2009-01-26 18:26:20

गाजा में युद्ध के फिर से भड़कने की संभावना कम

25 तारीख इजरायल और हमास के बीच एक हफ्ते के युद्ध विराम का अंतिम दिन है ।स्थानीय विश्लेषकों के विचार में वर्तमान स्थिति में गाजा में युद्ध के फिर से भड़कने की संभावना बहुत कम है ।

इजरायली पक्ष से देखा जाए तो उसे फौजी प्रहार करने की आवश्यकता नहीं है ।इजरायली प्रधान मंत्री ओलमर्ट ने 25 तारीख को मंत्रिमंडल की बैठक को स्डरोट जैसे गाजा के आसपास कस्बों के हालिया दौरे की स्थिति से अवगत कराया ।उन का कहना है कि दक्षिण इजरायल की सुरक्षा स्थिति में बडा सुधार आया और कास्ट लीड कार्रवाई का बुनियादी लक्ष्य पूरा लिया गया है और इजरायल ने हमास जैसे फिलिस्तीनी सशस्त्र संगठनों पर सशस्त्र दबाव डालने की शक्ति बना ली है ।ऐसी स्थिति में अगर इजरायल ने फिर गाजा पर हमला किया ,तो अपने मुंह पर थप्पड़ मारने के बराबर होगा ।वास्तव में इजरायली संसद का चुनाव होने वाला है ।बल प्रयोग करने से इजरायल के सत्तारूद्ध गठबंधन की छवि पर हानि पहुंचेगी ।इसलिए इजरायल सरकार इस समय इस मुद्दे पर ज्यादा ध्यान दे रही है कि गाजा से सटे सीमांत क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा बंदोबस्त को कैसे बढाया जाए ताकि चिरस्थाई युद्ध विराम साकार हो सके ।

उधर युद्ध फिर छेडना हमास के हितों के अनुरूप भी नहीं है ।हमास के युद्ध विराम वार्ताकार आयमान टाहा ने 18 तारीख को काहिरा में एक हफ्ते के युद्ध विराम की घोषणा करते समय इजरायल से मांग की कि इजरायल अपनी सेना हटाए ,गाजा के बंदरगाहों को खोले और मानवीय राहत सामग्री गाजा में पहुंचने दे । 18 तारीख की रात हमास के पोलित ब्यूरो के उपाध्यक्ष मार्जुक ने ब्यान जारी कर हमास का रूख स्पष्ट करते हुए कहा कि हमास गाजा के खिलाफ इजरायली नाकेंबदी सदा से हटायी जाने का युद्ध विराम समाझौता स्वीकार करने को तैयार है ।वर्ष 2006 में सत्ता में आने के बाद ,खासकर जून 2007 में बल प्रयोग से एकतरफा तौर पर गाजा को नियंत्रित करने के बाद हमास ऐसा अनुरोध करता रहा ।लेकिन वह लडाई के जरिये इस लक्ष्य को पूरा नहीं कर सका ।फिलहाल की गंभीर मुठभेड ने हमास की शक्ति पर गंभीर क्षति पहुंचायी है ।उधर इजरायली सेना पूरी तरह हट गयी है और मानवीय सामग्री का परिवहन कदम ब कदम बहाल हो रहा है ।इस स्थिति में फौजी शक्ति से मजबूत इजरायल के साथ प्रत्यक्ष मुकाबला करना हमास के लिए विवेकतापूर्ण नहीं है ।पुननिर्माण का मौका पकडकर राजनयिक व राजनीतिक उपायों के जरिये अपने लिए अनुकूल स्थिति तैयार करना हमास के हितों में होगा ।हमास अब इस दिशा में कोशिश कर रहा है ।

इस के अलावा इजरायल और फिलिस्तान दोनों युद्ध विराम मुददे पर अंतरराष्ट्रीय का भारी दवाव का सामना कर रहे हैं ।गाजा पट्टी अब युद्धोत्तर आकलन से पुननिर्माण के दौर में पहुंच रहा है ।इस से पहले हुई इजरायली फौजी कार्रवाई से नागरिकों समेत सैनिकों की भारी हताहती हुई और कुछ मानवाधिकार संगठन संभवत इजरायल पर अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने का आरोप लगाने जा रहे हैं ।इस स्थिति में इजारयल को फिर सेना भेजने पर बहुत सावधान रहना पडेगा । हमास की दृष्टि से देखा जाए अगर उस ने फिर से युद्ध छेडा ,तो वह बडी संख्या वाले बेगुनाह नागरिकों की हताहती की कीमत से प्राप्त अंतरराष्ट्रीय हमदर्दी व समर्थन को खो बैठेगी ।अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आसानी से गलतफहमी हो सकती है कि हमास अपने नागरिकों को अपहृत कर अपना राजनीतिक लक्ष्य पूरा करना चाहता है ।

इजरायल फिलिस्तीन स्थिति पर अमरीका की भूमिका के प्रभाव को भी नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता है ।अब तक अमरीका का रूख स्पष्ट नहीं है ।सत्ता में आने से पहले ओबामा ने व्यक्त किया था कि वे गाजा के युद्ध विराम पर कडी नजर रखेंगे ।लेकिन उन की नीति का ठोस विषय अब भी साफ नहीं है ।इजरयाली विदेश मंत्रालय के एक अधिकारी ने 24 तारीख को बताया कि ओबामा के मध्यपूर्व सवाल पर विशेष दूत मिचल 28 तारीख को मध्यपूव की पहली यात्रा करेंगे ।सूत्रों के अनुसार मिचल अलग अलग तौर पर इजरायल व फिलिस्तीन के नेताओं से मुलाकात करेंगे और मुख्य तौर पर फिलिस्तान इजरायल शांति वार्ता की बहाली और हमास की हथियार तस्करी की रोकथाम पर विचार विमर्श करेंगे ।जानकार सूत्रों के अनुसार इजरायल व फिलिस्तीन के अलावा मिचल के मिश्र व जोर्डन की यात्रा करने की संभावनास भी है । कहा जा सकता है कि विभिन्न पक्षों को कुछ हद तक अमरीका के मौजूदा हाल पर ध्यान देना होगा।

उपरोक्त कारणों से इजरायल व फिलिस्तीनी सशस्त्र संगठनों के बीच का युद्ध विराम कमजोर तो है ,पर उस का आधार कुछ हद तक मजबूत है ।