सहयोग के दस्तावेज संपन्न किए, जिन की कुल रकम 15 अरब य्वान है, जिन में उच्च व नव तकनीक, नई ऊर्जा आदि क्षेत्र शामिल हैं। इस के अलावा चीन ने अपने खरीददारी दलों को यूरोप में तकनीक, साजोसामान और तिजारती माल खरीदने के लिए भेजने का निर्णय भी लिया है। नयी स्थिति में चीन यूरोप संबंध की भावी विकास दिशा तय करना भी श्री वन चापाओ की यात्रा का एक मुख्य लक्ष्य है। इस पर उन्हों ने कहाः मैं ने अनेक यूरोपीय नेताओं के साथ खुल कर रायों का आदान प्रदान किया । हमारी यह सहमति है कि चीन यूरोप के राजनयिक संबंध की स्थापना के बाद पिछले 30 सालों में वार्ता व सहयोग मुख्य धारा है और उपलब्धियां असाधारण हैं, जिस ने दोनों पक्षों के लिए भारी लाभ लाया है , साथ ही विश्व के सामने साझी सफलता व समान मुनाफे की मिसाल खड़ी कर दी है। इस का महत्व भारी और दूरगामी है । वित्तीय संकट के सामने चीन और यूरोप को सहयोग की शक्ति संजोए रखनी चाहिए, समान सफलता के प्रति विश्वास सुदृढ करना चाहिए और विश्व सामंजस्य व निरंतर विकास के लिए योगदान देना चाहिए। यात्रा के दौरान श्री वन चापाओ ने यूरोप को चीन के शांति व मेलमिलाप की संस्कृति और मूल्य धारणा से अवगत भी किया और कहा कि चीन का विकास दूसरों के लिए हानी और खतरा नहीं है। चीन शांति, सहयोग और दूसरों से सीखने वाला बड़ा देश बनना चाहता है और सामंजस्यपूर्ण विश्व के निर्माण में संग्लन रहता है। यूरोपीय संघ और विभिन्न देशों के नेताओं ने चीन के विकास का स्वागत किया और चीन के आर्थिक विकास को विश्व आर्थिक इंजिन करार भी किया। ब्रिटिश प्रधान मंश्री ब्राउन ने चीनी प्रधान मंत्री की प्राचीन अर्थशास्त्री एडाम. स्मिथ के रूप में प्रशंसा करते हुए कहाः श्री वन चापाओ एडाम स्मिथ से भी ज्यादा महान है , वे अर्थ विशेषज्ञ भी है और नैतिक शास्त्री भी ।

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