2008-12-31 17:23:52

श्री हू चिन थाओ ने थाइवान जमडमरुमध्य के दोनों तटों से दुश्मनी की स्थिति को समाप्त करने की अपील की


दोस्तो , चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थायी कमेटी द्वारा जारी थाईवान देशबंधुओं के नाम पत्र की 30 वीं वर्षगांठ के उपलक्ष में संगोष्टी 31 दिसम्बर को पेइचिंग में हुई । चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी के महा सचिव और राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने संगोष्टी में दोनो तटों के संबंधों के शांतिपूर्ण विकास को बढावा देने के बारे में 6 सूत्रीय महत्वपूर्ण विचार पेश किये । उन्हों ने फिर एक बार यह अपील की है कि एक चीन के सिद्धांत के आधार पर सलाह मशविरे के जरिये विधिवत रूप से दोनों तटों के बीच दुश्मनी स्थिति को समाप्त किया जाये , शांति समझौता संपन्न किया जाये और दोनों तटों के संबंधों के शातिपूर्ण विकास का ढांचा स्थापित किया जाये । 

1979 के नव वर्ष के दिन चीनी राष्ट्रीय जन प्रतिनिधि सभा की स्थायी कमेटी ने जारी थाईवान देशबंधुओं के नाम पत्र में स्पष्टतः यह प्रस्ताव रखा है कि सलाह मशविरे के जरिये थाईवान जलडमरुमध्य के बीच फौजी आमने सामने की स्थिति को समाप्त किया जाये और दोनों तटों के देशबंधुओं की आवाजही को बाधित करने में खड़ी बाड हटायी जाये तथा स्वतंत्र आवाजाही और आर्थिक व सांस्कृतिक आदान प्रदान को बढावा दिया जाये । थाईवान देशबंधुओं के नाम पत्र जारी होते ही भारी प्रतिक्रियाएं भड़क उठीं और वह दोनों तटों के संबंधों को सुधारने के लिये मुकाबले से वार्तालाप की ओर बढ़ने का प्रथम कदम माना गया ।

पिछले तीस सालों के बाद दोनों तटों के देशबंधुओं और विभिन्न जगतों के गणमान्य व्यक्तियों के समान प्रयासों से दोनों तटों के संबंधों में भारी परिवर्तन हुए हैं । विशेषकर 2008 में थाईवान की राजनीतिक परिस्थिति में दोनों तटों के संबंधों के लिये लाभदायक परिवर्तन आया है , दोनों तटों के बीच प्रत्यक्ष जहाजरानी , डाक और वाणिज्य की तमन्ना पूरी हो गयी है ।

संगोष्टी में श्री हू चिन थाओ ने दोनों तटों के संबंधों का सारांश निकालते हुए कहा दोनों तटों के संबंधों के विकास और मातृभूमि के पुनरेकीकरण को साकार करने के लिये यह जरूरी है कि हम शांतिपूर्ण पुनरेकीकरण और एक देश दो व्यवस्थाओं वाले सिद्धांत और मौजूदा दौर में दोनों तटों के संबंधों के विकास व मातृभूमि के शांतिपूर्ण पुनरेकीकरण को बढावा देने की आठ सूत्रीय विचार पर कामय रहे और इस बात पर डटे रहे कि एक चीन का सिद्धांत कतई नहीं बदला जायेगा , मातृभूमि के शांतिपूर्ण पुनरेकीकरण की कोशिश कभी भी नहीं छोड़ी जायेगी , थाईवान स्वाधीनता रचने वाले विभाजनकारी गतिविधियों से सुलह नहीं किया जायेगा और दोनों तटों के संबंधों के शांतिपूर्ण विकास को गिरफ्त में बांधकर दोनों तटों के देशबंधुओं की भलाई , थाईवान जलडमरुमध्य क्षेत्र की शांति की स्थापना और राजकीय प्रभुसत्ता व प्रादेशिक अखंडता व चीनी राष्ट्र के मूल हितों की रक्षा की जाये ।

श्री हू चिन थाओ कहा कि दोनों तटों के सलाह मशविरे व वार्ता के लिये दोनों तट मौजूदा विशेष वास्त्विक स्थिति के मद्देनजर राजनीतिक संबंध पर ठोस विचार विमर्श कर सकते हैं । थाईवान जलडमरुमध्य की स्थिति को स्थिर बनाने और फाजी सुरक्षा की चिन्ता को कम करने के लिये दोनों तट उचित समय पर फौजी सवालों पर सम्पर्क व आदान प्रदान करेंगे , ताकि फौजी सुरक्षा की आपसी व्यवस्था की स्थापना की जा सके । हम फिर एक बार यह अपील करते है कि एक चीन के सिद्धांत के आधार पर सलाह मशविरे से विधिवत रूप से दुश्मनी स्थिति को समाप्त किया जाये और शांतिपूर्ण समझौता संपन्न किया जाये तथा दोनों तटों के शांतिपूर्ण विकास का ढांचा तैयार किया जाये ।

अंतर्राष्ट्रीय गतिविधियों में भाग लेने की थाईवान देशबंधुओं की अभिलाषा की चर्चा में श्री हू चिन थाओ ने कहा  विदेश मामलों में दोनों तटों के बीच अनावश्यक खींचतान से बचना चीनी राष्ट्र के संपूर्ण हित के लिये फायदेमंद है । गैरसरकारी आर्थिक व सांस्कृतिक आवाजाही में थाईवान की हिस्सेदारी की संभावना पर विचार विमर्श किया जा सकता है । थाईवान अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में तभी भाग ले सकेगा , जबकि दो चीन व एक चीन एक थाईवान की पूर्त शर्त न हो , ऐसी स्थिति में दोनों तट व्यवहारिक सलाह मशविरे से समुचित बंदोबस्त करेंगे , थाईवान सवाल का निपटारा कर मातृभूमि के पूर्ण पुनरेकीकरण को साकार बनाना चीन का अंदरुनी मामला है , किसी देश को इस में दखल देने की इजाजत नहीं दी जा सकती ।

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