2009-01-13 16:25:33

थांगत्वेई गांव में निशी काले मिट्टी बर्तन से जुड़ी संस्कृति

तिब्बती संस्कृति के एक प्रतीक के रूप में काले मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग तिब्बत बहुल क्षेत्रों में व्यापक तौर पर किया जाता है । ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार चीन की चिनशच्यांग नदी और लानछांगच्यांग नदी क्षेत्र में दो हज़ार वर्ष पूर्व काले मिट्टी के बर्तनों का पता लगा था । दो हज़ार वर्ष से भी अधिक समय में तिब्बती जाति के लोक कलाकार अपने हाथों से काले मिट्टी के बर्तन बनाते आए हैं और इस प्रकार इस से जुड़ी संस्कृति का विकास हुआ है ।

शांगरिला की निशी काले मिट्टी के बर्तन विकास कंपनी के उप मैनेजर श्री वांगत्वेई ने जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में हर वर्ष कंपनी 20 हज़ार काले मिट्टी के बर्तन बेचती है । युन्नान प्रांत की शांगरिला कांउटी, देहछिंग कांउटी, लीच्यांग शहर, तिब्बत स्वात्त प्रदेश के मांगखांग, चोगोंग, स्छ्वान प्रांत के ताओछङ और देहरोंग आदि तिब्बती बहुल क्षेत्रों में बेचे जाने के अलावा , कंपनी बर्तनों को देश के अन्य प्रांतों, शहरों तक बेचती है । यहां तक कि कंपनी विदेश में भी इसे बेचने की कोशिश कर रही है । थांगत्वेई गांव मशहूर पर्यटन स्थल शांगरिला से तिब्बती जाति के पवित्र पहाड़ मेली बर्फीले पहाड़ तथा शांगरिला बड़ी घाटी तक के रास्ते में बसा हुआ है । इस तरह देशी-विदेशी पर्यटक यहां से गुज़रने के वक्त जरूर थांगत्वेई गांव में ठहर कर कुछ खरीदते हैं । इस की चर्चा में निशी काले मिट्टी बर्तन विकास कंपनी के उप मैनेजर श्री वांगत्वेई ने कहा:

"देश में हम मुख्य तौर पर बर्तनों को पेइचिंग, क्वांगचो और हूनान आदि क्षेत्रों तक बेचते हैं । इस के साथ ही भारत और नेपाल में भी बेचते हैं ।"

कंपनी की स्थापना के पूर्व काले मिट्टी बर्तनों के उत्पादन का पैमाना छोटा था और बाज़ार में कम बिक्री होती थी । कंपनी की स्थापना के बाद ऐसी स्थिति पूरी तरह बदल गई, जिस से काले मिट्टी के बर्तन से जुड़ी संस्कृति की खोज व संरक्षण को प्रेरित किया गया और स्थानीय किसानों की आय भी बढ़ी । श्री वांगत्वेई ने जानकारी देते हुए कहा कि कंपनी स्थापित की जाने के बाद थांगत्वेई गांव वासियों की आय दुगुनी हो गई है । उन का कहना है:

"हमारी कंपनी की स्थापना वर्ष 2005 में हुई थी । गांव के 180 परिवारों के अस्सी या नब्बे परिवार इस में कार्यरत हैं । कंपनी की स्थापना के पूर्व भी गांव वासी काले मिट्टी के बर्तन बनाते थे । वे अपने आप बर्तनों को शांगरिला कांउटी में लाकर बेचते थे । दाम सस्ता था और एक साल की आय 3 हज़ार य्वान से कम थी । वर्ष 2005 में उन्होंने हमारी कंपनी में भाग लिया और हम उन के बर्तन बेचते हैं । इस तरह किसानों की आय लगातार बढ़ रही है । इस वर्ष के अप्रेल माह तक कंपनी में भाग लेने वाले हर परिवार की आय 12 हजार य्वान पहुंच गई है।"

परिचय के अनुसार वर्तमान में निशी काले मिट्टी के बर्तनों की सौ से ज्यादा किस्में हैं । प्रयोग के तरीके से कहा जाए, तो इन्हें तीन बड़ी किस्मों में बांटा जा सकता है । पहला है तिब्बती लोगों की पसंद वाले परम्परागत रोज़मर्रा की सामग्री । दूसरा है धार्मिक प्रयोग के लिए और तीसरा है आधुनिक मांग के अनुसार हस्त कलाकार द्वारा परम्परागत वस्तुओं के आधार पर बनाए गए नए किस्म वाले बर्तन । आम तौर पर अधिकांश काले मिट्टी बर्तन रोज़ाना की आवश्यक जीवन वस्तु बन गई है ।इस में बर्तन कढ़ाई, घी व चाय डालने वाला बर्तन और दुग्ध डालने वाला बर्तन आदि शामिल है ।

तिब्बती महिला चोमा थेहमू काले मिट्टी बर्तन विकास कंपनी की कर्मचारी हैं । बर्तन बेचने के अलावा वह एक छोटी सी दुकान की मालिक भी हैं । इस दुकान में काले मिट्टी के बर्तन वाली कढ़ाई से स्थानीय चिकन पकवान बेचा जाता है । यह पकवान निशी में बहुत मशहूर है । यहां आने जाने वाले पर्यटक जरूर इसे खाते हैं । तिब्बती महिला चोमा थेहमू ने जानकारी देते हुए कहा:

"काले मिट्टी के बर्तन में चिकन बनाना हमारे यहां की विशेषता है । इस बर्तन में बनाया गया चिकन बहुत स्वादिष्ट होता है और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी भी ।"

आज निशी के काले मिट्टी के बर्तन देश-विदेश में मशहूर हैं । इसे बनाने वाले थांगत्वेई गांव वासियों का जीवन अच्छे से अच्छा हो रहा है । लेकिन परम्परागत तरीके से बर्तन बनाने में लकड़ी का प्रयोग किया जाता है जिससे स्थानीय पारिस्थितिकी पर दबाव पड़ रहा है । इस पर निशी जिले के थांत्वेई गांव वासियों का ध्यान भी केंद्रित हो रहा है । वे बर्तन बनाने के ज्यादा अच्छे उपाय खोजने में लगे हुए हैं । इस की चर्चा में निशी काले मिट्टी के बर्तन विकास कंपनी के उप मैनेजर श्री थांगत्वेई ने कहा:

"मेरा विचार है कि प्राकृतिक गैस और मैथन गैस के प्रयोग से बने हुए तिब्बती मिट्टी के बर्तनों की गुणवत्ता अच्छी होगी । इस से प्रदूषण कम होगा और पर्यावरण संरक्षण के लिए अच्छा होगा । भविष्य में हम इस दिशा में कोशिश करेंगे ।"

हमारी आशा है कि अनेक साल बाद थांगत्वेई गांव वासी पर्यावरण संरक्षण के लिए निशी काले मिट्टी के बर्तन बनाने का और श्रेष्ठ तरीका प्राप्त कर सकेंगे । हमें विश्वास है कि निशी काले मिट्टी के बर्तन की कला और संस्कृति सीधे सादे तिब्बती हस्त कलाकारों के हाथों में लगातार जारी रहेगी ।(श्याओ थांग)