2009-01-01 16:10:02

चीन-भारत संबंध पर भारत स्थित चीनी राजदूत का विचार


चीन व भारत  दुनिया में  सब से बड़ी  जनसंख्या वाले  और सब से तेज़ गति से विकसित होने वाले विकासमान देश हैं , वर्ष 2008 में इन दोनों देश  समान रुप से दुनिया की डांवाडोल परिस्थिति से गुजरे हैं। दोनों देशों के नेताओं द्वारा संपन्न सिलसिलेवार महत्वपूर्ण सहमतियों के निर्देशन में द्विपक्षीय संबंधों में सुभीतापूर्ण रूप से प्रगति हुई है। नए साल के आगमन पर नई दिल्ली स्थिति हमारे संवाददात हूमिन ने भारत स्थित चीनी राजदूत श्री चांग यैन के साथ एक विशेष साक्षात्कार किया । अब सुनिये इस संदर्भ में एक रिपोर्ट ।

"प्रिय श्रोताओ, मैं भारत स्थित चीनी राजदूत चांग य्येन हूं। वर्ष 2009 के आगमण पर मैं चाइना रेडियो इंटरनेशनल की हिन्दी सेवा के जरिये आप लोगों को नये वर्ष की शुभकामना दे रहा हूं।"

श्री चांग य्येन ने बताया कि चीन भारत संबंध वर्तमान दुनिया में सब से महत्वपूर्ण संबंधों में से एक है। चीन-भारत संबंध के सुचारु विकास का एशिया यहां तक कि दुनिया की शांति व स्थिरता के लिए बड़ा महत्व है। बड़ी खुशी की बात यह है कि दोनों देशों के समान प्रयासों से वर्ष 2008 में विभिन्न क्षेत्रों में चीन व भारत के द्विपक्षीय संबंधों में चतुर्मुखी विकास हुआ है। दोनों देशों के बीच सिलसिलेवार द्विपक्षीय सहयोग मजबूत होते जा रहे हैं।

श्री चांग य्येन ने कहा कि वर्ष 2008 के पहले 10 महीनों में दोनों की व्यापार रकम 45 अरब 50 करोड़ अमरीकी डॉलर तक पहुंची है, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 49.4 प्रतिशत से अधिक है। हाल में चीन भारत का सब से महत्वपूर्ण व्यापार साझेदार बन चुका है। आर्थिक क्षेत्र के सहयोग के अलावा, चीन व भारत ने सफल रुप से दूसरे दौर की वार्षिक प्रतिरक्षा सलाह मश्विरा भी किया। हाथ में हाथ 2008 नामक थल फौजी संयुक्त प्रशिक्षण भारत में संतोषजनक रूप से सफल  हो गया, जिस से बड़ी हद तक फौजी सुरक्षा के क्षेत्र में दोनों देशों के बीच आपसी विश्वास को बढावा मिला  है। इस के अलावा, सांस्कृतिक, वैज्ञानिक व तकनीक और शैक्षिक सहयोग व व्यक्तियों के आदान प्रदान आदि क्षेत्रों में सहयोग भी निरंतर हुआ है। वर्ष 2008 के उत्तरार्द्ध में चीन व भारत दोनों देशों ने अलग अलग तौर पर तीसरी खेप में सौ युवकों के प्रतिनिधि मंडलों को यात्रा के लिये एक दूसरे के यहां  भेज दिया है  । गत दिसम्बर माह की शुरुआत में चीन-भारत मैत्री संघ के अध्यक्ष च्यांग चन ह्वा ने प्रतिनिधि मंडल लेकर भारत की यात्रा की और नयी दिल्ली में आयोजित चीन व भारत के संयुक्त चिकित्सक दल की शुरुआत की रस्म में भाग लिया। इस के अलावा, इस वर्ष चीन व भारत ने कोलकाता व क्वांग च्यो में अलग अलग तौर पर अपना अपना जनरल कांसुलेट खोल दिया।

"इस वर्ष में चीन व भारत दोनों देशों के उच्च स्तरीय आपसी यात्राएं अत्यंत क्रियाशील रहीं । वर्ष की शुरुआत में भारतीय प्रधान मंत्री सिंह ने चीन की यात्रा की। चीन व भारत ने 21 वीं शताब्दी के उन्नमुख समान आशा नामक ज्ञापन संपन्न किया और दोनों देशों के संबंधों को एक नयी ऊंचाई पर पहुंचायी । चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ और प्रधान मंत्री वन चा पाओ ने अंतरराष्ट्रीय स्थलों में अनेक बार भारतीय प्रधान मंत्री सिंह से मुलाकातें कीं।"

श्री चांग य्येन ने बताया कि इस के अलावा, भारतीय सत्तारुढ़ पार्टी कांग्रेस पार्टी की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी भी अगस्त माह में पेइचिंग में आयोजित आलम्पिक खेल समारोह के उद्घाटन समारोह में शरीक हुई   । चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय कमेटी के पोलित ब्यूरो के सदस्य, शांगहाई म्युनिसिपल के महा सचिव श्री यू जडं शंग ने भी अक्तूबर माह में नयी दिल्ली और दक्षिण भारत के विज्ञान व तकनीक केंद्र बंगलोर आदि स्थलों की यात्रा की। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने एक दूसरे के यहां की सफल यात्रा की। दोनों देशों की राजनीतिक पार्टियों व संसदों के बीच आदान प्रदान को भी मजबूत किया गया है। जलवायु परिवर्तन, डब्ल्यू डी ओ कृषि वार्ता और भूमंडलीय वित्तीय संकट आदि महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समस्याओं पर दोनों देश हमेशा ही घनिष्ट समन्वय व सहयोग बनाये रखे हुए हैं। चीनी पक्ष भारत द्वारा नयी दिल्ली की ऑलिंपियाड मशाल रिले को सफल बनाने के लिए किये गये प्रयास को सुनिश्चित देने और चीन के स छ्वान भूकंप ग्रस्त क्षेत्र को दी गयी राहत सहायता के प्रति गहरा आभार प्रकट किया। श्री चांग यैन का मानना है कि चीन व भारत के संबंधों के विकास का उज्जवल भविषय भी है। उन्होंने कहा,

"वर्ष 2009 में चीन व भारत के संबंध का और बड़ा विकास होगा। हम भारतीय राष्ट्रपति प्रतिभा पटिल की चीन यात्रा की प्रतिक्षा में हैं।"

वर्ष 2008 के उत्तरार्ध में हुए भूमंडलीय वित्तीय संकट से चीन व भारत इन दो न बड़े विकासशील देशों पर कुप्रभाव पड़ा है। इस परिस्थिति के मद्देनजर, चीन व भारत के आर्थिक जगतों के लोगों ने यह मान लिया  कि चीन, भारत और अन्य नये आर्थिक समुदायों को हाथ मिलाकर   दुनिया के अर्थंतत्र के विकास को आगे बढ़ाना चाहिए। इस समस्या की चर्चा में श्री चांग येन ने कहा,

"गंभीर भूमंडलीय आर्थिक परिस्थिति के मद्देनजर, चीन व भारत सहयोग को और मजबूत करेंगे, अपने अर्थतंत्र के निरंतर व स्थिर विकास की रक्षा करेंगे, इस के साथ ही अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व वित्तीय व्यवस्था का रुपांतरण करेंगे, विकासमान देशों  के हितों व कल्याणों की रक्षा के लिए उभय प्रयास करेंगे।"

श्री चांग येन ने कहा कि हालिया चीन-भारत संबंध इतिहास में सब से अच्छे दौर में  है और आगे विकास के अच्छे मौके का सामना कर रहा है। हम द्विपक्षीय संबंधों के विकास के भविषय पर आशाप्रद हैं। दो तेज़ विकास होने वाले बड़े देश होने के नाते, चीन व भारत को हाथ मिलाकर आगे बढ़ना चाहिए, ताकि दोनों देशों की जनता के लिए लाभ दिया जा सकें और एशिया व विश्व की शांति व समृद्धि के लिए अपना योगदान प्रदान किया जा सकें।

बातचीत के अंत में श्री चांग ने चाइना रेडियो की हिन्दी सेवा के जरिये सभी श्रोताओं को नव वर्ष की शुभकामना देने की आशा जताई। उन्होंने कहा कि सी आर आई की हिन्दी सेवा चीन व भारत की जनता की मैत्री के लिये नया योगदान प्रदान करेगी।

"यहां पर मैं आशी करता हूं कि सभी श्रोता नव वर्ष में चीन-भारत संबंध के विकास का ख्याल रखेंगे। आशा है कि सब लोग नव वर्ष में सकुशल हो। और यह आशा भी है कि सी आर आई चीन व दुनिया के विभिन्न देशों की जनता के बीच समझ व मैत्री को प्रगाढ़ करने के लिए नया योगदान प्रदान करेंगे।"