शांगरिला के पुदात्सो राष्ट्र पार्क के उप निदेशक श्री तिंग वनतुंग ने जानकारी देते हुए कहा कि स्थानीय सरकार ने पार्क के प्रबंधन, पर्यावरण व पारिस्थितिकी के संरक्षण के लिए अनेक कदम उठाए हैं । पार्क बनाते समय "शुदु"झील और "पिथाहाई"झील के आसपास अवैध रूप से निर्मित रिहायशी मकानों को नष्ट किया गया, जिस से झील के तटीय क्षेत्रों में प्रदुषित वस्तुओं की निकासी हुई है। पार्क ने विशेष तौर पर 20 से ज्यादा पर्यावरण संरक्षण बसें खरीदी हैं , जिन का प्रयोग पार्क का दौरा करने के लिए किया जाता है , इस से पार्क में निजी कारों के प्रवेश को कम किया गया है, ऊर्जा की किफायत हुई है और कारों से पैदा प्रदूषण भी कम हुआ है। पार्क के अंदर पहाड़ी मार्गों के दोनों किनारों पर उच्च गुणवत्ता वाली घास लगायी गई है, जिस का मकसद भूस्खलन को रोकना है । इस के साथ ही स्थानीय सरकार ने पार्क में सौर ऊर्जा और भूमिगत गर्म ऊर्जा के प्रयोग वाले पर्यावरण संरक्षण कैंटिंग और प्रगतिशील तकनीक वाले पर्यावरण संरक्षण शौचालयों का निर्माण किया है ।
वर्तमान में पर्यावरण और पारिस्थितिकी संरक्षण वाली विचारधारा हर शांगरिला वासी के दिल में घर कर गई है ।उन के विचार में यहां के पहाड़ों, झीलों, जगलों व घास मैदानों का संरक्षण करना और प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखना और ज्यादा पर्यटकों को आकृष्ट करने के लिए लाभकारी है। शांगरिला कांउटी के च्येनथांग कस्बे के नोशी गांव वासी त्सेवांग फिंगत्सो ने कहा कि तिब्बती लोग आम तौर पर लकड़ी से बने हुए दो मंजिला मकानों में रहते हैं। पहले गांव में घर के निर्माण में ज्यादा लकड़ी का प्रयोग किया जाता था, तो इस घर के मालिक की ज्यादा क्षमता जाहिर होती थी । दूसरों के साथ लगातार तुलना करने के कारण आसपास के पहाड़ों में अधिक पेड़ों को काटा गया । इस के साथ ही हर वर्ष घर में ईंधन के रूप में दो ट्रक लकड़ी का प्रयोग भी किया जाता रहा । इस की चर्चा में तिब्बती किसान त्सेवांग फिंत्सोक ने कहा:
"पहले हमारी तिब्बती जाति लकड़ी से मकानों का निर्माण करती थी। मकान के स्तंभ ज्यादा बड़े, मकान ज्यादा विशाल और ऊंचे तो ज्यादा अच्छा है ।लेकिन आज हमारा विचार बदल गया है। ज्यादा बड़ी लकड़ी के स्तंभ का कोई अर्थ नहीं है, हमें ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते थे और पर्यावरण पर भी कुप्रभाव पड़ता था । आज सरकार ने हमारे लिए मुफ्त सौर ऊर्जा उपकरण लगाया, इस के साथ ही सरकार ने ऊर्जा की किफायत के क्षेत्र में अनेक कार्य किए हैं।"
तिब्बती किसान त्सेवांग फंगत्सो ने कहा कि स्थानीय सरकार ने हर परिवार में सौर ऊर्जा उपकरण लगाने के अलावा मैथन गैस तालाब के निर्माण में भी पूंजी की सहायता दी है । वर्तमान में गांव वासियों के घर में सौर ऊर्जा व मैथन गैस आदि ऊर्जा का प्रयोग किया जाता है । पहले ईंधन के रूप में लकड़ी का प्रयोग किया जाता था, और घर में बहुत गंदगी रहती थी । आज नई ऊर्जा के प्रयोग से वे स्वच्छ व साफ़ और नया जीवन बिता रहे हैं ।
शांगरिला कांउटी का निशी जिला का थांगत्वे गांव अपने तिब्बती शैली वाले मिट्टी बर्तन के कारण मशहूर है ।हर खेप वाले मिट्टी बर्तन के उत्पादन के लिए बड़ी तादाद में लकड़ी का प्रयोग किया जाता है और बड़ी मात्रा में धुआं निकलता है । इस तरह लकड़ी के प्रयोग और धुएं की निकासी को कम करने के लिए थांगत्वे गांव वासी इस का स्थान लेने वाली ऊर्जा की खोज में लगे हुए हैं । इस गांव के मिट्टी बर्तन कंपनी के उप मैनेजर श्री वांगत्वे ने कहा:
"मेरा विचार है कि प्राकृतिक गैस और मैथन गैस के प्रयोग से बने हुए तिब्बती मिट्टी बर्तन की गुणवत्ता अच्छी होगी । इस से प्रदूषण कम होगा और पर्यावरण संरक्षण के लिए अच्छा होगा । भविष्य में हम इस दिशा में कोशिश करेंगे ।"
इधर के वर्षों में, शांगरिला वासी कभी कभार इस पर सोचते हैं कि कैसे पर्यटन के लगातार विकास के चलते संसाधनों के अनवरत पयर्टन विकास को बनाए रखा जाए और प्राकृतिक दृश्यों का संरक्षण किया जाए। दिछिंग तिब्बती प्रिफैक्चर के शीर्ष नेता श्री छी जाला नेकहा कि स्थानीय सरकार "नष्ट के बाद संरक्षण करने" और"ज्यादा लोगों के आने लेकिन कम मुनाफ़े की प्राप्ति"वाला रास्ता नहीं चुनेगी । शांगरिला पर्यटन उद्योग के विकास में "ज्यादा तेज़ न चलने और गलत रास्ते पर न चलने"वाली नीति अपनाएगा । यानि कि धीरे-धीरे विकास के रास्ते की खोज की जाएगी, ताकि गलत रास्ते पर न चला जाए ।श्री छी जाला ने कहा:
"हम पारिस्थितिकी पर्यावरण और मानवीय पर्यावरण का दीर्घकालिक संरक्षण करना चाहते हैं । इधर के वर्षों में यहां के पर्यटन उद्याग का लगातार तेज़ विकास हो रहा है । भविष्य में हम उच्च स्तरीय, ज्यादा मुनाफ़े वाले और अनवरत विकास वाले पर्यटन क्षेत्रों का निर्माण करेंगे । शांगरिला मानव और प्रकृति का सामंजस्य है । मानव और प्रकृति समान रूप से पारस्परिक सम्मान, पारस्परिक प्यार वाले पर्यावरण का निर्माण करेंगे ।
शांगरिला कांउटी के अनेक सरकारी ऑफिसों की दीवारों पर ऐसा नारा लिखा हुआ है:"अल्पकालिक समय के लाभ की प्राप्ति के लिए दीर्घकालिक लाभ को नष्ट न करें, एक ही व्यक्ति के लाभ से सारे व्यक्ति को लाभ पहुंचाया जाए"। मानवीय स्वर्ग शांगरिला को और सुन्दर बनाने के लिए शांगरिला वासी लगातार कोशिश कर रहे हैं ।