एक छोटे से मछुआ गांव से एक आधुनिक अन्तरराष्ट्रीय महा नगर में बदलने के पिछले 30 सालों के सुधार व खुलेपन के चलते, चीन का सबसे पहला आर्थिक विशेष क्षेत्र सनचन शहर में जमीन आसमान का परिवर्तन आया है। लेकिन दौलत के शीघ्र भरपूर होने पर शिक्षा अपेक्षाकृत पिछड़े होना सनचन लोगों के मन में लगी एक चोट सी थी। शिक्षा में परिवर्तन लाने में बहुत लोगों का हाथ है, आज के इस कार्यक्रम में हम आप को इन में से एक मिडिल स्कूल के अध्यापक का परिचय कराएगें। लीजिए सुनिए इस संदर्भ पर एक आलेख।
श्री येन लिंग च्वीन सनचन वीछाए मिडिल स्कूल के चीनी भाषा के अध्यापक हैं, अभी आप ने जो आवाज सुनी थी वह उनके द्वारा खुद संपादक पुस्तक का पढ़ाया जा रहा एक अंश था। हम इस लिए उनकी जानकारी दे रहे हैं क्योंकि उसने अनेक मुश्किलों को पार कर वसंत सुर के नाम का एक साहित्य वेबसाइट खोलने में सफलता प्राप्त की है। 1990 में पुस्तक प्रेमी श्री येन लिंग च्वीन पूर्वी चीन के च्यांगसी प्रांत से अपेक्षाकृत अमीर सनचन शहर में आए थे, उनका मकसद एकदम सरल था। उन्होने हमें बताया उस समय सुधार व खुलेपन को शुरू हुए ज्यादा दिन नहीं हुए थे, बहुत से छात्र बड़े होने के बाद बड़ा उद्योगपति व बोर्ड मेनेजर बनने के सपने देख रहे थे । बहुत से अध्यापकों ने छात्रों को कुछ पुस्तकें पढ़ने की सिफरिश की। उस समय साहित्य क्लब नहीं था, लोगों के मन में साहित्य व संस्कृति निर्माण पर ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी।
90 वाले दशक मे प्रकाशित सनचन शहर का रोग नाम के एक साहित्य समूह पुस्तक में इस तरह विवरण किया गया थाः वांग अड़ बास्केटबाल लिए क्लास में प्रवेश हुए, चांग सान के दिल में खुशी का ठिकाना न रहा, तेजी से कदम बढ़ाता हुआ उसने वांग अड़ के कान में धीरे से कहाः गणित अभ्यास कापी साथ ले कर आए हो, मुझे कापी करने के लिए दो न। वांग अड़ ने हंसते हुए जवाब दियाः बहुत अच्छे, पांच रूपये निकाल। पिछली बार तुम ने तीन रूपये ही मांगे थे, जब मन चाहा दाम बढ़ा देते हो। वांग अड़ ने जवाब देते हुए कहाः इस बार का होमवर्क अभ्यास ज्यादा ही नहीं मुश्किल भी तो है, श्रम के मुताबिक पैसा वसूल करना क्या ठीक नहीं है। यदि तुम्हे महंगा लगता है तो तुम जाओ दूसरे लोगों से कापी ले लो। इस बातचीत से देखा जा सकता है कि लोगों को केवल पैसे पर नजर नहीं रखनी चाहिए, छात्रों की इन समस्याओं को हल करने के लिए श्री येन लिंग च्वीन ने साहित्य क्लब स्थापित करने का फैसला लिया। उन्होने कहा चीनी भाषा मिडिल स्कूल के अनेक विषयों में विद्यार्थियों के पूरे जीवन में सबसे बड़ा लाभ लाने वाला पाठ ही नहीं उनकी शिक्षा स्तर के खजाने को भरने का एक महत्वपूर्ण पाठ भी माना जाता है। मैने स्कूल के समक्ष साहित्य क्लब स्थापित करने का सुझाव रखा। उस वक्त हमारा स्कूल दिनोंदिन बड़ा होता जा रहा था, एक स्कूल से दो, फिर तीन व चार स्कूलों में बदल गया, सभी अपनी जरूरत के हिसाब से अलग अलग जगह में चले गए।
सनचन बाहर से आने वाले लोगों से बना एक शहर है, अर्थतंत्र के तेज विकास के चलते, जन संख्या भी तेजी से बढ़ने लगी, पूरे शहर की स्थायी जन संख्या 1973 के तीन लाख 10 हजार से बढ़कर 2006 में 84 लाख 60 हजार जा पहुंची। इतनी तेजी से बढ़ती जन संख्या को देखते सनचन स्कूलों की संख्या में भी भारी वृद्धि होने लगी, जो 1979 के केवल 600 स्कूलों से बढ़कर आज के एक हजार चार सौ तक जा पहुंची है।
शहरी जन संख्या के तेजी से बढ़ने से लोगों का भारी ध्यान स्कूलों के निर्माण में जा टिका, लोगों के मन में साहित्य क्लब के निर्माण की बात एक समय गायब हो गयी। साहित्य क्लब निर्माण के विचार को मजबूर होकर रूकना पड़ा, लेकिन श्री येन लिंग च्वीन को पक्का विश्वास था कि खूबसूरत निबन्ध मन की आत्मा को सुसज्जित कर सकती है। उसने चुपके चुपके दस सालों के अन्दर जवानी समय की पढ़ाई पाठ पुस्तक का संपादन किया। उन्होने कहा जवानी दौर में असल में छात्रों को अपनी जवानी की खुशी व आन्नद महसूस करना चाहिए,जबकि हमारे छात्र इस घड़ी में होमवर्क अभ्यास की लहरों में डूबे रहते हैं। मैं चाहता हूं कि इस उम्र के छात्र अपनी गर्दन उठाकर जी भर कर ताजी हवा को अपने मन में भरें । छात्र को सचमुच अपनी इस उम्र में बहुत सी चीजों की ख्वाईश होती है, मिसाल के लिए वांग वए को लीजिए। उन्होने हमें बताया उस समय हमारे माता पिता बहुत व्यस्त रहते थे, यहां तक कि खाना बनाने का समय तक नहीं मिलता था, अक्सर मुझे उनके साथ खाने में लापरवाही सहनी पड़ती थी। और तो और माता पिता के साथ बात करने का समय भी बहुत कम होता था। अधिकतर समय में मैं खुद कुछ लिखता या कुछ किताबें पढ़ता रहता था, वो भी डर के चुपके से देखता था, कहीं माता पिता को यह न लगे कि मैं अपनी पढ़ाई में बेकार की चीजें पढ़ रहा हूं।
श्री येन लिंग च्वीन और अन्य अध्यापकों ने साहित्य पुस्तकों पर जोर देना शुरू किया। 1998 में वीछाए मिडिल स्कूल की अध्यापिका वी श्यो के निर्देशन में उपन्यास जवानी की बारिश को फिल्म में निर्मित कर लिया गया। इस फिल्म में 90 वाले दशक के सनचन शहर के सिनियर विद्यार्थी श्ये सिन रान अपने अध्यापक की मदद से अपनी जवानी में बीती एक भूली न जाने वाली कहानी का विवरण किया था। इस उपन्यास ने सनचन के तीव्र गति से बढ़ते विकास व तेज रफतार जीवन व लोगों के आगे खड़ी अनेक प्रतिस्पर्धा व दबाव को सुधार व खुलेपन के साथ बहुत अच्छी तरह ताल मेल कर बिठाया है, जिसे मिडिल स्कूल के बच्चों ने बहुत पसंद किया। इस फिल्म के प्रकासित होने से पूरे देश के युवाजनों में जवानी की उमंगे बढ़ने लगी व उससे जुड़ी साहित्य ने भी उन्हे आकर्षित किया। सनचन न केवल आर्थिक का अग्रिम मोर्चा रहा, वह स्कूलों में साहित्य के फलते फूलते का एक आदर्श मिसाल भी बन गया। छात्र वांग वए ने हमें बताया यह उपन्यास और फिल्म की कहानी हमारे जीवन से मिलती जुलती है। इस में सनचन में आकर पढ़ना व नौकरी ढूंढना, फिर यहां से यूनीवर्सिटी में दाखिल होना इत्यादि विषय हमारे जीवन से घनिष्ठ रूप से जुड़े हुए हैं। इस उपन्यास और फिल्म ने हमें साहित्य पढ़ने की रूचि को उजागर किया है।
साहित्य के अलावा, स्कूलों में कम्पयूटर नेटवर्क भी एक लोकप्रिय विषय बन गया। अध्यापक येन लिंग च्वीन ने इस की चर्चा करते हुए कहा(आवाज 10) कम्पयूटर और वेबसाइट गेम को शिक्षा का एक साधन बनाकर उसका फायदा उठाना एक अच्छा विकल्प है। हमने बड़े जत्थे में वेबसाइट पसंद करने व लिखने में रूचि रखने वाले बच्चों को इस की ओर आकर्षित किया। अध्यापकों ने बच्चों का हाथ पकड़कर उन्हे मदद दी और उनका निर्देशन किया, नतीजेतन बहुत से बच्चों के लिखने की रूचि बढ़ने लगी और उनेक लेख में प्रफुल्लिती देखने को मिली । श्री येन लिंग च्वीन ने कहा कि मैंने स्कूल के प्रिंसिपल को पांच रिपोर्टे लिखी और दो साल के अथक कोशिशों से मैने दो चीजों में सफलता प्राप्त की। एक तो हमने एक बढ़िया साहित्य कल्ब की स्थापना कर ली, जिसे हम वेबसाइट के सहारे से चलाते हैं। दूसरा , मैने जवानी उम्र के पढ़ाई पाठ को पाठयक्रम में भर्ती कराया ।
वर्तमान हर हफ्ते की बुधवार की शाम को जवानी उम्र पढ़ाई पाठ हमारे वीछाए स्कूल के सिनीयर छात्रों का एक मनपसंद साहित्य सीखने वाला क्लब बन गया । अधिकाधिक स्कूलों में साहित्य शिक्षा पर बल दिया जाने लगा है, बच्चों को जीवन से प्रेम करने , समाज को एक अपनी एक अच्छी दान प्रदान करने की अभिलाषा व रूचि बढ़ने लगी। इस साल की 22 नवम्बर को जवानी का सुर नाम की वेबसाइट का पहला साहित्य मंच सनचन में आयोजित हुआ, पूरे देश से आए कोई तीन हजार से अधिक छात्रों ने इस में भाग लिया और वेबसाइट साहित्य प्रतिस्पर्धा में छात्राओं ने अपनी साहित्य सफलताओं को दर्शाया । वर्तमान सनचन में साहित्य बच्चों को एक नए सिरे के विचार से नयी दुनिया को पहचानने और अपने आने वाले जीवन को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है।