"इस ताल से उन की शक्ति केंद्रित करके राजा को मार डालो। इसलिये जब लोगों ने ढोल की ऐसी आवाज़ सुनी, तो उन्हें बहुत भय लगा और मालूम हुआ कि राजवंश बदलेगा"पेइचिंग पुल कला केंद्र के प्रदर्शन हॉल में गाईड आगंतुकों को कैमरून से आई एक पुरातन कलात्मक वस्तु——एक बहुत बड़े ढोल का परिचय दे रहे हैं। एक हजार वर्ष से पहले के कैमरून में अगर यह ढोल बजाया जाता, तो इस का मतलब होता था कि कबाइली नेता केंद्रित होकर अक्षम वर्तमान अमीरात को रद्द करेंगे, या मार डालेंगे।
चीन-अफ्रीका गैरसरकारी वाणिज्य संघ, चीन स्थित कैमरून के दूतावास व पेइचिंग पुल कला केंद्र आदि संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया पुरातन कला व आधुनिक जीवन नामक अफ़्रीकी कला प्रदर्शन अब पेइचिंग पुल कला केंद्र में चल रहा है। पांच सौ से ज्यादा अफ़्रीकी कलात्मक वस्तुओं में पुरातन समय से ही आज तक अफ़्रीकी शाही परिवार व आम जनता से संबंधित लकड़ी की मूर्तियां, पत्थर की मूर्तियां, वाद्ययंत्र व विविध धार्मिक कलात्मक वस्तुएं भी शामिल हैं। उन में उक्त बड़े ढोल के अलावा पुरातन उल्का द्वारा बनायी गयी मूर्ति, दौलत की प्रतीक —— विभिन्न तरीके की हाथी की मूर्तियां, दीवार पर लगाने वाली लड़की की रंगबिरंगी सजावट, और काली लकड़ियों से बनायी गयी कुर्सियां, बिसात व मुखौटे
आदि भी प्रदर्शित किये गये हैं।
अधिकतर वस्तुएं इस प्रदर्शन के प्रबंधक श्री क्वो तुंग ने दी हैं। श्री क्वो तुंग अफ़्रीका के युगांडा में 18 वर्ष तक रहे हैं। अफ़्रीका की कला ने उन पर गहरी छाप छोड़ी है। उन के विचार में अफ़्रीका की कला में स्थानीय लोगों की सरलता दिखायी पड़ती है। मनुष्य ऐसे कलात्मक तरीकों से पुरातन याद भावी पीढ़ियों के लिए छोड़ जाते हैं। साथ ही इस कलात्मक शैली ने आधुनिक पश्चिमी कला पर भी बड़ा प्रभाव डाला है। उन्होंने कहा कि, मैं उन कलात्मक वस्तुओं द्वारा चीनी लोगों को अफ़्रीकी संस्कृति समझाना चाहता हूं। साथ ही मैंने यह भी चाहा है कि हमारे आर्किटैक्ट्स, डिज़ाईनर व कलाकार अफ़्रीकी तत्व देखकर कुछ अनुभव प्राप्त कर सकेंगे।
श्री क्वो तुंग ने कहा कि क्योंकि पाबलो पिकासो आदि पश्चिमी कलाकारों ने अफ़्रीकी कला से बहुत पौष्टिकता प्राप्त की, इसलिये उन्हें विश्वास है कि चीनी लोगों की बुद्धि भी अफ्रीका के कलात्मक तत्वों को अच्छी तरह से आत्मसात कर सकेगी। (चंद्रिमा)