चिन मंदिर का निर्माण ईसा पूर्व 11 वीं शताब्दी में हुआ था। अनेक बार पुनर्निर्मित होने के बाद उस ने एक भवन समूह का रूप ले लिया। इस के हर भवन, मंडप, सेतु के पीछे एक कहानी या किम्वदंती है। पेइचिंग से आये पर्यटक निंग छी वन ने इसके दर्शन का अपना अनुभव इस तरह बताया कि चिन मंदिर में बहुत से प्राचीन ऐतिहासिक अवशेष सुरक्षित हैं। हालांकि यह मंदिर बड़ा नहीं है, पर शानसी प्रांत की समृद्ध संस्कृति का सार कहा जा सकता है। इसकी पुरानी इमारतें, सांस्कृतिक अवशेष और सुंदर प्राकृतिक दृश्य सब कुछ देखने लायक है। चिन मंदिर का नान लाओ झरना विशेष आकर्षण का केंद्र है। इस के बारे में एक बहुत रोचक किम्वदंती है। कहते हैं कि ल्यू नाम की एक युवती की शादी चिन मंदिर के पास स्थित कू थांग नामक गांव के एक युवक से हुई।
दोस्तो , क्या आप जानते हैं कि चिन मंदिर थाईय्वान शहर की धरोहर माना जाती है , चिन मंदिर का निर्माण ईसा पूर्व 11 वीं शताब्दी में हुआ था। अनेक बार पुनर्निर्मित होने के बाद उस ने एक भवन समूह का रूप ले लिया। इस के हर भवन, मंडप, सेतु के पीछे एक कहानी या किम्वदंती है। पेइचिंग से आये पर्यटक निंग छी वन ने इसके दर्शन का अपना अनुभव इस तरह बताया कि चिन मंदिर में बहुत से प्राचीन ऐतिहासिक अवशेष सुरक्षित हैं। हालांकि यह मंदिर बड़ा नहीं है, पर शानसी प्रांत की समृद्ध संस्कृति का सार कहा जा सकता है। इसकी पुरानी इमारतें, सांस्कृतिक अवशेष और सुंदर प्राकृतिक दृश्य सब कुछ देखने लायक है।
चिन मंदिर का नान लाओ झरना विशेष आकर्षण का केंद्र है। इस के बारे में एक बहुत रोचक किम्वदंती है। कहते हैं कि ल्यू नाम की एक युवती की शादी चिन मंदिर के पास स्थित कू थांग नामक गांव के एक युवक से हुई। शादी के बाद वह सास के आदेश पर प्रतिदिन कुएं से पानी लेने के लिए घर से बाहर जाने को बाध्य हुई। कुआं गांव से बहुत दूर था, इसलिए वह दिन में सिर्फ एक बार ही पानी ला पाती। एक दिन वह पानी लेकर घर वापस लौट रही थी कि एक बूढ़ा अपने घोड़े के साथ उस के सामने आ खड़ा हुआ और उससे घोड़े को पानी पिलाने का अनुरोध करने लगा। इस पर वह बिना हिचकिचाये उसे पानी पिलाने पर राजी हो गयी। पर घोड़े ने जब पानी की दोनों बाल्टियां पी डालीं तो वह यह सोच कर बेहद चिंतित हो उठी कि खाली बाल्टियों के साथ घर लौटने पर उसे सास की गाली खानी पड़ सकती है। उसके पास पानी लाने के लिए समय भी नहीं बचा था। उसकी यह दुविधा देखकर घोड़े के बूढ़े मालिक ने उसे एक चाबुक भेंट किया और कहा कि इस चाबुक की एक फटकार बड़े से बड़े बर्तन को अपने आप पानी से भर देगी। खैर वह बड़ी चिन्तित घर लौटी और जब चाबुक को बर्तन पर फटका तो उसमें तुरंत पानी उमड़ आया। पर आखिर सास को यह रहस्य मालूम हो ही गया। एक दिन जब वह अपने मायके गयी हुई थी, तब सास ने चाबुक को बर्तन पर बार-बार फटका। इससे हुआ यह कि पानी उमड़ा तो फिर रुका ही नहीं। यह देखकर सास डर गयी और उसने तुरंत उसे घर वापस बुला भेजा। घर लौटकर वह पानी को बहने से रोकने के लिए बर्तन के ऊपर जा बैठी, और पानी बर्तन के नीचे लगातार बहता रहा। कहते है कि नान लाओ तभी से कल-कल करता बह रहा है।
थाईय्वान चीन का अंदरूनी शहर है। सौभाग्य से पीली नदी की एक सहायक नदी फन ह इस शहर के बीचोंबीच होकर बहती है। पीली नदी की यह सहायक नदी इस शहर को जीवन के लिए पर्याप्त पानी प्रदान करती है। इस नदी के किनारे निर्मित फनह उद्यान एक अच्छा विश्राम और क्रीड़ा स्थल है। इस की लम्बाई 6 किलोमीटर है और चौड़ाई पांच सौ मीटर। इसके बीच में एक नाला है और नाले के दोनों किनारों पर एक विशाल हरा उद्यान। थाईय्वानवासी अवकाश का समय यहां बिताना पसंद करते हैं। फनह नदी के पास रहने वाले काओ श्यो चन ने बड़े गर्व से बताया कि फनह उद्यान ने 2002 में संयुक्त राष्ट्र आवास पर्यावरण पुरस्कार प्राप्त किया। यह उद्यान थाईय्वान म्युनिसिपलिटी ने एक अरब, 20 करोड़ य्वान की धनराशि से निर्मित किया। यहां विभिन्न प्रकार के पेड़ उगाये गये हैं और साथ ही तरण ताल, संगीत मंच आदि संस्थापनों का भी प्रबंध किया गया है। इस से यह क्रीड़ा, विश्राम और मनोरंजन का एक बहुद्देशीय केंद्र बन गया है।