2009-01-07 10:30:51

बंगलादेश की नयी सरकार का कार्य भारी होगा

बंगलादेश की नयी सरकार, जिस के प्रधान मंत्री बेगम शेख हासिना नियुक्त हुई है, के मंत्रिमंडल ने 6 तारीख की रात राष्ट्रपति भवन में पद ग्रहण की शपथ ली । लोकमत का कहना है कि यह इस बात का प्रतीक है कि बंगलादेश में दो सालों तक मची राजनीतिक उथल पुथल स्थिति अखिरकार समाप्त हो गयी और देश सामान्य मार्ग पर चल निकला । लेकिन नयी सरकार का कार्य आसान नहीं होगा।
   बंगलादेश की नयी सरकार की शपथ रस्म राष्ट्रपति लाजुद्दिन अहमेद की अध्यक्षता में हुई । बेगम हासिना के अलावा नए मंत्रि मंडल के 23 मंत्री और 8 राज्य मंत्री हैं, पर उन के पद अभी घोषित नहीं किए गए। मंत्रिमंडल के अधिकांश सदस्य हासिना के आवामी लीग से आए हैं।
   बंगलादेश में संसदीय प्रणाली लागू होती है, संसद चुनाव में 50 प्रतिशत से ज्यादा सीट जीतने वाली पार्टी को सरकार गठित करने का हक है और संसद की बहुमत पार्टी के नेता प्रधान मंत्री का पद संभालेगा। 29 दिसम्बर 2008 को बंगलादेश में 9वीं संसद का चुनाव हुआ, हासिना की आवामी लीग पार्टी ने संसद की 300 सीटों में से 230 जीती और आवामी लीग समेत 15 पार्टियों के गठबंधन ने कुल 262 सीटें जीत कर चुनाव में भारी विजय प्राप्त की।  15 पार्टियों के गठबंधन के निर्वाचित सांसदों ने 3 जनवरी को पद ग्रहण की शपथ ली थी, इस के बाद आवामी लीग के सांसदों की पार्टी मीटिंग हुई, जिस में बेगम शेख हासिना को संसदीय दल के नेता चुने गए। इसी तरह हासिना ने नए प्रधान मंत्री की हैसियत से नयी सरकार का गठन करना शुरू किया।
   दो सालों तक टला बंगलादेश संसद चुनाव अखिर में सुभीता के साथ आयोजित हुआ और नयी सरकार ने औपचारिक रूप से सत्ता संभाली। इस से वर्षों से उथल पुथल स्थिति से परेशान हुई बंगलादेश जनता के लिए नयी आशा की किरण फुटी। किन्तु हासिना सरकार के सामने कार्यभार कठिन और चुनौतियों से भरा है।
    पहले, नई सरकार के सामने राजनीतिक स्थिति को स्थिर बनाने का काम पड़ा है । पिछले सत्र की सरकार का कार्यकाल अक्तूबर 2006 में ही समाप्त हुआ था, पर संसद चुनाव 2008 के अंत तक स्थगित रहा। इस का मुख्य कारण विभिन्न प्रमुख पार्टियों में चुनाव पर सहमति प्राप्त नहीं हो पायी और आवामी लीग ने चुनाव के प्रतिरोध में बड़े पैमाने वाली प्रदर्शन कार्यवाही की, जिस से बंगलादेश की राजनीतिक स्थिति डांवांडोल हुई। 2007 के जनवरी माह में बंगलादेश के राष्ट्रपति ने देश में आपात काल घोषित किया और 17 दिसम्बर 2008 तक उसे रद्द कर दिया गया और नौवीं संसद के चुनाव के लिए रास्ता साफ हो गया। आम चुनाव समाप्त होने के बाद भी स्थिति शांत होने का मतलब नहीं हुआ। हासिना के मुख्य प्रतिद्वंद्वी, बंगलादेश राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष, पूर्व प्रधान मंत्री खालिदा जिया ने 31 दिसम्बर 2008 को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि सबूत से साबित हुआ है कि मौजूदा चुनाव में घोटाला हुआ है और राष्ट्रीय पार्टी चुनाव का परिणाम स्वीकार नहीं करेगी। इसी बीच आवामी लीग और राष्ट्रीय पार्टी के समर्थकों में मुठभेड़ भी हुई। हालांकि हासिना ने चुनाव के बाद विरोधी पार्टियों समेत सभी पार्टियों से सहयोग करने की अपील की, तो भी लोकमत ने माना है कि क्योंकि विरोधी पार्टी चुनाव का नदीजा नहीं मानती है, इसलिए बंगलादेश की भावी राजनीतिक स्थिति में खतरा निहित है।
   दूसरे, आर्थिक समस्या भी नयी सरकार के सामने एक बड़ी चुनौति है। इधर के सालों में बंगलादेश की राजनीतिक स्थिति डांवांडोल हो रही है, और तो और देश में कई बार घातक प्राकृतिक प्रकोप हुए और वर्तमान विश्व वित्तीय संकट से धक्का भी लगा। इस से देश में आर्थिक स्थिति खराब है और जनजीवन का स्तर नीचा है, इसलिए देश की आर्थिक समस्याओं को हल करना निहायत जरूरी है । हासिना ने चुनाव कार्यक्रम में दावा किया कि यदि उन्हों ने जीता, तो उन की सरकार महंगाई पर काबू पाने, अनाज सप्लाई को आत्मनिर्भर करने, बिजली सप्लाई बढ़ाने और जोरदार से भ्रष्टाचार का विरोध करने और गरीबी मिटाने की भरसक कोशिश करेगी। हासिना की विजय के बाद बंगलादेश की जनता को नयी सरकार पर गहरी आशा बंधी है । किन्तु वर्तमान विश्व वित्तीय संकट की गंभीर हालत में बंगलादेश का आर्थिक पुनरूत्थान कोई आसान काम नहीं है। नवम्बर 2007 तक देश की मुद्रास्फीति दर 11.21 प्रतिशत तक पहुंची,जो 17 सालों में सब से ऊंची है। अब भी महंगाई ऊंची रही ।
   विश्वव्यापी आर्थिक मंदी के मुद्देनजर एशिया विकास बैंक व विश्व बैंक ने बंगलादेश के सकल घरेलू उत्पादन मूल्य की अनुमानित दर को पहले के 6.5 प्रतिशत से घटा कर 6 प्रतिशत से कम आंकी। एशिया विकास बैंक ने कहा कि बंगलादेश की अर्थव्यवस्था ज्यादा निर्यात और प्रेषित विदेशी मुद्रा पर निर्भर रहती है, जिस से पूर्वानुमान का लक्ष्य साकार होना मुश्किल होगा। इसके अलावा कृषि उत्पाद समस्या भी नयी सरकार के लिए बड़ी चुनौति होगी।