2009-01-23 11:18:12

यूरोपीय संघ के आर्थिक पैकेज का असर कम दीखा

वित्तीय संकट के कुप्रभाव से कठिनाई में पडी सच्ची अर्थव्यव्सथा बचाने के लिए यूरोपीय संघ ने एक महीने से पहले 2खरब यूरो वाला आर्थिक पैकेज प्रस्तुत किया ।लेकिन अब तक इस आर्थिक पैकेज का बहुत कम असर दीखा ।नवींतम आंकडों के अनुसार चालू साल यूरो क्षेत्र व यूरोपीय संघ की समग्र अर्थव्यवस्था बडे पैमाने तौर पर गिर जाएगी ।अल्पकाल में उस की मंदी का रूझान नहीं बदलेगा ।

यूरोपीय संघ आयोग द्वारा 19 तारीख को जारी आर्थिक भविष्यवाणी रिपोर्ट से पता चला कि सच्ची अर्थव्यवस्था पर अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट का प्रभाव बढ रहा है ।यूरो क्षेत्र और यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था की वृद्ध दर वर्ष 2009 में अलग अलग तौर पर माइनस 1.9 प्रतिशत व माइनस 1.8 प्रतिशत होगी ।इस के साथ साथ यूरो क्षेत्र की बेरोजगार दर पिछले साल की 7.5 प्रतिशत से बढकर चालू साल 9.3 प्रतिशत तक पहुंचेगी और अगले साल 10 प्रतिशत से अधिक होगी ।इस निराशाजनक भविष्यवाणी से जाहिर है कि यूरोपीय संघ के आर्थिक पैकेज का असर निकट भविष्य में नहीं दिखाया जाएगा ।

अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संकट के प्रभाव से यूरो क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पिछली साल की तीरी तिमाही में पहली बार मंदी में पडी ।यूरोपीय संघ जल्दी से वित्तीय संकट के निपटारे से सच्ची अर्थव्यवस्था बचाने पर ध्यान देने लगा ।पिछले साल की दिसंबर में यूरोपीय संघ के शिखर सम्मेलन पर अर्थव्यवस्था प्रेरणा देने के लिए 2खरब यूरो आर्थिक पैकेज पारित किया गया ।लेकिन इस योजना के कार्यावयन के एक महीना के बाद नवींतम आर्थिक भविष्यवाणी रिपोर्ट में खास उत्तेजक विषय नजर नहीं आया ।इस का मुख्य कारण है कि आर्थिक पैकेज के कार्यावयन में कुछ अनिश्चित तत्व मौजदू हैं । 2खरब यूरो आर्थिक पैकेज में यूरोपीय संघ सिर्फ 30 अरब यूरो प्रदान करेगा ।बाकी राशि विभिन्न सदस्यों को अपने से जुटानी होगी ।इस लिए विभिन्न सदस्यों के बीच समंवित कदम उठाने जाने का आधार कमजोर है ।यूरोपीय संघ के विभिन्न सदस्यों ने अर्थव्यवस्था उत्तेजित करने के लिए अपना अपना आर्थिक पैकेज प्रस्तुत किया और यूरोपीय संघ ने विभिन्न सदस्यों को यथासंभव मदद दी ,पर विभिन्न सदस्यों के आपस में समन्वय का अभाव बना रहा और कुछ सदस्य पूंजी की कमी के कारण यूरोपीय संघ की आम मांग पूरा नहीं कर सके ।इस के अलावा यूरोपीय संघ मुख्य तौर पर सार्वजनिक खर्च के विस्तार ,करों की छूट व ब्याज के गिरावट जैसे सकारात्मक वित्तीय नीतियों से अर्थव्यवस्था प्रेरणा देना चाहता है ।लेकिन इन नीतियों के कार्यावयन में कुछ समस्याएं पैदा हुईं ।

सब से पहले सार्वजनिक खर्च के विस्तार से अब कुछ नकारात्मक प्रभाव पैदा हुआ है ।यूरोपीय संघ के स्थिरता व वृद्धि समझौते के मुताबिक विभिन्न सदस्य देशों को अपनी वित्तीय घाटा को जी डी पी की 3 प्रतिशत के अंदर नियंत्रित करना चाहिए ।लेकिन अनुमान के अनुसार चालू साल यूरोपीय संघ के सदस्यों की घाटा का औसत अनुपात 4.5 प्रतिशत तक जा पहुंचेगा ।वित्तीय संकट के निपटारे के लिए वित्तीय घाटा का उचित स्तर क्या है ,कब इस समस्या का समाधान किया जाएगा ।इन सवालों पर यूरोपीय संघ के अंदर मतभेद मौजूद है ।20 जनवरी को आयोजित यूरोपीय संघ के वित्तीय मंत्री सम्मेलन में इन सवालों के निपटारे का उपाय नहीं पाया गया ।स्थानीय विश्लेषकों के विचार में अगर विभिन्न सदस्य देश मनमाने सार्वजनिक खर्च का विस्तार करेंगे ,तो आर्थिक विकास की बहाली होने के बाद ही यूरोपीय संघ की वित्तीय स्थिरता असंभव होगी ।

दूसरा ,यूरोपीय संघ कर घटाने से आंतरिक उपभोग बढाना चाहता है ।पर करों की गिरावट से सरकार की आय भी कमी होगी ।इस से वित्तीय घाटा की समस्य और गंभीर होगी ।यूरो क्षेत्र के दो सब से बडे देश फ्रांस और जर्मनी ने साफ किया है कि वे करों की छूट के जरिये अर्थव्यवस्था उत्तेजित नहीं करेंगे ।इस तरह करों की छूट पर यूरोपीय संघ एकतापूर्ण कदम नहीं उठा सकेगा ।

तीसरा ,आर्थिक विकास पर ब्याज घटाने का असर सीमित रहा ।यूरोपीय केंद्रीय बैंक ने पिछली अक्टूबर से अब तक 4 बार ब्याज दर घटायी है और बुनियादी ब्याज दर अब दो प्रतिशत है । लेकिन यूरो क्षेत्र में विभिन्न बैंक कर्ज देने में बहुत सावधान रहते हैं ,जिस से व्यवसायों की पूंजी की कमी और रील एस्टेट उद्योग की मंदी बनी रहती है ।यूरोपीय केंद्रीय बैंक का मानना है कि भावी कई तिमाहियों में वित्तीय बाजार में बडा सुधार नहीं आएगा और यूरो क्षेत्र में आंतरिक मांग का अभाव यथावत रहेगा ।

चौथा ,यूरोपीय संघ के आर्थिक स्तंभों में से एक होने के नाते यूरोपीय संघ का निर्यात अब बडे खतरे का सामना कर रहा है ।जर्मनी यूरोपीय संघ की सब से बडी अर्थव्यवस्था है और सब से महत्वपूर्ण निर्यात देश भी ।आर्थिक विकास बढाने के लिए जर्मनी ने 80अरब यूरो की राहत योजना लागू की है ।पर अब तक जर्मनी का निर्यात बाजार निराशजनक रहा ।जर्मनी सरकार का अनुमान है कि चालू साल जर्मनी की जी डी पी की वृद्धि दर शायद 2 प्रतिशत से 2.5 प्रतिशत तक गिर जाएगी ।

उपरोक्त कारणों से देखा जाए यूरोपीय संघ के आर्थिक पैकेज का असर अल्पकाल में नहीं दीखेगा ।यूरोपीय संघ ने आर्थिक विकास को बढाने के लिए एक अच्छा उपाय भी नहीं पाया है ।यूरो ग्रुप के अध्यक्ष जुनकर ने चेतावनी दी थी कि यूरोपीय संघ की अर्थव्यवस्था दो कठिन साल से गुजरेगी यानी वर्ष 2011 व 2012 में सामान्य हो जाएगी ।