2009-01-24 19:27:33

तिब्बती विदों का कहना है कि तिब्बत में सामंती भूदास व्यवस्था की समाप्ति 20वीं शताब्दी में मानव जाति के भूदास व्यवस्था रद्द करने वाले आंदोलन का एक ज्वार है

चीनी तिब्बती शास्त्र अनुसंधान केंद्र के अनुसंधानकर्ता श्री चांग य्वून ने 24 तारीख को क्वांगमिन दैनिक समाचार पत्र में नामांकित लेख प्रकाशित कर कहा कि 20वीं शताब्दी के पचास वाले दशक में चीन ने तिब्बत की स्थानीय सामंती भूदास व्यवस्था को भंग कर दिया । यह 20वीं शताब्दी में मानव जाति के भूदास व्यव्सथा को रद्द करने वाले आंदोलन का एक ज्वार है ।

लेख में कहा गया कि युरोप व अमरीका में गुलामी व्यवस्था व सामंती भूदास व्यवस्था 19वीं शताब्दी के साठ वाले दशक में भंग की गयी, जिन की प्रतीकात्मक घटनाएं भूदास व्यवस्था की समाप्ति के बारे में रूसी शाह अलेक्ज़ांडर द्वितीय द्वारा घोषित घोषणा पत्र और अमरीकी पूर्व राष्ट्रति अब्राहम लिनकोन्न द्वारा जारी मुक्ति घोषणा पत्र हैं । लेकिन चीन के तिब्बत में स्थानीय राजनीतिक व धार्मिक मिश्रित सामंती भूदास व्यवस्था वर्ष 1959 तक ही खत्म हो पायी ।

लेख में कहा गया कि आधी शताब्दी के पूर्व तिब्बत के दस लाख भू दास मुक्त हुए हैं, यह 20वीं शताब्दी में चीन , यहां तक कि समूची मानव जाति के भूदास व्यवस्था को समाप्त करने वाले इतिहास में सब से महान व सब से युगांतरकारी घटनाओं में से ही है, जिसे हमेशा याद रखने लायक है ।

लेख में कहा गया कि आज दलाई ग्रुप पूराने तिब्बत के सामंती भूदास व्यवस्था का गुणगान कर रहा है । उस ने भूदासों के क्रुर शोषण सुन्दर बनाकर तिब्बत की सांस्कृतिक विशेषता को कहा। जिस से इतिहास कलंकित हो गया और लोगों की आंखों में धूल झोकी गयी ।(श्याओ थांग)