2009-01-12 11:52:31

रुस , यूरोपीय संघ और युक्रेन के बीच फिर गैस विवाद

रुसी राष्ट्रपति मेडवेजव ने 11 जनवरी को मास्को में कहा कि क्योंकि युक्रेन ने रुस , यूरोपीय संघ और युक्रेन के बीच सीमापार तेल सप्लाई पाइप निगरानी संस्था की स्थापना के बारे में संपन्न त्रिपक्षीय प्रोटोकोल में नया पूरक विषय शामिल कर लिया है , इसलिये उन्हों ने रूस सरकार को उक्त प्रोटोकोल का पालन न करने का आदेश दिया है । इस नवीनतम विकासक्रम से रूस द्वारा युक्रेन से होकर यूरोपीय संघ को गैस सप्लाई की बहाली में नयी रुकावट आयी है ।

श्री मेडवेजव ने कहा कि युक्रेन की यह कार्यवाही उत्तेजना भरी तोड़फोड़ ही है , जिस से रुस व यूरोपीय संघ के बीच संपन्न सीमापार गैस सप्लाई पाइप निगरानी संस्था के बारे में प्रोटोकोल को तोड़ा गया है । उन्हों ने यह भी कहा कि युक्रेन से होकर यूरोप को गैस सप्लाई की बहाली के लिये निम्न दो शर्तें पूरी करनी जरूरी है कि रूस , यूरोपीय संघ और युक्रेन के बीच हस्ताक्षरित प्रोटोकोल का पूरक विषय रूसी प्रोटोकोस से बिलकुल मेल खाये और पर्यवेक्षक युक्रेन के संबंधित सीमांत क्षेत्रों और भूमिगत तेल गोदामों का निरीक्षण शुरु करें ।

अन्य रिपोर्ट के अनुसार रूसी प्रधान मंत्री श्री पूतिन ने उसी दिन यूरोपीय आयोग के अध्यक्ष श्री बारोजो के साथ फोन पर बातचीत करते समय कहा कि हस्ताक्षर प्रोटोकोल के बारे में युक्रेन का नया पूरक विषय रुस के लिये अस्वीकार्य है । क्योंकि पूरक विषय ने सर्वप्रथम मूल प्रोटोकोल की असलियत को बदल दिया है , दूसरी तरफ पूरक विषय का अधिकांश भाग यूरोपीय गैस ग्राहकों से कोई संबंधित नहीं है , जबकि वह रूसी प्राकृतिक गैस लिमिडेट कम्पनी और युक्रेनी तेल व प्राकृतिक गैस कम्पनी का व्यवसायिक संबंध ही है ।

गत 31 दिसम्बर को प्राकृतिक गैस के दाम और युक्रेन के कर्ज के बारे में रुस युक्रेन वार्ता विफल हुई , रुस ने चालू वर्ष में पहली जनवरी को युक्रेन को प्राकृतिक गैस की सप्लाई पूरी तरह बंद कर दी । इस के बाद रूस ने आगे बढ़कर प्राकृतिक गैस के दाम को बढा दिया , ताकि युक्रेन मजबूर होकर अपना सिर झुका सके । 6 जनवरी को स्थिति में और बिगाड़ आयी , रूस ने युक्रेन से होकर यूरोपीय संघ के सदस्य देशों को सप्लाई गैस में भारी हद तक कटौती की। इस के साथ ही रुस ने युक्रेन का यूरोपीय संघ को सीमापार सप्लाई गैस चुराने पर आरोप लगाया और सात जनवरी को आगे कदम बढाकर युक्रेन से होकर यूरोपीय संघ और अन्य यूरोपीय देशों को सप्लाई गैस को पूरी तरह बंद कर दी ।

यूरोपीय संघ की चौथाई प्राकृतिक गैस रूस से आयात पर निर्भर है और उस के 80 प्रतिशत की सप्लाई युक्रेन से होकर की जाती है । रूस द्वारा यूरोपीय संघ को गैस सप्लाई बंद करने से यूरोपीय संघ के 18 सदस्य देशों और अन्य यूरोपीय देशों की प्राकृतिक गैस सप्लाई पर कुप्रभाव पड़ गया है , विशेष कर रुसी प्राकृतिक गैस की सप्लाई पर पूर्ण रूप से निर्भर रहने वाले पूर्वी यूरोपीय देश गम्भीर रूप से प्रभावित हो गये हैं ।

इस समस्या को हल करने के लिये यूरोपीय संघ के नेताओं ने रूस व युक्रेन के बीच बेरोकटोक मध्यस्थता की । रूस इस बात पर कायम रहा है कि युक्रेन के गैस सप्लाई पाइप स्थलों में अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक भेजे जाये , अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक दल में रूस की भागीदारी हो जाये , विभिन्न संबंधित पक्ष अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों के भेजने वाले सवाल पर विधिवत लिखित दस्तावेज संपन्न किया जाये और युक्रेन इस मामले पर सकारात्मक प्रतिक्रिया करे । फिर यूरोपीय संघ के मौजूदा अध्यक्ष देश चेक के प्रधान मंत्री टोपोलानेक ने किफ व मास्को के बीच मध्यस्थता वार्ता की , रूस , युक्रेन और यूरोपीय संघ ने आखिरकार 11 जनवरी की सुबह त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किये । श्री टोपोलानेक ने आशाजनक रूप से कहा कि निरीक्षण कमेटी के विशेषज्ञ के प्राकृतिक गैस गणना स्टेशन पहुंचने के बाद रूस युक्रेन से होकर यूरोपीय संघ को गैस सप्लाई की बहाली कर देगा ।

विश्लेषकों का मानना है कि रूस युक्रेन प्राकृतिक गैस विवाद दोनों देशों के संबंध में मौजूद गहरे अंतरविरोध का प्रतिबिम्ब है । इधर सालों में युक्रेन ने रूस से अलग होकर नाटो के निकट जाने का कदम बढा दिया है । ऐसी स्थिति में रूस , यूरोपीय संघ और युक्रेन के बीच प्राकृतिक गैस की सप्लाई पर प्राप्त मतैक्य बड़ी ध्यानाकर्षक बात बन गया है।