2009-02-04 11:21:26

भारत को नाभिकीय सुरक्षा गारंटी संबंधी समझौते से क्या मिलेगा

अंतर्राष्ट्री परमाणु ऊर्जा एजेंसी ने दो फरवरी को आस्ट्रिया की राजधानी वियना में भारत के साथ नाभिकीय सुरक्षा गारंटी संबंधी समझौते पर हस्ताक्षर किये है , जिस से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय द्वारा पिछले तीसेक सालों तक भारत पर लगाये जाने वाले नाभिकीय व्यापार प्रतिबंध को हटाने के लिये रास्ता हमवार हो गया है । साथ ही इस समझौते के हस्ताक्षर ने भारत व अमरीका के बीच 2006 में संपन्न भारत अमरीका असैन्य नाभिकीय सहयोग समझौते के कार्यांवयन के लिये हरी झंडी दिखा दी है । अब लोकमत का ध्यान इसी बात पर केंद्रित हुआ है कि भारत को इस नाभिकीय सुरक्षा गारंटी समझौते से क्या मिलेगा ।

भारत ने मई 1974 में प्रथम नाभिकीय परीक्षण के बाद अप्रसार नाभिकीय शस्त्र संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया , इसीलिये पश्चिमी देशों ने उस के खिलाफ नाभिकीय व्यापार प्रतिबंध लगाया । लेकिन अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति बदलने के साथ साथ अमरीका ने अपने रणनीतिक हित के मद्देनजर नाभिकीय सप्लाई पर भारत को पिछवाड़ा दरवाजा खोल दिया । मार्च 2006 में भारत व अमरीका ने भारत अमरीका असैन्य नाभिकीय सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किये , इस समझौते के अनुसार भारत को अप्रसार नाभिकीय शस्त्र संधि पर हस्ताक्षर न किये जाने की हालत में अमरीका से नाभिकीय तकनीक व नाभिकीय ईंधन का आयात करने की छूट मिल जायेगी , बशर्ते कि भारत अपने सैन्य व असैन्य संयंत्रों को एक दूसरे से अलग करे और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की निगरानी स्वीकार करे। नवम्बर 2007 में भारत व अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के बीच भारतीय नाभिकीय संयंत्रों को इसी एजेंसी की निगरानी के लिये मंजूरी देने के बारे में वार्ता शुरु हुई । गत अगस्त में अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की परिषद के 35 सदस्य देशों ने सम्मेलन बुलाकर भारत के साथ नाभिकीय सुरक्षा गारंटी समझौते पर हस्ताक्षर करने से राज़ी किया । गत सितम्बर में नाभिकीय सामग्री की सप्लाई करने वाले देश ग्रुप के 45 सदस्य देशों ने भारत के खिलाफ नाभिकीय निर्यात पर लगाये जाने वाले प्रतिबंध हटाने पर सहमति जतायी । जबकि भारत व अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी के बीच 2 फरवरी को संपन्न नाभिकीय सुरक्षा गारंटी समझौता इस बात का द्योतक है कि भारत को आखिरकार अप्रसार नाभिकीय शस्त्र संधि पर हस्ताक्षर न करने के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से जरूरी नाभिकीय ईंधन व तकनीक प्राप्त करने की अनुमति मिल गयी है।

भारतीय लोकमत का मानना है कि भारत अमरीका असैन्य नाभिकीय सहयोग समझौते और मौजूदा नाभिकीय सुरक्षा गारंटी समझौते के हस्ताक्षर से भारत को वास्तव में नाभिकीय देश का स्थान प्राप्त हो गया है , साथ ही भारत व अमरीका के बीच विशेष रणनीतिक संबंध भी मजबूत हो पाया है । भारत एक तरफ अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की ओर से समुन्नत नाभिकीय तकनीक व अत्यावश्यक नाभिकीय ईंधन प्राप्त कर सकता है , दूसरी तरफ जरूरत पड़ने पर नाभिकीय परीक्षण करने के अधिकार से वंचित भी नहीं है । उन का यह विचार भी है कि चाहे अप्रसार नाभिकीय शस्त्र संधि हो या पूर्ण नाभिकीय परीक्षण पाबंदी संधि क्यों न हो , उन का एक मात्र केंद्रीय विषय यह है कि चीन , अमरीका , ब्रिटेन , फ्रांस और रुस इन पांच देशों को छोड़कर अन्य सभी देशों को नाभिकीय शस्त्र का विकास करने का हक नहीं है , वे केवल नाभिकीय रहित देशों की हैसियत से अप्रसार नाभिकीय शस्त्र संधि में शामिल हो सकते हैं और अंतर्राष्ट्रीय असैन्य नाभिकीय सहयोग करने का हकदार बन सकते हैं , जबकि भारत ठीक इस से असहमत है ।

मौजूदा जटिल अंतर्राष्ट्रीय परिस्थिति में भारत को अमरीका के समर्थन से विशेष बर्ताव मिल गया है । भारत अमरीका असैन्य नाभिकीय सहयोग समझौते के अनुसार भारत को नया नाभिकीय परीक्षण न करने का वायदा देना होगा । लेकिन भारत द्वारा अप्रसार नाभिकीय शस्त्र संधि पर हस्ताक्षर न किये जाने की स्थिति में अमरीका सरकार ने वास्तव में भारत के विशेष स्थान को मान्यता दे दी है ।

अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी व भारत के बीच हुए नाभिकीय सुरक्षा गारंटी समझौते ने भारत अमरीका असैन्य नाभिकीय सहयोग समझौते को अंत में मूर्त रूप देने के लिये हरी झंडी दिखा दी है । पर अप्रसार नाभिकीय शस्त्र संधि पर हस्ताक्षर न करने वाला भारत आइंदे नाभिकीय मामले पर क्या नीति अपनायेगा , अंतर्राष्ट्रीय समुदाय अब इसे देखने की प्रतीक्षा में है।