दक्षिण पश्चिमी चीन के युन्नान प्रांत के दीछिंग तिब्बती स्वायत्त प्रिफैक्चर की राजधानी शांगरिला कांउटी में गांव है, जो आसपास बहुत मशहूर है । यह है श्यागेई तिब्बती सांस्कृतिक व पारिस्थितिकी पर्यटन गांव ।
श्यागेई गांव शांगरिला कांउटी के उत्तर पूर्व से 13 किलोमीटर दूर स्थित है । गांव के सामने एक तिब्बती शैली का सफेद स्तूप है, जो मेहमानों का स्वागत करता है, इस तरह इसे मेहमान स्वागत स्तूप कहा जाता है । तिब्बती भाषा में"श्यागेई"का मतलब है"सफेद पत्थर वाला गांव। इस गांव के नज़दीक एक गर्म चश्मा है, जो आसपास के सफेद पत्थरों से घिरा हुआ है । इसी पर श्यागेई गांव का नाम पड़ा है। गांव के चारों ओर जंगल और पहाड़ हैं , गांव में श्यांगछ्याओ नामक नदी बहती है । इस गांव में बीस से ज्यादा तिब्बती परिवार रहते हैं । उन के तिब्बती शैली के मकान अच्छी तरह सुरक्षित हैं और तिब्बती बौद्ध धर्म के स्तूपों, मानी पत्थर टीला, सूत्र झंडा, बौद्ध धर्म के बड़े स्तंभ और सूत्र चक्र इधर ऊधर देखे जा सकते हैं । गांव में प्रवेश करते ही तिब्बती बौद्ध धर्म का वातावरण महसूस किया जा सकता है । गांव के मैदान में पर्यटकों की कई बसें खड़ी हैं, जिन से पता लगता है कि बाहर से पर्यटक अभी-अभी यहां पहुंचे हैं।
तिब्बती युवा गेसांग च्यात्सो श्यागेई गांव में पर्यटन सत्कार कार्य के जिम्मेदार हैं । उन्होंने कहा कि गांव में आने वाले ज्यादातर पर्यटक तिब्बती गांव के विशेष रीति रिवाज़ और परम्परागत तिब्बती दस्तकारी की कला वस्तुओं से आकृष्ट हो कर आते हैं । उन्होंने कहा:
"हमारा गांव तिब्बती जातीय गांव है । पर्यटक हमारे यहां तिब्बती जाति के रीति रिवाज़, लोक कला और धार्मिक संस्कृति से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं । कला वस्तुएं बनाना हमारे गांव की परम्परा है । हम सब से प्राचीन पारिवारिक जीवन साधन और धार्मिक साधन बनाते हैं इन में आम तौर पर लकड़ी से बने हुई वस्तु, थांगखा चित्र, नीलगाय कोण नक्काशी, तिब्बती धूप, तिब्बती रजत और तिब्बती छुरी आदि शामिल हैं ।"
श्यागेई गांव में अनेक कला वस्तुएं बनाने वाली शालाएं हैं । लोग यहां तिब्बती लोक कलाकारों द्वारा लकड़ी से बनी नक्काशी वस्तुएं खरीद सकते हैं । तिब्बती मिट्टी बर्तन शाला में तिब्बती मज़दूर पर्यटकों के सामने परम्परागत काले बर्तन बनाते हैं, नीलगाय कोण नक्काशी शाला में नाना प्रकार की कलात्मक वस्तुएं रखी हुई हैं, जिन पर तिब्बती भाषा में बौद्ध सूत्र व चित्र अंकित हैं, जो शुभ व मंगलमय हैं। इन वस्तुओं को बाहर से आए पर्यटक बहुत पसंद करते हैं ।
श्यागेई गांव की थांगखा चित्र शाला में विभिन्न प्रकार के थांगखा चित्र और नाना प्रकार की कसीदाकारी की वस्तुएं लटकी हुई हैं । तिब्बती लड़की यांगजोंग चोमा ध्यान से थांगखा चित्र बना रही है । उस ने कहा कि पठार पर रहने वाले तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी आम तौर पर घुमंतू जीवन बिताने वाले चरवाहे हैं । बुद्ध मूर्ति की प्रार्थना करने और सूत्र पढ़ने की सुविधा के लिए वे रंगबिरंगे खाद्य पदार्थों से बुद्ध मूर्ति का चित्र बनाते हैं, ताकि यथा समय और यथा स्थल पूजा की कर सके । इस तरह थांगखा चित्र पैदा हुआ । थांग खा चित्र के विषयों में ज्यादा तर तिब्बती बौद्ध धर्म की क्लासिकल कहानियां और बुद्ध मूर्तियां हैं । तिब्बती लड़की यांगजोंग चोमा ने कहा कि श्यागेई गांव के बूढ़े थांगखा चित्रकार बहुत मशहूर हैं, इस लिए वह खुद शांगरिला कांउटी से यहां सीखने आती है। उस ने कहा:
"मैं इस गांव की नहीं हूँ । लेकिन तीन साल पूर्व मैं थांगखा चित्र सीखने आयी । अगर मेरा चित्र अच्छी तरह नहीं बनता, तो अध्यापक मेरी मदद करते । अगर बहुत बुरा चित्र बनाया, तो वह थांगखा चित्र नहीं बेचा जा सकता । तो मैं इसे अपने साथ घर वापस ले जाकर इस का और अच्छी तरह अध्ययन करती हूँ । मुझे लगता है कि थांगखा चित्र बहुत सुन्दर है ।"
श्यागेई गांव में पर्यटन सत्कार कार्य के जिम्मेदार गांववासी गेसांग च्यात्सो ने जानकारी देते हुए कहा कि यांगजोंग चोमा जैसे लड़की बहुत ज्यादा हैं, जो श्यागेई गांव का नाम सुन कर यहां कलात्मक तकनीक सीखने आती हैं । गांव का सांस्कृतिक वातावरण अच्छा है और जीवन स्थिति अच्छी है । इस तरह विद्यार्थी सीखने के बाद यहां से विदा नहीं लेना चाहते, वे विभिन्न शालाओं में पर्यटन सेवा करना चाहते हैं ।
गेसांग च्यात्सो ने कहा कि पहले श्यागेई गांव वासी जौ और तेल सब्ज़ी उगाना, नीलगाय का पालन करना और पहाड़ी मशरूम इक्ट्ठा करना आदि परम्परागत कृषि पर निर्भर रहते थे और जीवन बहुत कठिन था। सुधार व खुलेद्वार की नीति लागू की जाने और शांगरिला में पर्यटन उद्योग के विकास के चलते यह गांव पर्यटन सेवा के समृद्ध रास्ते पर चलने लगा। सरकार के समर्थन से गांव के बूढ़े हस्त कलाकार, नक्काशी कलाकार और थांगखा चित्रकार क्रमशः विद्यार्थियों को पढ़ाने लगे, इस के साथ ही सरकार बाहर से पेशेवर अध्यापकों को निमंत्रण कर गांव वासियों का प्रशिक्षण करती है । गांव में लकड़ी नक्काशी वस्तु निर्माण, नीलगाय कोण नक्काशी, थांगखा चित्र बनाना, तिब्बती रजत वस्तु प्रोसेसिंग और तिब्बती धूप बनाने वाली शालाएं खोली गईं । गांववासियों ने अपने विशेषताओं के अनुसार अलग-अलग तिब्बती परम्परागत कलात्मक वस्तुओं की दुकानें खोलीं। खेती का काम करते समय तो गांव वासी खेती का काम करते हैं, अवकाश के समय, दुकान में हस्त कलात्मक वस्तुएं बनाते हैं । वर्तमान में गांव के 22 परिवारों की आय बड़ी हद तक उन्नत हुई है और वे समृद्ध जीवन बिताने लगे हैं ।
इस लेख का दूसरा भाग अगली बार प्रस्तुत होगा, कृप्या इसे पढ़े।(श्याओ थांग)