2008-12-18 19:49:01

चीन को अवश्य सुधार व खुलेपन तथा समाजवादी आधुनिकीकरण कार्य को निरंतर आगे बढ़ाना चाहिएः राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ

1978 के 18 से 22 दिसम्बर को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 11 वीं केन्द्रीय कमेटी का तीसरा पूर्ण अधिवेशन पेइचिंग में आयोजित हुआ था। यह नए चीन की स्थापना के बीद चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के इतिहास में दूरदर्शी अर्थ रखने वाली एक महत्वपूर्ण सभा रही, सभा में चीन की विशेषता वाली समाजवादी के नए रास्ते का निर्माण करने की पेशकश की और सुधार व खुलेपन का एक नया अध्याय खोला। चीन के विभिन्न कार्यों को इस के बाद के 30 सालों में विश्व ध्यानाकर्षण उपलब्द्धियां हासिल हुई। 18 तारीख को आयोजित चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की 11वे पूर्ण अधिवेशन की 30 वीं वर्षगांठ महा सभा में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महा सचिव, राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने बीते 30 सालों के चीन के सुधार व खुलेपन व आधुनिकीकरण निर्माण में हासिल सफलताओं व अनुभवों का सारांश करते हुए कहा कि चीन का सुधार व खुलेपन जनता की अभिलाषा के अनुरूप है और युग की धारा से मेल खाता है। रूकना व पीछे हटना मौत के बराबर है, चीन को अवश्य सुधार व खुलेपन व समाजवादी आधुनिकीकरण कार्य को निरंतर आगे बढ़ाना चाहिए।

18 तारीख को आयोजित सुधार व खुलेपन की 30 वीं वर्षगांठ की महा सभा में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के महा सचिव व राष्ट्राध्यक्ष हू चिन थाओ ने अपने एक महत्वपूर्ण भाषण में बीते तीस सालों का उच्च मूल्यांकन किया, उन्होने कहा 1978 की 18 दिसम्बर यानी बीते 30 साल के आज दिन, कम्युनिस्ट पार्टी की 11वीं कमेटी का तीसरा पूर्ण अधिवेशन आयोजित हुआ। उक्त सभा नए चीन की स्थापना के बाद हमारी पार्टी के इतिहास का एक महत्वपूर्ण महान मोढ़ था, उसने हमारे सुधार व खुलेपन के इतिहास का नया युग खोला ।

11वीं कमेटी का तीसरा पूर्ण अधिवेशन चीनी कम्युनिस्ट पार्टी व चीन के किस दिशा में चलने की एक महान एतिहासिक घडी़ में आयोजित हुई थी। उस बार की सभा में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने हिम्मतदारी से पुराने कार्यक्रम को खतम कर दिया और मुक्त विचार, दिमाग खोलने, तथ्यों का सम्मान कर एकता से आगे की दिशा में बढ़ने की निर्देशन नीति निश्चित की और पार्टी व राष्ट्र के कार्य की केन्द्र को अर्थतंत्र निर्माण , सुधार व खुलेपन का कार्यान्यवन करने की एतिहासिक निश्चय नीति की ओर हस्तांतिरत किया। इस के बाद चीन का काया पलट होने लगा।

इस महा सभा के बाद चीन ने उच्च सामूहिक सुनोयोजित अर्थतंत्र व्यवस्था को प्रफुल्लित समाजवादी बाजार व्यवस्था में बदल दिया। इस के अलावा चीन ने राजनीतिक , सांस्कृतिक व सामाजिक व अन्य पहलुओं की व्यवस्था में भी सुधार को निरंतर गहन किया और चीन की राष्ट्रीय वास्तविक स्थिति के अनुरूप विकास तथा जीवन शक्ति से भरपूर नयी व्यवस्था के विकास पर बल देते हुए अर्थतंत्र की समृद्धि व विकास, समाज के समंजस्यपूर्ण व सतत स्थिति को सुनिश्चता प्रदान की। इस के साथ साथ खुलेपन नीति ने अर्ध बन्द चीन को सफलतापूर्वक सर्वोतोमुखी रूप से बाहर की ओर खोले जाने के महान परिवर्तन को भी प्रेरित किया ।

सुधार व खुलेपन के सहारे चीन द्वारा हासिल महान सफलताओं ने विश्व को अचम्भे में डाल दिया। तीन साल से चीन का घरेलु उत्पादन मूल्य का वार्षिक औसत 10 प्रतिशत की गति से आगे बढ़ता रहा है, अर्थतंत्र की कुल मात्रा दुनिया के चौथे स्थान पर जा पहुंची है। इन 30 सालों में चीनी जनता की आमदनी तीव्र गति से बढ़ी है और अनेक व्यवहारिक लाभ का उपभोग किया है. शहरों व बस्तियों की जनता की स्वंय नियंत्रित आय 343 य्वान से बढ़कर 13786 तक जा पहुंची है, ग्रामीण की गरीबी जन समूह पहले के 25 करोड़ से घटकर वर्तमान के 1 करोड़ 40 लाख रह गया है।

श्री हू चिन थाओ ने बलपूर्वक कहा कि सुधार व खुलापन चीन के भविष्य का फैसला करने का कुंजीभूत विकल्प और चीनी राष्ट्रीय के महान पुनरूत्थान का अनिवार्य मार्ग है। उन्होने कहा सुधार व खुलेपन पार्टी व जनता की अभिलाषा के अनुरूप रहा है और युग की धारा से मेल रखता है, हमारी चुनी दिशा व अपनाया रास्ता बिल्कुल सही रहा है, उपलब्द्धियां व सफलताओं को नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता है, रूकना और पीछे चलना हमारे लिए मौत के बराबर है।

वर्तमान चीन के आगे अब भी बहुत सी समस्याए खड़ी हुई हैं , जिसे हल करना बहुत जरूरी है, जैसे उत्पादन का पूर्ण स्तर ऊंचा नहीं है, शहरों व गावों में गरीबी जन समूह व नीची आय लोगों की संख्या अब भी बहुत है, कृषि का आधारभूत कमजोर हैं आदि । वर्तमान में फैल रहा अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट चीन के अर्थतंत्र पर जो वार कर रहा है उसे जरा भी नजरअन्दाज नहीं किया जा सकता है। इस पर श्री हू चिन थाओ ने टिप्पणी करते हुए कहा वर्तमान अन्तरराष्ट्रीय स्थिति के गहरे बदलाव, विशेषकर अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय संकट के निरंतर फैलने व विस्तार होने की हालात में हमें अधिक चेतना व अधिक सुदृढ़ता से अर्थतंत्र के इस केन्द्र सवाल को कस कर पकड़ना चाहिए और दृढ़ता से उत्पादन विकास, धनी जीवन , उम्दा पारिस्थितिकी वाली सभ्यता विकास के रास्ते पर चलने से नहीं हिलना चाहिए। हमें हरसभंव कोशिशों से घरेलु अर्थतंत्र के विस्तार, अर्थतंत्र की वृद्धि से संबंधित कदमों को प्रगाढ़ कर अर्थतंत्र के सतत विकास को पूरी शक्ति से बरकरार रखना चाहिए और अपने स्वंय के शान्ति विकास से विश्व के विभिन्न देशों के समान विकास को निरंतर प्रेरित किया जाना चाहिए।