2009-01-12 15:48:21

तिब्बती जाति के परम्परागत निशी काले मिट्टी बर्तन

क्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत की शांगरिला कांउटी से 30 किलोमीटर दूर स्थित एक छोटा सा गांव है, जो शांगरिला कांउटी के निशी जिले के अधीन है और प्राचीन चाय व घोड़ा रास्ते में स्थित है । इस गांव का नाम है थांगत्वेई गांव । यहां तिब्बती जाति के विशेष रीति रिवाज़ और प्राचीन नृत्य ही नहीं, तिब्बती जाति के परम्परागत काले मिट्टी के बर्तन भी सुरक्षित हैं, जिन का इतिहास कोई दो हज़ार वर्ष से अधिक पुराना है । शांगरिला कांउटी में निशी जिले के काले मिट्टी के बर्तन बहुत मशहूर हैं, लेकिन निशी गांव के थांगत्वेई गांव में बनाए गए काले मिट्टी के बर्तन सब से प्रसिद्ध हैं ।

तिब्बती संस्कृति के एक प्रतीक के रूप में काले मिट्टी के बर्तनों का प्रयोग तिब्बत बहुल क्षेत्रों में व्यापक तौर पर किया जाता है । ऐतिहासिक ग्रंथों के अनुसार चीन की चिनशच्यांग नदी और लानछांगच्यांग नदी क्षेत्र में दो हज़ार वर्ष पूर्व काले मिट्टी के बर्तनों का पता लगा था । दो हज़ार वर्ष से भी अधिक समय में तिब्बती जाति के लोक कलाकार अपने हाथों से काले मिट्टी के बर्तन बनाते आए हैं और इस प्रकार इस से जुड़ी संस्कृति का विकास हुआ है ।

थांगत्वेई गांव के काले मिट्टी के बर्तन बनाने वाले छोटे कारखाने में प्रवेश करने के बाद हम ने देखा कि कई तिब्बती पुरूष जमीन पर बैठकर कोमल संगीत की धुन सुनते हुए बर्तन बनाने वाली मिट्टी को पीट रहे हैं । उन के हाथ काले हैं, बर्तन की मिट्टी काली है और पुरूषों के चेहरे भी काले हैं । बर्तन की मिट्टी तिब्बती पुरूषों के हाथों में तेज़ गति से आकार पा रही है, लगता है कि एक सुन्दर व कोमल महिला पुरूष के हाथों में नाच रही हो । काम करने के वक्त पुरूषों का पसीना बर्तन की मिट्टी में गिर रहा है, तो ऐसा लग रहा है कि जैसे काले रंग की इस मिटटी में कोई शक्ति आ गई हो,यह दृश्य एक सुनहरे चित्र जैसा है ।

काले मिट्टी के बर्तन बनाने वाले तिब्बती कलाकार लारोंग छूंछङ अन्य साथियों के साथ कमरे में चुपचाप काम कर रहे हैं । उन्होंने कहा कि काले मिट्टी के बर्तन बनाने के वक्त वे और कुछ नहीं सोचते, सिर्फ़ एक सुन्दर रचना को बनता हुआ देखते हैं । तिब्बती बंधु लारोंग छूंछङ ने अपने दादा जी से काले मिट्टी के बर्तन बनाना सीखा। इसी छोटे से कमरे में बर्तन बनाते हुए उसे 13 साल बीत चुके हैं । उन्होंने कहा कि हर रचना उन के बच्चे जैसी है । आकारहीन मिट्टी से एक-एक बर्तन बनाने के बाद उन्हें गौरव महसूस होता है । तिब्बती बंधु लारोंग छूंछङ ने कहा:

"मैं ने अपने दादा जी से काले मिट्टी के बर्तन बनाना सीखा। मैं इसे बनाना पसंद करता हूँ । काले मिट्टी के बर्तन बनाने के वक्त इस पर फूल नक्काशी करने की तकनीक घर में बूढ़े लोग नई पीढ़ी को सिखाते हैं । यह काम बहुत मुश्किल है । काम करने के वक्त मैं सिर्फ़ अच्छी रचना बनाने के बारे में सोचता हूँ ।"

लारोंग छूंछङ ने जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में थांगत्वेई गांव के हस्त कलाकार प्राचीन तरीके के जरिए काले मिट्टी के बर्तन बनाते हैं, इस तकनीक का इतिहास बहुत पुराना है । काली मिट्टी को इक्टठा करने में और उस से बर्तन बनाने में एक महीने का समय लगता है । सर्व प्रथम गांव से कई किलोमीटर दूर स्थित पहाड़ से अच्छी गुणवत्ता वाली मिट्टी इक्ट्ठा कर इससे प्रारंभिक रूप वाला कच्चा बर्तन बनाया जाता है । इस के बाद कलाकार विभिन्न प्रकार के लकड़ी साधनों से प्रारंभिक रूप वाले बर्तन को पीटते हैं, फिर बर्तन पर फूल और अन्य चित्र अंकित किए जाते हैं । उक्त काम पूरा किए जाने के बाद प्रारंभिक रूप वाले बर्तन को कक्ष में प्राकृतिक तौर पर सुखाया जाता है । इस के बाद बर्तन को स्थानीय लकड़ी से बनी आग के ऊपर रखा जाता है, इस दौरान कलाकारों के अनुभव, आग का तापमान तथा जैविक सामग्रियों का शामिल किया जाना बहुत महत्वपूर्ण है । अंत में बर्तन को स्वच्छ व समतल बनाया जाता है। इस प्रकार एक सुन्दर काला मिट्टी का बर्तन बनता है।

हम ने तिब्बती हस्त कलाकार लारोंग छूंछङ से पूछा कि भविष्य में उन की क्या अभिलाषा है?तो उन्होंने आशा जताई कि वे काले मिट्टी बर्तन बनाने की तकनीक को अपने बच्चे को सिखाएंगे । लारोंग छूंछङ ने कहा:

"मैं इस तकनीक को अपने बेटे को सिखाना चाहता हूँ, बेटा मेरे पोते को सिखाएगा । आशा है कि हमारी तकनीक पीढ़ी दर पीढ़ी जारी रखी जाएगी।"

आंकड़ों के अनुसार थांगत्वेई गांव के 180 परिवारों में से 80 परिवार काले मिट्टी के बर्तन बनाने में कार्यरत हैं । वर्ष 2005 के जून माह में गांव में"निशी काले मिट्टी बर्तन विकास कंपनी"की स्थापना हुई जिस में प्रमुख उत्पादक स्थानीय किसान हैं । कंपनी बर्तन की बिक्री की जिम्मेदारी उठाती है । निशी काले मिट्टी के बर्तन जातीय विशेषता वाले हैं, जो देखने में सुन्दर हैं और उन का वास्तविक प्रयोग भी किया जा सकता है । इस तरह, इधर के वर्षों में शांगरिला के पर्यटन उद्योग के लगातार विकास के चलते निशी काले मिट्टी के बर्तन देशी-विदेशी पर्यटकों की पसंदीदा चीज़ बन गई है ।

निशी काले मिट्टी के बर्तन विकास कंपनी के उप मैनेजर श्री वांगत्वेई ने जानकारी देते हुए कहा कि वर्तमान में हर वर्ष कंपनी 20 हज़ार काले मिट्टी के बर्तन बेचती है । युन्नान प्रांत की शांगरिला कांउटी, देहछिंग कांउटी, लीच्यांग शहर, तिब्बत स्वात्त प्रदेश के मांगखांग, चोगोंग, स्छ्वान प्रांत के ताओछङ और देहरोंग आदि तिब्बती बहुल क्षेत्रों में बेचे जाने के अलावा , कंपनी बर्तनों को देश के अन्य प्रांतों, शहरों तक बेचती है । यहां तक कि कंपनी विदेश में भी इसे बेचने की कोशिश कर रही है । थांगत्वेई गांव मशहूर पर्यटन स्थल शांगरिला से तिब्बती जाति के पवित्र पहाड़ मेली बर्फीले पहाड़ तथा शांगरिला बड़ी घाटी तक के रास्ते में बसा हुआ है । इस तरह देशी-विदेशी पर्यटक यहां से गुज़रने के वक्त जरूर थांगत्वेई गांव में ठहर कर कुछ खरीदते हैं ।

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।

(श्याओ थांग)