शांगरिला के प्रथम गांव श्यागेई गांव वासी पहले जौ और तेल सब्ज़ी उगाना, नीलगाय का पालन करना और पहाड़ी मशरूम इक्ट्ठा करना आदि परम्परागत कृषि पर निर्भर रहते थे और जीवन बहुत कठिन था। सुधार व खुलेद्वार की नीति लागू की जाने और शांगरिला में पर्यटन उद्योग के विकास के चलते यह गांव पर्यटन सेवा के समृद्ध रास्ते पर चलने लगा। सरकार के समर्थन से गांव के बूढ़े हस्त कलाकार, नक्काशी कलाकार और थांगखा चित्रकार क्रमशः विद्यार्थियों को पढ़ाने लगे, इस के साथ ही सरकार बाहर से पेशेवर अध्यापकों को निमंत्रण कर गांव वासियों का प्रशिक्षण करती है । गांव में लकड़ी नक्काशी वस्तु निर्माण, नीलगाय कोण नक्काशी, थांगखा चित्र बनाना, तिब्बती रजत वस्तु प्रोसेसिंग और तिब्बती धूप बनाने वाली शालाएं खोली गईं । गांववासियों ने अपने विशेषताओं के अनुसार अलग-अलग तिब्बती परम्परागत कलात्मक वस्तुओं की दुकानें खोलीं। खेती का काम करते समय तो गांव वासी खेती का काम करते हैं, अवकाश के समय, दुकान में हस्त कलात्मक वस्तुएं बनाते हैं । वर्तमान में गांव के 22 परिवारों की आय बड़ी हद तक उन्नत हुई है और वे समृद्ध जीवन बिताने लगे हैं । इस की चर्चा में श्यागेई गांव में पर्यटन सत्कार कार्य के जिम्मेदार गांववासी गेसांग च्यात्सो ने कहा:
"पर्यटन उद्योग शुरू करने के पूर्व हमारा गांव पहाड़ी मशरूम इक्ट्ठा करने, तेल सब्ज़ी व जौ उगाने आदि पर निभर रहता था । एक परिवार की सालाना आय तीन हज़ार से ज्यादा चार हज़ार से कम य्वान थी । यह आय सिर्फ़ सालाना जीवन के लिए पर्याप्त है । लेकिन पर्यटन उद्योग शुरू करने के बाद हम ने पर्यटन उद्योग के विकास का गरीबी उन्मूलन व समृद्धि वाला रास्ता चुना । पर्यटक हमारे यहां के स्थानीय रीति रिवाज़ और हस्त कलात्मक वस्तुओं को पसंद करते हैं । इस तरह हमारी आय बड़ी हद तक उन्नत हुई है । अब प्रति परिवार की सालाना औसत आय दस हज़ार य्वान से अधिक है ।"
45 वर्षीय सुननो वांगत्वे अपनी तिब्बती धूप दुकान में धूप बना रहे हैं । तिब्बती धूप तिब्बती दवा से बनाई गयी प्राकृतिक धूप है , अपनी विशेष सुगंध और चिकित्सीय मूल्य के कारण तिब्बती धूप पर्यटकों की पसंदीदा चीज़ बन गयी है । तीन साल पूर्व सुननो वांगत्वे तिब्बती धूप बनाना सीखने लगा और तब एक धूप की दुकान खोली । खेती के काम के अलावा वह दुकान में तिब्बती धूप बनाता है । कृषि से होने वाली आय को मिला कर अब उस का जीवन बहुत समृद्ध हो गया है। सुननो वांगत्वो ने कहा:
"पहले हम सिर्फ़ खेती का काम करते थे, आय बहुत कम थी । लेकिन आज हर माह तिब्बती धूप बेचने से एक हज़ार य्वान प्राप्त कर सकता हूँ । जीवन समृद्ध हो गया है, हमारे घर मे अनेक फर्निचर और इलेक्ट्रोनिक वस्तुएं आ गई हैं । खाना पकाने के लिए हम इलेक्ट्रोनिक कुकर का भी प्रयोग कर रहे हैं ।"
तिब्बती बंधु सुननो वांगत्वे धैर्य के साथ ध्यान से तिब्बती धूप बना रहा है और तिब्बती बौद्ध धर्म की छह स्ल्लाबल प्रार्थनाएं यानी ओम मानी पद- गुनगुना रहा है । उस की आशा है कि आज का सुखी जीवन दीर्घकालिक होगा ।
सिंगापुर से आए पर्यटक सुश्री चङ श्यागेई गांव में बहुत घूमे । अनेक चीज़ें उन्होंने प्रथम बार देखीं और उन्हें आश्चर्यपूर्ण लगा है, इस लिए उन्हें ज्यादा जानकारी पाने का मन हुआ। सुश्री चङ ने कहा:
"यहां की चीज़ें सिंगापुर से अलग हैं । स्थल, वस्तुएं, निर्माण, संस्कृति और पर्यावरण सब अलग है । मैं ने अनेक पुरानी वस्तुओं को देखा । लगता है कि तिब्बती जाति की चीज़ें बहुत रहस्यमय हैं । तिब्बती लोग बहुत स्नेहपूर्ण और मैत्रीपूर्ण हैं ।"
इधर के वर्षों में शांगरिला का पर्यटन उद्योग लगातार विकसित हो रहा है । स्थानीय पारिस्थिति पर्यावरण संरक्षण और अनवरत विकास की प्राप्ति के लिए सरकार ने"पर्यटन आय से कृषि को भत्ता देने"वाला कदम उठाया, किसानों के कृषि उत्पादन के समर्थन के साथ-साथ तिब्बती सांस्कृतिक व परम्परागत कलात्मक विकास को भी प्रोत्साहन दिया और तिब्बती विशेष कृषि उत्पादों व तिब्बती औद्योगिक वस्तुओं की बिक्री के जरिए किसानों की आय बढ़ाने की कोशिश की । शांगरिला कांउटी के फुदात्सो राष्ट्रीय पार्क, जो श्यागेई गांव का प्रबंधन करता है, के उप मैनेजर श्री तिंग वनतुंग ने जानकारी देते हुए कहा:
"हम किसानों के कृषि विकास को प्रोत्साहन देने के साथ ही उन्हें उत्पादों की बिक्री में मदद देंगे । उन्हें कृषि की बुनियादी वैज्ञानिक जानकारी का प्रशिक्षण देंगे और चक्रिय अर्थतंत्र का विकास करेंगे । इस के साथ ही हम मानवीय परियोजनाओं में पूंजी लगाएंगे, तिब्बती सांस्कृतिक व परम्परागत कलात्मक विकास को प्रोत्साहन देंगे । ताकि तिब्बती विशेष कृषि उत्पादों व तिब्बती औद्योगिक वस्तुओं की बिक्री के तरीके से किसानों की आय बढ़ सके । श्यागेई गांव का उदाहरण लें, हम पारिस्थितिकी सांस्कृतिक जातीय गांव का निर्माण करेंगे, पर्यटक यहां आकर गांव वासियों के जीवन, कृषि उत्पादन और जातीय संस्कृति देख सकेंगे ।"
वर्तमान में श्यागेई तिब्बती गांव देश के"तीन ए."स्तरीय पर्यटन क्षेत्रों की नामसूचि में शामिल हो गया है। जातीय हस्त कलात्मक वस्तुओं के अलावा, यहां रंगबिरंगी तिब्बती पौशाक ,संस्कृति, खान पान संस्कृति, नाच गान संस्कृति और त्योहार संस्कृति का प्रदर्शन किया जाता है । श्यागेई गांव में रंगबिरंगी तिब्बती पौशाक शांत व अमनचैन रोज़मर्रा जीवन को सजाती है । पठारीय घास मैदान में गायों व बकरों से मानव और प्रकृति के बीच सामंजस्य दिखाई पड़ता है । यहां तिब्बती जाति का रोज़मर्रा का जीवन व रीति रिवाज़ पर्यटक देख सकते हैं और तिब्बती परिवार में लोग तिब्बती परम्परागत घी पी सकते हैं और जानपा पकवान खा सकते हैं । पर्यटक तिब्बती लोगों के साथ क्वोच्वांग नृत्य और श्वुआनजी नृत्य नाच सकते हैं, इन से फ़सल के समय तिब्बती जाति की खुशियां महसूस की जा सकती हैं ।
शांगरिला के श्यागेई गांव के तिब्बती लोग अब सुखी जीवन बिता रहे हैं । उन के जरिए आप तिब्बती संस्कृति की जानकारी पा सकते हैं और तिब्बती रीति रिवाज़ का मज़ा ले सकते हैं ।