2009-01-07 18:05:08

शान शी प्रांत धार्मिक प्राचीनता याद दिलाता है

उल्लेखनीय है कि थाईय्वान के इतिहास का शहर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित चिन मंदिर से घनिष्ठ संबंध है। इस मंदिर का हर पेड़ इस शहर की प्राचीनता की याद दिलाता है। यहां खड़े कोई दो हजार वर्ष पुराने देवदार के पेड़ आज भी हरे-भरे दिखते हैं और थाईय्वान की प्रत्येक ऋतु के साक्षी रहे हैं। थांग राजवंशी सम्राट ली श मिन द्वारा सातवीं शताब्दी में लिखित शिलालेख यहां आज भी सुरक्षित है। इस में इस सम्राट के थाईय्वान में शक्तिशाली थांग राजवंश की स्थापना करने के बुलंद हौसले का विवरण मिलता है। सुंग राजवंश के सम्राट द्वारा कई हजार वर्ष पहले अपनी मां की याद में बनवाये गये मातृ भवन में स्थापित 44 सुंदरियों की मूर्तियां अब भी बड़ी सजीव लगती हैं।

दोस्तो , आप को याद होगा कि चीन का भ्रमण कार्यक्रम में हम शानशी प्रांत की राजधानी थाइय्वान और इस प्रांत के दूसरे क्षेत्रों के पुराने चारदिवारी वाले खानदानी घरों में हो आये हैं। इन जगहों की विशेष रीतियों और वास्तुशैलियों की भी आप को याद होगी। चलिए आज के चीन का भ्रमण कार्यक्रम में चलें शानशी के धार्मिक वातावरण का आभास करने।

हम आप को बता ही चुके हैं कि थाईय्वान शहर, जो शानसी प्रांत की राजधानी है, मध्य चीन में स्थित है। यह शहर कोई दो हजार पांच सौ वर्ष पुराना है। हालांकि आधुनिक चीन के तेज विकास के चलते इधर शहर में भारी परिवर्तन आया है और जगह-जगह भीड़ बढ़ी है, पर इस की गलियों में इतिहास का प्रभाव फिर भी साफ दिख जाता है।

उल्लेखनीय है कि थाईय्वान के इतिहास का शहर के दक्षिण-पश्चिमी भाग में स्थित चिन मंदिर से घनिष्ठ संबंध है। इस मंदिर का हर पेड़ इस शहर की प्राचीनता की याद दिलाता है। यहां खड़े कोई दो हजार वर्ष पुराने देवदार के पेड़ आज भी हरे-भरे दिखते हैं और थाईय्वान की प्रत्येक ऋतु के साक्षी रहे हैं। थांग राजवंशी सम्राट ली श मिन द्वारा सातवीं शताब्दी में लिखित शिलालेख यहां आज भी सुरक्षित है। इस में इस सम्राट के थाईय्वान में शक्तिशाली थांग राजवंश की स्थापना करने के बुलंद हौसले का विवरण मिलता है। सुंग राजवंश के सम्राट द्वारा कई हजार वर्ष पहले अपनी मां की याद में बनवाये गये मातृ भवन में स्थापित 44 सुंदरियों की मूर्तियां अब भी बड़ी सजीव लगती हैं।

चिन मंदिर का निर्माण ईसा पूर्व 11 वीं शताब्दी में हुआ था। अनेक बार पुनर्निर्मित होने के बाद उस ने एक भवन समूह का रूप ले लिया। इस के हर भवन, मंडप, सेतु के पीछे एक कहानी या किम्वदंती है।

श्रोताओ, आप जानते ही हैं कि चीन के उत्तरी भाग में स्थित यह प्रांत चीन का बौद्ध व ताओ संस्कृति का महत्वपूर्ण विकास केंद्र भी है। यहां जगह-जगह बौद्ध भवन और विविध रूपों वाली नक्काशी, तराशी व चित्रकला देखने को मिलती है। शानशी चीनी बौद्ध धर्म के प्राचीन सांस्कृतिक अवशेषों व कलाओं की निधि भी है। यहां चीनी बौद्ध धर्म की बेशकीमती विरासत आज तक बहुत अच्छी तरह सुरक्षित है।

चीन की राजधानी पेइचिंग से पांच घंटे की रेलयात्रा के बाद आप शानशी प्रांत के दूसरे बड़े शहर ता थूंग पहुंच सकते हैं। ता थूंग अपनी कोई 1500 वर्ष पुरानी युन कांग गुफाओं की वजह से देश- विदेश में विख्यात है। युनकांग गुफाएं इस शहर के पश्चिमी उपनगर स्थित ऊ चाओ पर्वत की एक हजार किलोमीटर लम्बी श्रृंखला में खुदी हैं। प्राचीन चीनी सांस्कृतिक ग्रंथों से पता चलता है कि युनकांग गुफाओं की खुदाई ईस्वी 460 वर्ष में शुरू हुई थी और इस निर्माण कार्य के प्रवर्तक थानयाओ नाम के एक भिक्षु थे। आज यहां की 53 गुफाओं में 51 हजार से अधिक बुद्ध मूर्तियां सुरक्षित हैं, जिन में सब से बड़ी बुद्ध मूर्ति 17 मीटर से भी अधिक ऊंची है और सब से छोटी केवल कुछ सेंटीमीटर भर की है। ये गुफाएं चीन के सब से बड़े गुफा समूहों में ही शामिल नहीं हैं, विश्वविख्यात गुफा कला की निधि भी मानी जाती हैं। युनकांग गुफाओं का आकार ही भव्य नहीं है, उनकी मूर्तिकला भी उच्च कोटि की है। इन सभी मूर्तियों में भारत की बौद्ध धर्म की कलाओं से प्रभाव ग्रहण कर चीन की परम्परागत मूर्ति कला को जोड़ा गया। इटली से आयी पर्यटक फिलोमिना रिकार्डा ने युनकांग गुफाओं को देखने के बाद भावावेश में कहा कि मुझे इतना शानदार गुफा समूह देखने पर बड़ा आश्चर्य हुआ। यहां की बुद्ध की मूर्तियां अत्यंत सूक्ष्म ही नहीं हैं, जीगती-जागती लगती हैं। मैंने इससे महसूस किया कि चीनी बौद्ध संस्कृति बहुत पुरानी और गहरी है। हालांकि यहां आते-आते मैं काफी थक गयी थी, पर इन सुंदर मूर्तियों को देखकर अपनी थकान भी भूल गयी। यहां की मूर्तिकला बहुत मनमोहक और आकर्षक है।

इस लेख का दूसरा भाग अगली बार पेश होगा , कृपया इसे आगे पढ़े ।