2009-02-03 12:48:10

विकास की दृष्टि से चीन को देखो

दोस्तो , ब्रिटेन की यात्रा पर गये चीनी प्रधान मंत्री श्री वन चा पाओ ने दो फरवरी को ब्रिटेन के विश्वविख्यात कैंब्रीज विश्वविद्यालय में विकास की दृष्टि से चीन को देखो नामक लेकचर दिया । श्री वन चा पाओ ने अपने लेकचर में सहयोग के जरिये मौजूदा संकट को दूर करने के इस वर्तमान प्राथमिक कार्य पर जोर दिया ।

श्री वन चा पाओ ने सर्वप्रथम चीन के इतिहास और मौजूदा स्थिति से अवगत कराया । उन्हों ने कहा कि पिछली आधी से अधिक शताब्दी के कठोर परिश्रम के माध्यम से चीन का काफी बड़ा विकास हुआ है , कुल आर्थिक मात्रा बढ़कर विश्व में अग्रसर हो गयी है , ऐसा होने पर भी चीन फिर भी एक विकासमान देश है , विकसित देशों की तुलना में चीन अब भी अत्यंत पिछड़ा रहा है। उन्हों ने वचन दिया है कि चीन सदा के लिये खुले द्वार नीति पर कायम रहकर विश्व के साथ सामंजस्यपूर्ण रूप से आगे बढ़ जाएगा और हाथ मिलाकर प्रगति करेगा ।

देश शहजोर होने से दुनिया में प्रभुत्व जमाना चाहता है , पर यह चीन के लिये अनुचित नहीं है । प्रभुत्व जमाना हमारी सांस्कृतिक परम्परा से मेल नहीं खाता ही नहीं , बल्कि चीनी जनता के इरादे के उल्लंघन भी है । चीन का विकास किसी को नुकसान नहीं पहुंचाता है और किसी के लिये खतरा भी नहीं है । चीन दूसरे से सीखने और सहयोग करने वाला बड़ा शांतिप्रिय देश वनने और एक सामंजस्यपूर्ण विश्व को निर्मित करने की पुरजोर कोशिश करने को तैयार है ।

मौजूदा वित्तीय संकट की चर्चा में श्री वन चा पाओ ने कहा कि भूमंडलीय संकट के मुकाबले के लिये सहयोग को मजबूत बनाना जरूरी है । सहयोग के जरिये संयुक्त रूप से संकट को दूर करना हमारा प्राथमिक कार्य ही है । उन्हों ने कहा चीन सरकार इस बात की पक्षधर है कि सर्वप्रथम विभिन्न देशों के लिये यह जरूरी है कि अपने काम को बखूबी अंजाम दिया जाए और अपनी परेशानियों को किसी दूसरे के माथे न मढ़ा जाये । दूसरी तरफ ईमानदारी से सहयोग किया जाये और पड़ोसियों को उलझन में न डाला जाये . अंत में बाहरी व अंदरुनी मामलों के समाधान को महत्व दिया जाए , न कि सिर में दर्द है , सिर का इलाज किया जाये , जबकि पांव में दर्द है , पांव का इलाज । मैं ने दावोस सम्मेलन में दोहराया है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा व वित्तीय व्यवस्था का सुधार करना और न्यायपूर्ण , युक्तिसंगत , सहनशील और सुव्यवस्थित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय नयी प्रणाली स्थापित करनी चाहिये , ताकि भूमंडलीय आर्थिक विकास के लिये अनुकूल व्यवस्थित पर्यावरण कायम किया जा सके ।

श्री वन चा पाओ ने मौजूदा वित्तीय संकट के मुकाबले में चीन द्वारा उठाये जाने वाले कदमों का परिचय देते हुए कहा एक तरफ अंदरुनी मांगों को बढाने के लिये भारी सरकारी खर्चा बढ़ाया गया है । चीन सरकार ने सामाजिक पूंजी निवेश को प्रोत्साहन देने के लिये 40 खरब य्वान की दो वर्षिय योजना बनायी । दूसरी तरफ बड़े पैमाने पर औद्योगिक पुनर्व्यवस्था के लिये प्रोत्साहन योजना लागू की जाये , तीसरी तरफ वैज्ञानिक व तकनालोजिकल प्रगति व नये सृजन को बढावा दिया जाये । विज्ञान व तकनीकी वित्तीय संकट को दूर करने की मूल शक्ति है । इस के अतिरिक्त बड़ी हद तक सामाजिक प्रतिभूति स्तर को उन्नत किया जाये । हम शिक्षा के विकास को प्राथमिकता पर देते हैं ।

श्री वन चा पाओ ने कहा कि मौजूदा वित्तीय संकट ने लोगों को यह जगा दिया है कि वर्तमान कार्यांवित आर्थिक व्यवस्था और आर्थिक सिद्धांत की गहन रूप से आत्म आलोचना की जानी चाहिये । उन्हों ने कहा  मौजूदा वित्तीय संकट से हम ने देख लिया है कि बाजार कोई रामबाण नहीं है , हद से ज्यादा मुक्त कराये जाने से स्वभावतः आर्थिक व्यवस्था में गड़बड़ी उत्पन्न हुई है और सामाजिक बंटवारे में असमानता हो गयी है , जिस से आखिरकार दंड मिला है । सचा बाजारीकरण सुधार बाजार व्यवस्था को देश के समग्र नियंत्रण के मुकाबले खड़ा नहीं करेगा। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट ने फिर एक बार लोगों को बता दिया है कि अनियंत्रित बाजार अर्थव्यवस्था कितनी भयंकर है । इसलिये वित्तीय सृजन व वित्तीय निगरानी के संबंध , काल्पनिक व ठोस अर्थव्यवस्थाओँ के संबंध और  जमा धन राशि व उपभोग के संबंध का सही निपटारा करना अत्यावश्यक है ।

श्री वन चा पाओ ने अंत में कहा कि मुझे विश्वास है कि जब चीन व ब्रिटेन के युवा एक दूसरे से सीख कर हाथ में हाथ डालकर आगे बढेंगे , तो अवश्य ही चीन ब्रिटेन संबंध का नया अध्याय जोड़ा जायेगा।