2008-12-25 10:03:44

पुई अल्पसंख्यक जाति का विशेष गायन तौर तरीका हजारों वर्ष पुराना है

मालिंग नदी की घाटी में पर्यटक रबड़ नाव पर सवार होकर स्वच्छ नदी पर विहार भी कर सकते हैं , पर यह खेल जोखिम से भरा हुआ खेल ही है ।

नाविक हौसले को बढ़ाने के लिये अपना विशेष गाना ऊंची आवाज में गाते हुए रबड़ नाव लहरों के साथ चलाता है , कभी नाव उफनती तंगी नदी से होकर आगे बढता है , कभी तेज ऊंची लहरों को चीरकर चलता है , कभी झरनों की तेज धाराएं ऊपर से नीचे गिरकर पर्यटकों को भी मार देती हैं , ऐसे मौके पर पर्यटक हर्षोल्लासपूर्ण आवाजें उठाते हैं या एक दूसरे को मजाक उड़ा देते हैं , क्योंकि वे सब सिर से पांव तक भीगे भीगे हुए दिखाई देते हैं ।

हजारों चोटी जंगल पर्यटन स्थल का दौरा करने के बाद स्थानीय वासी पर्यटकों को दक्षिण पश्चिम प्रिफेक्चर देखने की सलाह दे सकते हैं । क्योंकि इस प्रिफेक्चर का सब से मनोहर दृश्य गांवों में छिपी अल्पसंख्यक जातीय संस्कृतियां ही हैं ।

मा लिंग नदी की घाटी के दोनों तटों पर ऊंची ऊंची सीधी खड़ी चट्टानें दिखाई देती हैं । तीन लाख वर्गमीटर विशाल झरना इन सीधी खड़ी चटटानों के ऊपर से नीचे गिरती है , नरम धुप में झरने की तेज धाराएं बिलकुल एक चीनी स्याही चित्र मालूम पड़ती हैं , जिन्हें देखकर पर्यटकों का मन एकदम खुश हो उठता है ।

मालिंग नदी की घाटी में पर्यटक रबड़ नाव पर सवार होकर स्वच्छ नदी पर विहार भी कर सकते हैं , पर यह खेल जोखिम से भरा हुआ खेल ही है ।

नाविक हौसले को बढ़ाने के लिये अपना विशेष गाना ऊंची आवाज में गाते हुए रबड़ नाव लहरों के साथ चलाता है , कभी नाव उफनती तंगी नदी से होकर आगे बढता है , कभी तेज ऊंची लहरों को चीरकर चलता है , कभी झरनों की तेज धाराएं ऊपर से नीचे गिरकर पर्यटकों को भी मार देती हैं , ऐसे मौके पर पर्यटक हर्षोल्लासपूर्ण आवाजें उठाते हैं या एक दूसरे को मजाक उड़ा देते हैं , क्योंकि वे सब सिर से पांव तक भीगे भीगे हुए दिखाई देते हैं ।

हजारों चोटी जंगल पर्यटन स्थल का दौरा करने के बाद स्थानीय वासी पर्यटकों को दक्षिण पश्चिम प्रिफेक्चर देखने की सलाह दे सकते हैं । क्योंकि इस प्रिफेक्चर का सब से मनोहर दृश्य गांवों में छिपी अल्पसंख्यक जातीय संस्कृतियां ही हैं ।

इस प्रिफेक्चर में चीनी अल्पसंख्यक जातियों में से एक पुई जाति बसी हुई है । इस जाति का विशेष गायन तौर तरीका हजारों वर्ष पुराना है । लिपी न होने के कारण यह जाति पीढ़ी दर पीढ़ी जुबान पर अपना यह संगीत विरासत में ग्रहित कर लेती है । वे आम तौर पर अवकाश के समय , विशेषकर त्यौहार के उपलक्ष में आठ व्यक्तिय़ों से अधिक लोग बैठकर वाद्ययंत्र के साथ गाते हैं ।

इस प्रिफेक्चर में ना हुई नामक गांव हजारों चोटी जंगल में प्रथन घर के नाम से अत्यंत नामी है , हरेक पर्यटक यहां आने के बाद इस गांव को देखने जरूर जाता है । 2005 वर्ष में चीनी परम्परागत वसंत त्यौहार के उपलक्ष में चीनी राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ भी इसी गांव के दौरे पर आये , उन्हों ने गाववासियों के साथ वसंत त्यौहार की खुशियां मनाने के लिये मीठे चिपचिताते चावल पकवान भी बनाये । त्यौहार की खुशियों में स्थानीय वासियों के बीच लठी से भीगे चिपचिपाते चावल को मारकर एक विशेष मीठे पकवान पकाने की परम्परा बनी रही है । स्थानीय लोग इसे शकुन मानते हैं । इसलिये बाहर से आने वाले बहुत से पर्यटक अपने हाथों यह विशेष स्वादिष्ट पकवान पकाते हैं और स्थानीय ग्रामीण वासियों के साथ ग्रामीण खाना खाते हैं ।

यदि कोई भी पर्यटक सुंदर हजारों चोटी जंगल के दौरे पर आता है , तो उस के लिये पुई जाति का आठ कटोरा नामी विशेष व्यंजन चखना और आठ आवाज गायन सुनना अत्यावश्य है । जी हां , मत भूलिये , चावल मदिरा पीना भी जरूरी है , इसी वक्त पर किसी भी पर्यटक को मानव जाति व प्रकृति के बीच सामंजस्य का नया अनुभव हो सकता है ।

इतना ही नहीं , इसी प्रिफेक्चर में नाना प्रकार वाले स्वादिष्ट पकवान भी अपने ढंग के हैं । विशेषकर म्याओ और पुई जैसी चीनी अल्पसंख्यक जातियों के लोकप्रिय पकवान किसी दूसरे स्थान पर खाने को नहीं मिलते हैं ।

आप क्या चीज खा रहे हैं , चिकन थांग य्वान नामी व्यंजन है । कैसा लगा , अच्छा है , कब से ही इस व्यंजन के बारे में सुना था , पर आज मुझे आखिरकार चखने को मिल गया है , सचमुच बहुत प्रशंसनीय है ।

इस के अलावा यहां पर अंडे से तैयार नुडल , चिकन सूप , मटन नुडल जैसे विविधतापूर्ण व्यजन भी साल भर में देशी विदेशी पर्यटकों को मोह लेते हैं ।

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