स्थानीय समयानुसार 20 तारीख की दोपहर को बाराक ओबामा ने अमरीकी कांग्रेस भवन में औपचारिक रूप से 44वें अमरीकी राष्ट्रपति का पदग्रहण करने की शपथ ली और भाषण भी दिया ।अमरीका के विभिन्न क्षेत्रों से आये बीस लाख आम आदमियों ने स्थल पर कठोर सर्दी में ओबामा का पदग्रहण समारोह देखा ।ओबामा का पदग्रहण मनाने वाली गतिविधियां अगले दिन के तडके तक चली ।
अमरीकी आम नागरिकों ने ओबामा के पदग्रहण पर बडा उत्साह दिखाया ।इस का मुख्य कारण है कि चुनाव के दौरान ओबामा ने सुधार का नारा लगाया ।वर्तमान में अमरीका अनेक संकटों का सामना कर रहा है ।आम लोग सुधार चाहते हैं ।उन की आशा है कि ओबामा के नेतृत्व में अमरीका वर्तमान कठिनाइयों से निकलेगा ।
ओबामा के पदग्रहण भाषण से देखा जाए ,तो पता चला कि नयी अमरीकी सराकर आंतरिक मामलों में विभिन्न क्षेत्रों का सुधार करेगी ।अब अमरीका के सामने सब से बडी चुनौती गंभीर वित्तीय संकट है ।ओबामा ने अपने भाषण में बल देकर कहा कि आर्थिक स्थिति हम से बहादुर व तेज कदम उठाने की प्रतीक्षा करती है ।उन्होंने बुनियादी संस्थापनों के निर्माण में ज्यादा पूंजी लगाकर आर्थिक विकास को प्रेरणा देने को व्यक्त किया ।पर ओबामा ने जोर लगाते हुए कहा कि मार्गों व पुलों के निर्माण के अलावा शिक्षा ,चिकित्सा व नयी ऊर्जा के विकास पर भी अधिक पूंजी लगायी जाएगी ।बुश सरकार की नीति की तुलना में यह एक बडा फर्क है ।
विदेशी मामलों में ओबामा की नीति का बदलाव स्पष्ट है ।बुश प्रशासन की एकतरफावाद की तुलना में ओबामा ने पारस्परिक सम्मान व लाभ के आधार पर इस्लामी देशों के साथ नये संबंधों के विकास का तरीका ढूंढने और गरीब देशों को ज्याजा राहत प्रदान करने पर बल दिया ।इराक युद्ध के कारण बुश सरकार को व्यापक आलोचना मिली ।ओबामा ने अपने पदग्रहण भाषण में इराक युद्ध का अंत करने को व्यक्त किया ,जो एक ध्यानाकर्षक मुद्दा है ।
दूसरी तरफ से देखा जाए हालांकि ओबामा ने चुनाव के समय बार बार सुधार पर जोर लगाया ,पर निर्वाचित होने के बाद उन की सुधार की आवाज अपेक्षाकृत रूप से नीची हो रही है ।विश्लेषकों के विचार में अमरीका के व्यावहारिक हितों का ख्याल रखते हुए ओबामा का सुधार सीमित होगा ।कुछ पक्षों में ओबामा बुश की नीति बनाए रखेंगे ।उदाहरण के लिए ओबामा बुश की तरह गंभीर वित्तीय संकट के मुकाबला को प्राथमिकता देंगे और बाजार बचाने के लिए भारी पूंजी लगाएंगे ताकि वित्तीय बाजार की तरलता सुधारा जाए ।इस के अलावा घरेलू मांग के विस्तार के लिए बुनियादी संस्थापनों के निर्माण पर जोर लगाया जाएगा ।विदेशी नीति में ओबामा ने आतंकवाद के विरोध को बडा महत्व देते हुए अलकायदा व तालिबान सशस्त्र संगठन पर प्रहार को मजबूत करने को व्यक्त किया ।ओबामान ने दुश्मनी देशों के साथ वार्तालाप करने की इच्छा व्यक्त की थी ,पर ओबामा ने उन देशों से अमरीका का हाथ मिलाने के लिए सब से पहले मुक्का ढीलने की मांग की ।इस संदर्भ में ओबामा की नीति और बुश प्रशासन की नीति में बडा फर्क नहीं है ।
ओबामा के पदग्रहण भाषण से नयी अमरीकी सरकार की कुछ नीतियों के रूझान का पता चलता है ।पर सत्ता में आने के बाद ओबामा ठोस स्थितियों के मुताबिक अपनी नीतियों व विचारों में जरूर कुछ बदलाव लाएगा ।कुछ विश्लेषकों के विचार में लोग जल्दी से अमरीका का असली बदलाव नहीं देख सकेंगे ।वित्तीय संकट का प्रभाव लंबे समय तक मिटाया जाएगा ।लोग शायद निराश होंगे ।अमरीकी विदेश नीति में आपात बदलाव आने की संभावना भी बहुत कम है ।अमरीका के गठबंधन देश अफगानिस्तान युद्ध का यथाशीघ्र अंत करना चाहते हैं । वे शायद भी निराश होंगे ।
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