2009-01-28 17:51:23

अमरीकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारी दावोस विश्व आर्थिक मंच की बैठक में क्यों नहीं भाग लेना चाहते

विश्व आर्थिक मंच ने 26 तारीख को इस की पुष्टि की कि अमरीकी वित्त मंत्री गाइटनर और राष्ट्रीय आर्थिक आयोग के अध्यक्ष सम्मर्स ने वर्ष 2009 दावोस मंच में भाग लेने की योजना रद्द कर दी है ।उन की जगह को राष्ट्रपति ओबामा के एक सलाहकार इस बैठक में भाग लेंगे । 28 तारीख को उद्घाटित दावोस मंच की वार्षिक बैठक ओबामा सरकार की स्थापना के बाद पहली विश्वव्यापी आर्थिक महासभा है । 90 से अधिक देशों के प्रतिनिधि इस में भाग ले रहे हैं ,जिन में 40 से ज्यादा देशों के नेता शामिल हैं ।विश्व की एकमात्र महाशक्ति के नाते इस बैठक में अमरीकी सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की अनुपस्थिति गौरतलब बात है ।

पिछले साल हुई दावोस मंच की बैठक में पूर्व अमरीकी विदेश मंत्री कोंडोलिजा राइस के नेतृत्व में सरकारी अधिकारियों ,अर्थशास्त्रियों व दिग्गज कंपनियों के प्रधानों से गठित एक बडे अमरीकी प्रतिनिधि मंडल ने बैठक में भाग लिया था ।वे मंच पर अमरीकी अर्थतंत्र की स्वस्थता की पैरवी के लिए बहुत सक्रिय रहे ।पर चालू साल अनुमानिक अमरीकी आर्थिक संकट कठोर तथ्य बन गया ।कुछ विश्लेषकों के विचार में अमरीकी आर्थिक की मौजूदा स्थिति के बारे में नयी सरकार शायद कुछ नहीं कहना चाहती ,इसलिए उस ने मंच पर किसी वरिष्ठ अधिकारी नहीं भेजे ।कुछ विश्लेषकों का अनुमान है कि ओबामा सरकार अभी अभी सत्ता में आयी ,इसलिए विभिन्न नीतियों को सार्वजनिक बनाये जाने का मौका नहीं आया है ।लेकिन स्विजरलैंड में स्थित हमारे संवाददाता के विचार में अमरीकी सरकार अंतरराष्ट्रीय समुदाय की आलोचना से बचना चाहती है ।

पिछले साल के उत्तरार्द्ध में अमरीकी सबप्राइम लोन संकट से अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट पैदा हुआ ।अब तक उस का फैलाव जारी है । वित्तीय संकट विकसित देशों से विकासशील देशों तक फैल रहा है और उस का प्रभाव वित्तीय जगत से सार्थक अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचा रही है । विश्व आर्थिक विकास इस से गंभीर रूप से प्रभावित हुआ । कहा जा सकता है कि अमरीका वर्तमान आर्थिक संकट का स्रोत है ।इस संकट का मुख्य कारण यही है कि अमरीका की वित्तीय व मुद्रा नीतियों में गंभीर खामियां मौजदू हैं , वित्तीय सृजन अनियंत्रित हो गया और वित्तीय निगरानी का अभाव है ।संकट पैदा होने के बाद अमरीका दूसरे देशों पर जिम्मेदारी ठहराने की कोशिश करता रहा ।उस ने नये उदय आर्थिक समुदायों में उच्च जमा दर होने की शिकायत की और चीन पर रन मन बी की विनिमय दर मेनिप्युलेट करने का आरोप लगाया ।लेकिन उस ने कभी खुद अपनी आत्मओलोचना नहीं की ।संकट पैदा होने के बाद ब्रिटेन व फ्रांस जैसे पश्चिमी देशों व व्यापक विकासशील देशों के विचार में वर्तमान अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था के सुधार की अत्यंत जरूरत है ।चालू साल की दावोस मंच की बैठक में इस मुद्दे पर विचार करना एक अहम विषय है ।लेकिन ऐसी आवाज अमरीका को पसंद नहीं है ।

अमरीका न सिर्फ वर्तमान वित्तीय व अर्थतंत्र संकट की जिम्मेदारी से बचना चाहता है । ध्यान रहे चालू साल की दावोस मंच की बैठक में विश्व के सामने मौजूद गंभीर चुनौतियों पर विचार विमर्श किया जाएगा ।संयुक्त राष्ट्र महासचिव पान की मून और विश्व आर्थिक संगठन के महानिदेशक लामी जैसे अनेक अंतरराष्ट्रीय संगठनों के नेता इस में उपस्थित हैं ।वे जलवायु परिवर्तन व अनाज संकट का निपटारा करने और दोहा दौर वार्ता को आगे बढाने के लिए विश्व के विभिन्न देशों व क्षेत्रों के साथ मिलकर कोशिश करने की अपील करेंगे । गौरतलब है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय जलवायु परिवर्तन सवाल पर अमरीका इस से संबंधित नीतियों व कार्यवाहियों की आलोचना करता आया है ।विश्व की भुखमरी समस्या को लेकर अमरीका की जैव ऊर्जा योजना पर गरीबों के मुंह से अनाज लूटने का आरोप लगाया जा रहा है ।दोहा दौर वार्ता में कृषि भत्ते पर अमरीका का हठधर्मी रूख एक मुख्य बाधा है ।

चालू साल की दावोस मंच की बैठक में गाजा की स्थिति एक ध्यानाकर्षक मुद्दा भी होगा ।इजरायली राष्ट्रपति पेरेज और अरब लीग के महासचिव मूसा इस मंच पर अपने अपने रूख का स्पष्टीकरण करेंगे ।फिलिस्तीन व इजरायल पर अमरीका का सब से बडा प्रभाव है ।कुछ स्थानीय विश्लेषकों का कहना है कि अगर वरिष्ठ अमरीकी अधिकारी इस बैठक में उपस्थित हुए ,तो उन को बडे दवाव की महसूसी होगी ।

लोकमत के विचार में सब से बडे विकसित देश के नाते अमरीका को अंतरराष्ट्रीय मामलों में अपने स्थान से मेल खाने वाली जिम्मेदारी उठानी चाहिए और अपने कर्तव्य को निभाने से चूकना नहीं चाहिए ।

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