2009-02-02 12:13:00

सहयोग और सुधार विश्व आर्थिक मंच के 2009 वार्षिक सम्मेलन का एक प्रमुख स्वर

दोस्तो , विश्व आर्थिक मंच का पांच दिवसीय 2009 वार्षिक सम्मेलन पहली फरवरी को स्वीटजरलैंड के स्केइंग स्थल दावस में संपन्न हुआ । सम्मेलन में उपस्थित ढाई हजार प्रतिनिधियों ने सम्मेलन के दौरान हुए 220 से अधिक विशेषयक बहस मुबाहिसों में वर्तमान वित्तीय संकट और अन्य भूमंडलीय मामलों पर व्यापक विचार विमर्श किया । दृढ़ विश्वास , मजबूत सहयोग और मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था में बदलाव सम्मेलन की प्रमुख आवाज बन गया है ।

सम्मेलन की समाप्ति पर विश्व आर्थिक मंच के संस्थापक श्री शवाब ने कहा कि इस सम्मेलन में जो एक जबरदस्त सूचना सूचित हुई है , वह है विभिन्न देशों के लिये पिछली शताब्दी के तीस वाले दशक के बाद सब से गम्भीर संकट की द्रुत व कारगर प्रतिक्रिया करना जरूरी है । उन्हों ने कहा कि संकट से सारा विश्व प्रभावित हो गया है , विश्वव्यापी संकट के सामने विश्वव्यापी समाधान प्रस्ताव विर्धारित करना आवश्यक है , हमें भविष्यत विचार व घनिष्ट सहयोग के जरिये अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था को नये सिरे से स्थापित करना होगा , ताकि वह संकट के बाद उत्पन्न विश्व परिस्थिति के अनुरुप हो सके ।

सम्मेलन के उपस्थितों का मानना है कि वर्तमान परिस्थिति का धैर्य के साथ निर्णय करना जरूरी है । भविष्य के एक अर्से में विश्व आर्थिक भविष्य फिर भी धूमिल बना रहेगा । बेरोजगारों की संख्या बढ़ने , कारोबारों का दिवाला निकलने और गरीबी गम्भीर होने जैसे सवाल भिन्न हद तक बरकरार रहेंगे । इसे ध्यान में रखकर सम्मेलन में निम्न पांच सूत्रीय साझा लक्ष्य पारित हुए हैं , पहला , विभिन्न सरकारों व जी 20 गुट आदि अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा संकट में और बड़ी भूमिका निभाये जाने का समर्थन किया जाये , दूसरा , वित्तीय संकट के मुकाबले के साथ साथ जलवायु परिवर्तन व जल सनसाधन के अभाव जैसी भूमंडलीय चुनौतियों को भारी महत्व दिया जाये , तीसरा , मौजूदा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की रणनीति व ढांचे की सुधार प्रक्रिया शुरु की जाये , चौथा , कारोबारों को समाज के जिम्मेदाराना सदस्य का रूप धारण लेने दिया जाये और पांचवां आगामी विश्व अर्थव्यवस्था पर विश्वास पुनर्स्थापित किया जाये ।

मौजूदा दावस वार्षिक सम्मेलन ऐसी पृष्ठभूमि में आयोजित हुआ है , जबकि वित्तीय संकट तेज से तेजतर हो गया है , प्रमुख पश्चिमी आर्थिक समुदाय आर्थिक मंदी में पड़ गये हैं और निराशाजनक भावना निरंतर फैल गयी है , जिस से अंतर्राष्ट्रीय समुदाय का व्यापक ध्यान आकर्षित हुआ है और विश्व आर्थिक मंच ने उसे अपनी स्थापना के बाद के पिछले 40 सालों में सब से प्रमुख घटनाओं में से एक मान लिया है । 40 से अधिक सरकारी शास्नाध्यक्ष इस सम्मेलन में शरीक हुए हैं , जिन में चीनी प्रधान मंत्री वन चा पाओ , रूसी प्रधान मंत्री पुतिन , जर्मन प्रधान संत्री सुश्री मेर्कल , ब्रिटिश प्रधान मंत्री ब्राऊन और जापानी प्रधान मंत्री तारो आसो शामिल हैं । इस के अतिरिक्त संयुक्त राष्ट्र महा सचिव बान की मून और विश्व व्यापार संगठन के महानिर्देशक लामी समेत तीस से अधिक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के जिम्मेदार व्यक्ति भी सम्मेलन में उपस्थित हुए , हिस्सेदारों ने अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट के मुकाबले पर गहन रुप से विचारों का आदान प्रदान किया , साथ ही जलवायु परिवर्तन , ऊर्जा , खाद्यान्न और जल स्रोत की सुरक्षा जैसे विश्वव्यापी विषयों व मध्य पूर्व परिस्थिति पर पूर्ण रूप से ध्यान दिला दिया है ।

दृढ़ विश्वास करीब हरेक मंच भाषण में एक समान उल्लेखित शब्द रहा है । प्रधान मंत्री श्री वन चा पाओ ने 28 जनवरी को सम्मेलन में जो दृढ विश्वास , मजबूत सहयोग और नये दौर की विश्व आर्थिक वृ्द्धि शीर्षक विशेष भाषण दिया है , उस से हिस्सेदारों में जबरदस्त प्रतिक्रिया भड़क उठी है । हिस्सेदारों का समान विचार है कि अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संकट के प्रभाव में चीन सरकार ने जो जबरदस्त कदम उठाये हैं , उस से प्रारम्भिक उपलब्धि नजर आयी है ।चीन तेज आर्थिक वृद्धि को बनाये रखने से विश्व आर्थिक पुनरुत्थान के लिये भारी योगदान कर देगा ।

विभिन्न देशों द्वारा प्रस्तुत आर्थिक प्रोत्साहित प्रस्तावों पर सभी हिस्सेदारों ने अपनी राजी जताय़ी, लेकिन उन्हों ने कुछ देशों के प्रस्तावों में संरक्षणवाद से जुड़ी धारा पर अपनी चिन्ता व्यक्त की । उन का विचार है कि इतिहास में संकट आने पर कुछ देश अकसर अपने देश के रोजगार संरक्षण व घरेलू राजनीतिक जरूरत के लिये संरक्षणवाद का सहारा लेते हैं । पर तथ्यों से साबित हो गया है कि ऐसा करने से अपने देश को संकट से बचाने के बजाये आर्थिक पुनरुत्थान को प्रभावित हो सकता है ।