"ली च्यांग में आप समय को भूल जाते हैं । दिमाग में सिर्फ़ कल, आज और कल । जल्द ही समय बीत गया । यहां रहकर लोग शीघ्र ही इसे अपना जन्मस्थान मानने लगते हैं । बड़े शहरों में लोगों के बीच एक बड़ी दीवार खड़ी रहती है, लेकिन यहां दीवार नहीं रहती । हम बहुत सरल जीवन बिताते हैं ।"
लगातार खुलेपन की नीति और ज्यादा विकसित ली च्यांग शहर ने लाओमू और आच्वुन को बड़ा वाणिज्यिक मौका प्रदान किया, लेकिन कभी कभार पति-पत्नि को यहां रहने पर आशंका भी पैदा हुई । मकान का किराया दिन ब दिन बढ़ रहा है और शहर में ज्यादा से ज्यादा भीड़ हो रही है। लाओमू और आच्वुन ने यहां से विदा लेने का विचार किया। लेकिन कला की खोज और लीच्यांग के प्रति प्यार के कारण वे डटे रहे । इस की चर्चा में आच्वुन ने कहा:
"लीच्यांग शहर में हम डटे रहेंगे । पहले हम ने इस जगह को छोड़कर बाहर जाने का विचार किया था । लेकिन अंत में हम ने सोचा कि यहां ही रहना चाहिए, और हमें यहां की स्थिति के अनुकूल बनना चाहिए । लाओमू का कहना है कि वे अपनी भावना के अनुसार जीवन बिताना जारी रखेगा ।"
लाओमू और आच्वुन को स्पष्ट रूप से मालूम है कि लीच्यांग प्राचीन शहर में रहने के लिए उन्हें अपनी विशेष शैली को बरकरार रखना चाहिए। लाओ मू नाशी जातीय संस्कृति से जुड़ी नक्काशी वाली वस्तुएं बनाने के अलावा, पति पत्नि के जीवन से संबंधित रचनाएं भी बनाता है । उस की कोशिश है कि हरेक नक्काशी रचना में पत्नि और उस का वातावरण महसूस किया जा सके । इस का जिक्र करते हुए आच्वुन ने कहा:
"कभी कभार हमारी दुकान में कोई लड़की आती है, तो लाओमू की नक्काशी वस्तुओं को देखते हुए उस की आंखों में आसू देखे जा सकते हैं। मेरा विचार है कि हमारी नक्काशी की रचनाओं को अगर दूसरे लोग समझ सकते हैं, तो ही उस का मूल्य जाहिर होगा । शायद पर्यटक अंत में एक छोटी सी वस्तु खरीदें, तो भी कोई बात नहीं । लम्बे समय के बाद भी अगर उसे इस नक्काशी रचना से हमारी याद आएगी, तो मुझे भी अच्छा लगेगा ।"
लाओमू की नक्काशी रचनाओं में जीवन के प्रति उस की समझ व जोशिली भावना दिखाई देती है । उन्हें देखने वाले लोग कला के प्रति लाओमू की संजीदगी महसूस कर सकते हैं । यह उन की दुकान दूसरों को आकृष्ट करने की कुंजी है । हर रोज़ बड़ी संख्या में पर्यटक लाओमू की दुकान में आते हैं, कुछ लोग कई घंटे तक ठहरते हैं । यहां से विदा लेने के वक्त लोग कुछ न कुछ अपना पसंदीदा चीज़ खरीदते हैं । चच्यांग प्रांत से आए पर्यटक श्री वांग वेइछ्यांग एक दिन में तीन बार लाओ मू की दुकान में आए । उस ने कहा:
"लाओमू की नक्काशी रचनाओं को देखकर मुझे झटका लगा । वर्तमान में रचनाओं के जरिए अपने दिल की चीज़ को दिखाने वाले कलाकार कम ही हैं । आधुनिक लोगों के पास ज्यादा पैसे होने पर भी कुछ खो गया है । लेकिन आप उसे इस दुकान में प्राप्त सकते हैं । लीच्यांग की यात्रा के दौरान लाओमू और उस की दुकान ने मुझ पर बड़ा प्रभाव डाला । कामना है कि अगली बार ली च्यांग आने के बाद एक बार फिर यहां आऊंगा ।"
वर्ष 2007 में लाओमू और आच्वुन की बेटी शीशी का जन्म हुआ । वर्तमान जीवन के प्रति लाओमू को बहुत संतोष है । उस ने कहा:
"अगर एक महान कलाकार बनने की और ज्यादा पैसे कमाने की न सोचूं,तो वर्तमान जीवन स्थिति बहुत अच्छी है । मैं इस प्रकार का जीवन बिताना जारी रखूंगा । बचपन में मेरा संकल्प था एक चित्रकार बनना, लेकिन आज मैं नक्काशी कलाकार बन गया हूँ । लगता है मैं सफल हूँ। आशा है कि भविष्य में मैं एक छोटा सा संग्रहालय बनाऊंगा और इन नक्काशी वस्तुओं को उस में रखूंगा । यह मेरी जिंदगी की खोज है ।"
लाओ मू ने आशा जतायी कि अपनी तुंगबा लकड़ी नक्काशी वस्तुओं के जरिए लोग नाशी जातीय की संस्कृति देख सकेंगे ।