दोस्तो , सुधार व खुलेद्वार नीति लागू होने के पिछले तीस सालों में चीनी जन मुक्ति सेना ने विदेशों के साथ फौजी आदान प्रदान व सहयोग लगातार बढावा दिया है । अभी तक चीन ने डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ राजनयिक संबंध स्थापित किये हैं और दसियों देशों के साथ वार्षिक सुरक्षा सलाह मशविरा किया है तथा हर साल में सैकड़ों सौ विदेशी फौजी प्रतिनिधि मंडलों का सत्कार किया ही नहीं , बल्कि इतनी संख्या में अपने फौजी प्रतिनिधि मंडलों को विदेशों में भी भेज दिया है । चीनी सेना अधिकाधिक पारदर्शी होती गयी है ।
मंत्री कामरेड से मुलाकात करने पर बड़ी खुशी हुई है , राष्ट्रीय रक्षा मंत्री बनने के बाद प्रथम बार चीन यात्रा करने और चीनी रूसी फौजी टेक सहयोग मिश्रित समिति के 13 वें सम्मेलन में भाग लेने पर आप का स्वागत है ।
11 दिसम्बर 2008 को चीनी राष्ट्राध्यक्ष व केंद्रीय फौजी आयोग के अध्यक्ष श्री हू चिन थाओ ने पेइचिंग जन बृहत सभा भवन में यात्रा पर आये रुसी राष्ट्रीय रक्षा मंत्री श्री सेर्ड्युकोव से भेंट करते समय उक्त बात कही । यह भेंट चीनी सर्वोपरि नेताओं द्वारा फौजी राजनयिक मामले में भाग लेने की ठेठ मिसाल है । पिछले तीस सालों में चीनी जन मुक्ति सेना के सर्वोच्च नेताओं ने लगातार प्रत्यक्ष रूप से विदेशों के साथ फौजी आदान प्रदान में भाग लिया है । इधर सालों में चीनी जन मुक्ति सेना ने हर वर्ष में भिन्न दर्जे वाले फौजी प्रतिनिधि मंडल विदेशों की यात्रा पर गये हैं , इसी बीच अनेक देशों के राष्ट्रीय रक्षा मंत्री और चीफ आफ जनरल स्टाफ बारंबार चीनी दौरे पर भी आये हैं ।
सेनाओं के बीच उच्च स्तरीय आपसी यात्राओं को बढावा देने के साथ साथ चीनी जन मुक्ति सेना के साधारण सैनिकों ने विदेशी सैनिकों के साथ आमने सामने का आदान प्रदान भी कर दिया । फौजी अभ्यास इसी प्रकार के आदान प्रदान को मूर्त रुप देने का महत्वपूर्ण माध्यम ही है और वह फौजी कूटनीति का अहम संगठनात्मक भाग भी बन गया है ।
अक्तूबर 2002 में चीनी जन मुक्ति सेना ने इतिहास में प्रथम बार दिदेशी सेना के साथ संयुक्त युद्धाभ्यास किया । फिर इस के 6 सालों में चीन ने लगातार 11 देशों के साथ 16 बार संयुक्त फौजी अभ्यास कर दिया ।
चालू वर्ष के दिसम्बर में हाथ में हाथ 2008 नामक चीनी व भारतीय संयुक्त आतंक विरोधी प्रशिक्षण भारत के बेलगोम में संतोषजनक रूप से आयोजित हुआ , चीनी जन मुक्ति सेना के डिप्टी चीफ आफ जनरल स्टाफ श्री मा श्याओ थ्येन ने प्रदर्शन देखने के बाद कहा चीनी व भारतीय सेनाओं ने गहरे आदान प्रदान के जरिये एक दूसरे से सीख लिया है और आपसी समझ व दोनों सेनाओं की मैत्री भी प्रगाढ़ बना दी है ।
भारतीय दक्षिण फौजी क्षेत्र के कमांडर श्री थाम्बुरज ने अपना अनुभव बताते हुए कहा मौजूदा संयुक्त प्रशिक्षण ने दोनों देशों की हिस्सेदार टुकड़ियों के व्यवसायिक स्तर प्रदर्शित किया है , साथ ही उन के बीच आतंकवादी खतरे का मुकाबला करने पर आपसी विश्वास भी मजबूत बना दिया है । दोनों देश आतंकवाद पर रोक लगाने के लिये प्रयत्नशील हैं , इस संयुक्त प्रशिक्षण से यह जाहिर हो गया है कि दोनों देश फौजी क्षेत्र में समान रुप से आतंकवाद पर रोक लगाने को संकल्पबद्ध हैं ।
संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापन कार्यवाही में हिस्सेदारी चीनी फौजी कूटनीति का अन्य एक अहम संगठनात्मक भाग है ।
अक्तूबर 2007 में चीनी प्रथम खेप में शांति स्थापन इंजीनियरिंग टुकड़ियां सूडाल के दारफूर क्षेत्र गयीं । आंकड़ों के अनुसार चीन ने अभी तक संयुक्त शांति स्थापन कार्यवाही में कुल 8 हजार से अधिक सैनिकों को भेज दिया है , यह संख्या राष्ट्र सुरक्षा परिषद के सथायी सदस्य देशों में सब से अधिक है ।
चीनी राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मंग श्यांग छिंग का विचार है कि ऐसा कहा जा सकता है कि खुली व सार्थक सकारात्मक फौजी कूटनीति ने शांति से प्यार व शांति की रक्षा करने की चीनी सेना की खूब सुरत छवि प्रदर्शित हो गयी है , साथ ही विभिन्न देशों की सेनाओं के साथ आदान प्रदान , गहन सहयोग व समान विकास करने का सेतु भी स्थापित हुआ है ।
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