चीन में जनसंख्या घनी और खेतीयुक्त भूमि कम है। चीन देश में 12 करोड़ हैक्टर के खेतों की निम्मतम सीमा सुरक्षित करने की हरचंद कोशिश करेगा ।
हाल में यह दलील सुनने को मिली है कि चीन में खेतों का आरक्षण करने की जरूरत नहीं है। लेकिन चीनी राष्ट्रीय भू-संसाधन मंत्री श्यु शाओ सी ने हाल ही में आयोजित राष्ट्रीय भू-संसाधन विभाग के प्रधानों के कार्य सम्मेलन में स्पष्ट शब्दों में कहा कि चीन को कड़ाई से खेतों का आरक्षण करते हुए 12 करोड़ हैक्टर खेतों की निम्मतम सीमा बनाए रखेगा।
वास्तव में चीन ने देश में अनाज सुरक्षा की गारंटी के ख्याल से ही खेतों की निम्मतम सीमा 12 करोड़ तय करने का फैसला किया है। कुछ विशेषज्ञों ने हाल में प्रतिवाद किया कि इस सीमा के कारण चीन में शहरीकरण की गति अवरूद्ध हो सकेगी और आवासी मकानों के दाम महंगे हो गए है। जब चीन को अनाज की कमी महसूस हुई, तो वह अन्तरराष्ट्रीय बाजार से खरीद सकेगा। इसलिए चीन के लिए फिर खेतों की रक्षा करने की जरूरत नहीं है।
इस दृष्टिकोण पर चीन के समाज में व्यापक बहस छिड़ी । बहुत से सरकारी अधिकारियों और विद्वानों, यहां तक आम लोगों ने भी इस मसले पर राय जतायी। फिलहाल इस दलील का विरोध करने वाले मत जोरों पर है। चीनी राष्ट्रीय भू-संसाधन मंत्री श्यु शाओसी ने राष्ट्रीय भू-संसाधन विभागों के प्रधानों के सम्मेलन में कहा कि चीन में 12 हैक्टर खेतों की निम्मतम सीमा नहीं तोड़ी जानी चाहिए। उन्हों ने कहाः
इस सवाल पर निगरानी के बहाने से आर्थिक व सामाजिक विकास में नकारात्मक सेवा करना ठीक नहीं है, साथ ही विकास की रक्षा के बहाने से निगरानी को कमजोर बनाने से भी सतर्क होना चाहिए। 12 करोड़ हैक्टर के खेतों की निम्मतम सीमा तोड़ने की कतई इजाजत नहीं है, इस सवाल पर समूची पार्टी में सहमति प्राप्त हुई है।
चीनी समाज विज्ञान अकादमी के कृषि विकास प्रतिष्ठान के शौधकर्ता ली छङक्वी ने अपने लेख में कहा कि चीन में खेतीयुक्त भूमि कम है, वह भारत से 4 करोड़ 70 लाख और अमरीका से 6 करोड़ 70 लाख हैक्टर कम है। जबकि भविष्य में चीन की जनसंख्या में फिर 20 करोड़ की वृद्धि होगी, ऐसी स्थिति में खेतों की रक्षा करने में जरा सा ढील नहीं होने देना चाहिए। श्री ली छङक्वी ने कहा कि अन्तरराष्ट्रीय बाजार का उपयोग अपने देश के खेतों के आरक्षण पर आधारित होना चाहिए और अनाज की सुरक्षा की जरा भी उपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
चीनी समाज विज्ञान अकादमी के कृषि विकास प्रतिष्ठान के शौधकर्ता तांग क्वोइंग ने संवाददाता से कहा कि चीन में आवासी मकानों के दाम में हुई वृद्धि का खेतों की रक्षा से कोई संबंध नहीं है। चीन में वास्तु निर्माण के लिए उपयोगी भूमि कम नहीं है । विषम सवाल यह है कि चीन में भूमि के उपयोग की क्षमका बहुत निची है। असल में खेत जितने ज्यादा है, उतना फायेदामंद है। उन्हों ने कहाः
हम कभी खेतीयुक्त भूमि ज्यादा नहीं मानते हैं, वह जितना ज्यादा है, उतना फायेदामंद सिद्धा होता है। भूमि कम होने पर रासायनिक खाद और कीटनाशक दवा का प्रयोग किया जाना पड़ता है, जिस से पर्यावरण को बर्बाद किया जा सकता है। हम अच्छे पर्यावरण के लिए ज्यादा खेतीयुक्त भूमि चाहते हैं। हम पर्यावरण की कम बलि से अनाज की समस्या हल करना चाहते है। यदि चीन में 20 करोड़ खेतीयुक्त भूमि होती, तो हमारे देश का पर्यावरण आज से कहीं अधिक अच्छा होता।
इस के अलावा चीन के बहुत से स्थानों में प्रयोग के लिए भूमि की किराया स्थानीय सरकार का अहम आय स्रोत है । 2008 में पूरे चीन में भूमि की किराये से 9 खरब 60 अरब य्वान की आय प्राप्त हुई, इसी के कारण भी खेतों की रक्षा और खास जरूरी है।
चीनी राष्ट्रीय भू-संसाधन मंत्री श्यु ने कहा कि 2009 में विभिन्न स्थानों में खेत संरक्षण व्यवस्था लागू होगी। उन्हों ने कहाः
इस साल, प्रांत स्तरीय सरकारों में खेत रक्षा मसले पर जिम्मेदारी व्यवस्था की जांच परीक्षा की जाएगी और खेतों की रक्षा के बारे में कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी आंकी जाएगी। स्थाई बुनियादी खेतों को सुरक्षित करने की विशेष नीति लागू होगी और निर्माण परियोजनाओं के बाद खेतीयुक्त भूमि का विकास किया जाएगा और खेतीयुक्त भूमि का विस्तार करने की कोशिश की जानी चाहिए।
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